60 फीसदी दिमागी बीमारी स्किजोफ्रेनिया
दुनिया में हर 285 में से 1 इंसान स्किजोफ्रेनिया से पीडि़त
बीमारी के इलाज पर एनजीओ ने चलाया अवेयरनेस प्रोग्राम BAREILLY: डायबिटीज, हायपरटेंशन व हार्ट की बीमारियां साइलेंट किलर मानी जाती है। वजह तेजी से दबे पांव यह बीमारियां देश-दुनिया में बढ़ती जा रही हैं, लेकिन इन डिजीज की तरह ही दिमागी बीमारियां भी तेजी से लोगों को अपनी चपेट में ले रही हैं। स्किजोफ्रेनिया ऐसी ही दिमागी बीमारियों में से एक है। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन की रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया में करीब 21 मिलियन लोग स्किजोफ्रेनिया से पीडि़त हैं। यानि दुनिया के हर 285 इंसान में से एक इस बीमारी से पीडि़त है। भारत में करीब 8.7 मिलियन लोग इस बीमारी की चपेट में हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक हर तरह की दिमागी बीमारियों से पीडि़त मरीजों में 60 फीसदी से ज्यादा स्किजोफ्रेनिया के शिकार हैं। क्या है स्किजोफ्रेनियास्किजोफ्रेनिया एक तरह की मानसिक बीमारी है, जिसमें पीडि़त का असल दुनिया से संपर्क टूट सा जाता है। इस बीमारी में मरीज को इलुजन या भ्रम होता है और नहीं समझ पाता कि उसके आसपास क्या हो रहा है। उसे अपनी कल्पना में अजीब आवाजें सुनाई देती हैं और चीजें या इंसान दिखाई देते हैं। मरीज को बेकार के झूठे विश्वास होते हैं। इससे मरीज असली और आभासी जीवन में फर्क नहीं कर पाता। इन मरीजों को रेगुलर नींद नहीं आती, वह खुद से बाते करता है और खुद में खोया रहता है।
बीमारी की वजह स्किजोफ्रेनिया बीमारी की असल वजह दिमाग में डोपामाइन न्यरोट्रांसमीटर्स हार्मोन का असंतुलन है। वही गहरा दिमागी धक्का, सदमा या असहनीय घटनाएं भी इस बीमारी के लिए जिम्मेदार है। इसके अलावा रोजमर्रा की जिंदगी में होने वाला टेंशन, उलझनें, डिप्रेशन और बिजी लाइफस्टाइल भी इस बीमारी की वजह बन जाती हैं। -------------------------------------- बीमारी में क्या करें - स्किजोफ्रेनिया से पीडि़त से प्रेम भरा व्यवहार करें, परिवार पूरा साथ दें। - इस बीमारी से परेशान मरीज के व्यवहार पर संयमित रहे। - पीडि़त को नजदीकी मेंटल हॉस्पिटल ले जाकर उचित इलाज कराएं। - याद रखें स्किजोफ्रेनिया एक मानसिक बीमारी है, इसका इलाज संभव है। बीमारी में क्या न करें - स्किजोफ्रेनिया पीडि़त को कभी अकेला न छोड़े। - इस बीमारी के लिए मरीज या किसी अन्य को दोषी न माने - पीडि़त पर न तो झुंझलाएं और न ही गुस्सा करें - इस बीमारी को कलंक या अभिशाप न समझे - बीमारी का इलाज के लिए झाड़-फूंक, या जादू-टोना के चक्कर में न फंसे ----------------------------- एम्बुलेंस से फैलाई अवेयरनेसस्किजोफ्रेनिया बीमारी से बचाव व इसके इलाज के लिए लोगों में बेहद कम जागरुकता है। मनोसमर्पण मनोसामाजिक सेवा समिति संस्था की ओर से वेडनसडे को वर्ल्ड स्किजोफ्रनिया डे पर इस बीमारी से बचाव पर अवेयरनेस ड्राइव शुरू की गई। संस्था की ओर से मेंटल हॉस्पिटल व डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल पर लोगों को इस बीमारी से अवेयर किया गया। वहीं संस्था के अध्यक्ष व साइकोलॉजिस्ट शैलेश कुमार ने एम्बुलेंस पर शहर में घूम-घूमकर व लोगों को पैम्फलेट्स बांटकर इस बीमारी व पीडि़त मरीजों के इलाज के लिए जागरुक किया।
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