मानसून की दस्तक होने को है. बारिश के साथ ही डेंगू के खतरे को भी नजर अंदाज नहीं किया जा सकता है. ऐसे में स्वास्थ्य महकमा अपनी तैयारियों में जुट गया है. स्वास्थ्य विभाग ने बेड रिजर्व कर दी है. मगर इस मामले में मोहल्लों और वार्डों की हालत खराब है. बीमारी के बाद की तो तैयारी कर ली गई है जबकि बीमार ही न पड़ें इसके इंतजाम नहीं किए गए हैं. दावे तमाम हो रहे हैं लेकिन हकीकत कुछ और ही है. निगम के जिम्मेदार फॉगिंग का दावा कर रहे हैं जबकि वार्ड के लोगों का कहना है कि कुछ स्पेशल वार्ड को छोड़ दिया जाए तो बाकी कहीं फॉगिंग नहीं की जा रही है. अगर यही हाल रहा तो बारिश होते ही मच्छरों का प्रकोप बढ़ जाएगा और ऐसे में लोगों को बीमारी से बचाने के इंतजाम भी कम पड़ जाएंगे.


गोरखपुर (ब्यूरो)। डेंगू से जंग के लिए स्वास्थ्य विभाग ने पांच बेड डेंगू वार्ड बना रखा है। मगर अब सीजन को देखते हुए इसकी कैपासिटी दोगुनी कर दी गई है। बेड की संख्या बढ़ाकर 10 कर दी गई है। इतना ही नहीं, पहले वार्ड में जाने के लिए लोगों को इमरजेंसी से होकर गुजरना पड़ता था, जबकि इससे पेशेंट्स डिस्टर्ब होते थे। अब लोगों के लिए एक अल्टरनेट रास्ते का इंतजाम कर दिया गया है। लोग बाहर से ही डेंगू वार्ड में पहुंच सकेंगे। डेंगू के पेशेंट को इमरजेंसी के रास्ते वार्ड तक नहीं जाना होगा। प्रशासन ने इसकी पूरी तैयारी कर ली है। 70 वार्ड में तीन सुपरवाइजर


बरसात के मौसम में मलेरिया बुखार और डेंगू के केस की रफ्तार बढऩे लगती है। मगर महानगर के मुख्य वार्डो को छोड़ दिया जाए तो बाहरी वार्डो में कहीं भी फॉगिंग नहीं की जा रही है। वहीं जानकारों की मानें तो नगर निगम में कर्मचारियों और संसाधनों का अभाव है। यही कारण है कि वार्डो में रेगुलर फॉगिंग नहीं हो पा रही है। 70 वार्डो की निगरानी के लिए सिर्फ तीन सुपरवाइजर है जो कर्मचारियों की ड्यूटी लगाते हैं। गलियों में फॉगिंग के लिए 33 साइकिल पर मशीने बांध कर फॉगिंग की जाती है। चौड़े रास्तों पर फॉगिंग के लिए तीन बड़ी मशीने हैं। जिन्हें वार्डो में बहुत कम लगाया जाता है। वहीं, नगर निगम के दायरे में 1 लाख 25 हजार घर आते हैं। जिनमें फॉगिंग के लिए मशीनों की संख्या काफी कम हैं। केस 1- पादरी बाजार मानस बिहार कॉलोनी के रहने वाले रितेश श्रीवास्तव का कहना है कि घर के सामने ही नाला है। इसलिए मच्छर जनित बीमारी का खतरा बना रहता है। पार्षद और नगर निगम के जिम्मेदारों से शिकायत की जाती है, लेकिन यहां पर न तो फॉगिंग होता है और न ही कीटनाशक दवाइयों का छिड़काव होता है। केस 2- सूर्यविहार कॉलोनी के रहने वाले पंकज तिवारी का कहना है कि नगर निगम की ओर से दावा किया जाता है कि मच्छरों के खातमे के लिए संसाधनों की कमी नहीं है फिर भी वार्डो में मुक्कमल फॉगिंग कार्य नहीं होता है। इसकी का नतीजा है कि मच्छरों के काटने से तमाम बीमारियां फैल रही हैं। कंट्रोल रूम में डेली आ रही सफाई की कंप्लेन

नगर निगम के कंट्रोल रूम में हर दिन चार से पांच कंप्लेन आ रही है। यह कंप्लेन सिर्फ जलजमाव, सफाई और वॉटर सप्लाई से संबंधित है। कंट्रोल रूम में तैनात कर्मचारी ने बताया कि इस समय फॉगिंग को लेकर किसी प्रकार की शिकायत नहीं आ रही है। अन्य मामलों की शिकयत दर्ज कर उसका समाधान किया जाता है। महानगर में वार्ड-70 नगर निगम के दायरे में घर-1.25 साइकिल वाली फॉगिंग मशीनें-33 बड़ी फॉगिंग मशीन-03 मानसून ने दस्तक दे दी है। इस बीच जलभराव की वजह से डेंगू के केस सामने आने लगते हैं। इसलिए 10 बेड का डेंगू वार्ड तैयार करवाया जा रहा है। साथ ही डॉक्टर्स और पैरामेडिकल स्टाफ की टीम भी लगाई जा रही है। ताकि आने वाले पेशेंट्स को किसी प्रकार की प्रॉब्लम न हो सके। - डॉ। जेएसपी सिंह, एसआईसी जिला अस्पताल महानगर में नियमित रूप से फॉगिंग होती है। साथ ही डस्टिंग और एंटी लार्वा आदि का छिड़काव भी किया जा रहा है। बाहरी वार्डो में भी फॉगिंग कराई जाती है। यदि किसी इलाके में फॉगिंग नहीं हो रही है तो कंप्लेन के आधार पर कार्रवाई होगी। - अविनाश सिंह, नगर आयुक्त

Posted By: Inextlive