फर्जी नाम और पते से 60 पासपोर्ट बनवाने का जिन्न एक बार फिर जागा है. फर्जी दस्तावेजों के सहारे पासपोर्ट बनवाने की जांच 8 साल बाद भी पूरी नहीं हो सकी. इस मामले की शिकायत के बाद जिले में 19 एसएसपी बदल गए. फिर भी मामला जहां का तहां पड़ा हुआ. केस में नामजद एक आरोपित हाईकोर्ट में पेश होकर पुलिस पर उत्पीडऩ का आरोप लगा चुकी है. विवेचकों की ढिलाई और जांच में सुस्ती से अभियुक्तों के खिलाफ कार्रवाई न होने पर दोबारा इस मामले की जांच की मांग उठी है.


गोरखपुर (ब्यूरो)। गीडा एरिया के सेक्टर 15 स्थित आईजीएल के प्र भारत नेपाल मैत्री समाज के अध्यक्ष अनिल कुमार गुप्त ने आरोपितों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। इस प्रकरण में तत्कालीन एलआईयू कर्मचारियों और थानों के मुंशी-दीवान भी जिम्मेदार ठहराए गए हैं। हालांकि, फर्जीवाड़ा सामने आने के बावजूद किसी के खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया गया है। 3 मार्च 2012 को हुई कंप्लेन, 2015 में दर्ज किया गया मुकदमा रेलवे स्टेशन पुलिस चौकी के पास नेपाली नागरिक सहायता केंद्र पर तीन मार्च 2012 को पहुंचीं चार नेपाली महिलाओं ने पासपोर्ट में ठगी की शिकायत दर्ज कराई। तत्कालीन अध्यक्ष मोहनलाल गुप्त के सामने आई शिकायत में महिलाओं ने बताया कि नेपाली नागरिक परशुराम क्षेत्री और राजेश पासवान ने उनसे पैसे लेकर पासपोर्ट बनवाने का आश्वासन दिया था।


एक-एक लाख रुपए लेकर उसने पासपोर्ट बनवाने को कहा। लेकिन दो साल बाद भी वह ना तो पासपोर्ट बनवा रहा था। न ही रुपए लौटा रहा था। शिकायत के आधार पर मोहनलाल गुप्त ने इसकी जानकारी आईजी भवेश कुमार को दी। तब शाहपुर पुलिस ने आरोपित राजेश पासवान को पकड़ा, लेकिन उसे पुलिस चौकी से छोड़ दिया गया। लेकिन आईजी की

सख्ती पुलिस ने रिकॉर्ड खंगाला। तब सामने आया कि पांच साल के भीतर 91 नेपाली नागरिकों के पासपोर्ट बने थे। फर्जीवाड़ा सामने आने पर इस प्रकरण में वर्ष 2015 में आरोपितों के खिलाफ जालसाजी के मुकदमे दर्ज हुए। एलआईयृ कर्मचारियों की संस्तुति पर बने पासपोर्ट शिकायत होने से मामले की जानकारी सामने आ गई, लेकिन कई पुलिस कर्मचारियों की गर्दन फंसने की वजह से किसी तरह से इसे मैनेज कर दिया गया। वर्ष 2014 में नए सिरे से पड़ताल शुरू की गई। इस दौरान कैंट में 26 और शाहपुर एरिया में पांच लोगों का फर्जीवाड़ा सामने आया। 15 जुलाई 2015 को कैंट पुलिस ने केस दर्ज किया। जबकि, उसी समय शाहपुर में एक मुकदमा दर्ज कराया गया। नेपाली नागरिकों के खिलाफ फर्जी दस्तावेज तैयार करके जालसाजी करने का केस दर्ज किया गया। इसमें 25 महिलाओं को अभियुक्त बनाया गया है। 36 आवेदकों के लोकल पते की पुष्टि करते हुए पुलिस और एलआईयू ने पासपोर्ट जारी करने की संस्तुति की थी।यहां का पता दिखाकर किया आवेदन जीआरडी मेन गेट के सामनेदुर्गा भवन, कूड़ाघाट, यादव निवासचंडी भवन, जगरनाथ भवनएलआईयू और थाना पुलिस भी जिम्मेदार

जांच में फर्जी नाम-पते पर बने पासपोर्ट का वेरीफिकेशन एलआईयू ऑफिस से किया गया था। वर्ष 2005 से 2009 के बीच थाना कैंट और शाहपुर में प्रभारी रहे चार दारोगाओं के एसएसपी आशुतोष कुमार थे। उनके बाद से 19वें कप्तान के रूप में डॉ। विपिन ताडा तैनात हैं।


अलावा 10 से अधिक सिपाही जांच के दौरान शामिल रहे। पासपोर्ट का मामला सामने आने पर उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई की बात सामने आई। लेकिन जांच के नाम पर चल रहे खेल में पूरी कहानी खत्म हो गई। फर्जी दस्तावेज और पते पर पासपोर्ट बनवाने वाले 31 नेपाली नागरिकों के गायब होने की फाइल पुलिस ने बंद कर दी। इन धाराओं में दर्ज हुआ था मुकदमा फर्जी दस्तावेज तैयार करने, कूटरचित दस्तावेज तैयार करने, कूट रचना के बाद कागजात का लाभ उठाने और 17 पासपोर्ट अधिनियम। 20 फरवरी 2020 को कैंट पुलिस ने नेपाली नागरिकों को भारतीय बताकर फर्जी पासपोर्ट बनाए जाने के एक आरोपित राजेश पासवान को गिरफ्तार किया। राजेश ने पुलिस केा बताया कि उसने साथी परशुराम के साथ मिलकर उसने 117 नेपाली लोगों को भारत की नागरिकता दिलाने के लिए जीआरडी कूड़ाघाट के पते पर फर्जी पासपोर्ट बनवाया है। इस फर्जी पासपोर्ट की मदद से कई नेपाली विदेश भी जा चुके हैं। कैंट थाने में दर्ज केस के मुताबिक इनके पासपोर्ट फर्जीसीमा राना, कल्पना थापा, मेनका थापा, विमला आले, रामा गुरुंग, सुनील की पत्नी सीमा, नरेश की बेटी सीमा, कमला थापा, प्रिया गुरुंग, सोनिया गुरुंग, आशा गुरुंग, आरती श्रेष्ठ,
प्रीति गुरुंग, हेमा, संतोपी गुरुंग, अनिल गुरुंग, कुमारी रमा, गंगा थापा, आशा थापा, कल्पना गुरुंग, माया, रीता सुव्वा, रूपा लामा, सिबु रिमल, संगीता गुरुंग और सूरज राना का फर्जी पासपोर्ट वर्ष 2009 में बना था। इन सभी के खिलाफ केस दर्ज हुआ था।फर्जी पासपोर्ट बनवाने वाली एक महिला पहुंच गई थी कोर्टपुलिस के अनुसार फर्जी पासपोर्ट बनवाने वाली एक महिला विवेचना के दौरान कोर्ट पहुंची। उसने पुलिस पर उत्पीडऩ का आरोप लगाया। महिला ने खुद को भी एक पीडि़त बताया और कहा कि उसने असली समझकर आवेदन पर हस्ताक्षर किया था। लेकिन उसका उत्पीडऩ भी किया जा रहा है। इस मामले की छानबीन के लिए पुलिस की एक टीम दिल्ली भी जा चुकी है। जांच पर जांच, बदलते रहे पुलिस कप्तान वर्ष 2012 में सामने आए इस प्रकरण में 19वें एसएसपी डॉ। विपिन ताडा से दोबारा मामले की शिकायत हुई है। आवेदक ने पत्र देकर 60 नेपाली नागरिकों के पासपोर्ट फर्जी होने की बात कही। उन्होंने बताया कि 60 लोगों में सिर्फ 36 की जांच की गई है। इस प्रकरण की दोबारा जांच कराने की मांग की गई है। वर्ष 2012 में जब मामले की शिकायत हुई तो तब Posted By: Inextlive