-सिटी में तीन सौ से ज्यादा अन रजिस्टर्ड आर्किटेक्ट बना रहे नक्शा, जीडीए फंसा रहा पेंच

GORAKHPUR: अभी तक आपने झोलाछाप डॉक्टर के बारे में सुना होगा और उनके खिलाफ कार्रवाई भी देखी होगी। लेकिन सिटी में नक्शा पास कराने का ठेका लेने वाले झोलाछाप आर्किटेक्ट भी खूब है। करीब 300 से ज्यादा झोलाछाप आर्किटेक्ट हैं, जो नक्शा बना रहे हैं। जबकि, सरकारी दस्तावेज में गोरखपुर में 40 आर्किटेक्ट और 20 सिविल इंजीनियर ही रजिस्टर्ड है।

आर्किटेक्ट सतीश सिंह बताते हैं कि अन रजिस्टर्ड आर्किटेक्ट के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। इसके लिए कई बार जीडीए को अवगत भी कराया जा चुका है। लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।

रजिस्टर्ड आर्किटेक्ट होना जरूरी

एसोसिएशन ऑफ प्रोफेशनल ग्रेजुएट सिविल इंजीनियर्स ऑल इंडिया के जनरल सेक्रेटरी व इंजीनियर सतीश सिंह ने बताया कि उनके एसोसिएशन में उत्तर प्रदेश आवास बंधु से लगभग 20 रजिस्टर्ड इंजीनियर हैं। इसके अलावा आर्किटेक्ट एसोसिएशन में लगभग 40 मेंबर्स हैैं। बिना किसी आर्किटेक्चर के सहयोग से भूकंप रोधि मकान बनाना अत्यधिक मुश्किल काम है। जबकि, गोरखपुर भूकंप मानक में जोन 5 में आता है। ऐसे में जो भी भवन निर्माण होता है, उसके लिए रजिस्टर्ड आर्किटेक्ट का होना जरूरी होता है।

केस वन

सिंघाडि़यां के मोहन लाल गुप्ता ने जमीन की रजिस्ट्री कराने के बाद आर्किटेक्ट की मदद से नक्शा बनवा लिया। आर्किटेक्ट ने भी नक्शा बनवाने के लिए उनसे 16 हजार रुपए भी लिया। नक्शा बन भी गया, लेकिन उनका आर्किटेक्ट रजिस्टर्ड नहीं होने के कारण नक्शा ही रिजेक्ट हो गया।

केस टू

फुलवरिया के राहुल सिंह बताते हैं कि वह तारामंडल रोड स्थित एक सिविल इंजीनियर को नक्शा पास कराने के लिए पहुंचे थे। उन्हें किसी ने बताया कि उसके जरिए नक्शा पास नहीं होगा तो उन्होंने अपना बना हुआ नक्शा ही वापस ले लिया। जबकि राहुल का सात हजार रुपए भी डूब गया। दूसरे आर्किटेक्ट के पास गए तो फिर से 13000 रुपए चार्ज किया।

काइंड फॉर इंफॉर्मेशन

नक्शा पास कराने के लिए रजिस्टर्ड आर्किटेक्ट से मदद लें।

नक्शा आवेदन के दौरान किसी प्रकार की कोई दिक्कत आने पर आर्किटेक्ट के पास जाएं।

कमरे के साइज का मामला हो या फिर लॉन और सड़क से दूरी का मामला हो। इसके लिए भी आर्किटेक्ट की ही मदद लें।

नक्शा बनवाने के बाद आवेदन के लिए आर्किटेक्ट की मदद ले।

कैसे पहचाने असली और झोलाछाप आर्किटेक्ट

-आवास बंधु के रजिस्ट्रेशन नंबर और आर्किटेक्ट का रजिस्ट्रेशन नंबर मुहर में दर्ज होता है।

- जब तक उनके सर्टिफिकेट पर दर्ज रजिस्ट्रेशन नंबर को देख न लें तब तक उनकी मदद न लें।

- ऑफिस में पहुंचते ही उनके सर्टिफिकेट को जरूर चेक कर लें।

वर्जन

जो रजिस्टर्ड आर्किटेक्ट है उन्हीं से नक्शा के लिए आवेदक को मदद लेना चाहिए। जो फर्जी हैं वह जीडीए के मानकों पर फिट नहीं बैठते हैं। ऐसे फर्जी इंजीनियर्स से सावधान रहें। इनके खिलाफ कार्रवाई के लिए अभियान शुरू किया जाएगा।

राम सिंह गौतम, सेक्रेटरी, जीडीए

आर्किटेक्चर या इंजीनियर ही नक्शा के लिए पोटर्ल पर अपलोड कर सकते हैं। चूंकि काउंसिल ऑफ आर्किटेक्चर भारत सरकार से रजिस्टर्ड होते हैं। ऐसे में इनकी जिम्मेदारी होती है कि वह आवेदक के ऑनलाइन आवेदन में सारे डाक्यूमेंट्स की सही-सही जानकारी दें। लेकिन जो मेंबर ही नहीं है और डिप्लोमा होल्डर्स किसी इंजीनियर के लॉनिग पर नक्शा संबंधी कार्य कर रहा है तो यह गलत है।

मनीष मिश्रा, अध्यक्ष, गोरखपुर आर्किटेक्ट एसोसिएशन

Posted By: Inextlive