- अनफिट बसों का संचालन नहीं चाहती स्टेट गवर्नमेंट, पर कागजी कोरम में जुटे आरटीओ अफसर

GORAKHPUR:

गोरखपुर में बस पैसेंजर असुरक्षित सफर कर रहे हैं। वजह बसों का अनफिट होना। शहर में पैसेंजर्स को उनके गंतव्य तक पहुंचाने के लिए अनफिट बसें सड़कों पर फर्राटा भर रही है। यह हम नहीं कह रहे। ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट के फैक्ट से यह सच सामने आया है। असलियत भी यह है कि बसें जर्जर हैं। इमरजेंसी विंडो को बांधकर काम चलाया जा रहा है और फ‌र्स्ट एड बॉक्स का पता नहीं है। ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट की मानें तो जिले में 966 बसें हैं। इसमें से 371 बसें अनफिट हैं। बसों के मेंटेनेंस के लिए लगातार लापरवाही की जा रही है। ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट के इन फैक्ट की जब दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने पड़ताल की तो कई और फैक्ट सामने आए।

सरकार सख्त, कार्रवाई के दिए निर्देश

बता दें कि बाराबंकी में हुए एक्सीडेंट के बाद स्टेट गवर्नमेंट ने जर्जर बसों के संचालन पर रोक लगाने के निर्देश दिए हैं। अवैध एवं डग्गामार बसों पर विशेष सतर्कता बरतनी है। इनके परमिट समेत अन्य दस्तावेजों की जांच कर ओवरलोडिंग के खिलाफ कठोर कार्रवाई करनी है।

खुलेआम दौड़ रहीं अनफिट बसें

गोरखपुर से जाने वाले सड़क मार्ग पर अनफिट बसें खुलेआम दौड़ रही हैं। इन बसों के संचालक निर्धारित गाइडलाइन का पालन नहीं कर रहे हैं। एक तरफ जहां बस ऑपरेटर पैसेंजर्स से मनमाना किराया जबरन वसूल रहे हैं। वहीं, पैसेंजर्स को अन्य सुविधाएं तो छोडि़ए। बैठने के लिए सीट तक नहीं मिल पाती। इतना ही नहीं अनफिट व कंडम बसें अक्सर रास्ते में खराब हो जाती हैं और परेशानी पैसेंजर्स को भुगतना पड़ रहा है। बावजूद इसके परिवहन विभाग के अधिकारी कार्रवाई नहीं कर रहे हैं।

ओवरलोडिंग भी बड़ी प्रॉब्लम

गोरखपुर से विभिन्न रूटों पर चलने वाली अधिकांश बसें ओवर लोड चलती हैं। जिससे पूरे समय दुर्घटना की आशंका बनी रहती है। इतना ही नहीं तीन साल पहले मानीराम एरिया में हुई दुर्घटनाएं, मूल कारण में बस का ओवर लोड होना सामने आया था। पैसेंजर्स की संख्या अधिक होने की वजह से बस असंतुलित होकर दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी।

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बसों के लिए ये जरूरी

- बस का बीमा होना जरूरी है। फिटनेस सर्टिफिकेट बस के सामने कांच पर चस्पा होना चाहिए।

- बस के अंदर व बाहर किराया सूची व स्टेशन की दूरी लिखी होनी चाहिए।

- विकलांग व महिलाओं के लिए सीट आरक्षित होनी चाहिए। साथ ही सीट पर लिखा होना चाहिए कि उक्त सीट संबंधित के लिए रिजर्व है।

- बस ड्राइवर व क्लीनर ड्रेस कोड में होना चाहिए।

- बस के अंदर इमरजेंसी नंबर लिखे होने चाहिए, ताकि जरूरत के समय यात्री उनका इस्तेमाल कर सकें।

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फैक्ट फीगर

966 प्राइवेट बसें आरटीओ में रजिस्टर्ड हैं।

371 बसें हैं अनफिट

64 बसें कोरोना काल में हुई अनफिट

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जिन बसों की फिटनेस खत्म हो गई है। उन्हें नोटिस भेज दी गई हैं। इसके बाद हर महीने रिमाइंडर किया जा रहा है। कोविड-19 की वजह से 30 सितंबर तक डेट बढ़ाई गई है। अगर इस अवधि में फिटनेस नहीं कराते हैं तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

अनीता सिंह, आरटीओ

Posted By: Inextlive