तम्बाकू बांट रही कैंसर, चपेट में 13 परसेंट महिलाएं
गोरखपुर (ब्यूरो).सीएमओ डॉ। आशुतोष कुमार दुबे ने बताया, तंबाकू कैंसर, ब्रेन ट्यूमर, श्वसन रोग, बांझपन, पेट में बच्चे की मौत समेत कई प्रकार की बीमारियों का प्रमुख कारक है। जनरल एग्रीमेंट ऑन ट्रेड इन सर्विसेज के आंकड़ों के अनुसार देश में 27 करोड़ लोग तंबाकू का सेवन और 12 करोड़ लोग धूम्रपान कर रहे हैं। डॉ। दुबे का कहना है कि प्रतिवर्ष सिगरेट के उत्पादन के लिए 60 करोड़ पेड़ काटे जाते हैं और 22 अरब लीटर पानी बर्बाद हो जाता है। धूम्रपान से 84 करोड़ टन कार्बन डाईआक्साइड पैदा होती है। ऐसे छोड़ें नशे की लत
डॉ। दुबे ने बताया कि अगर तंबाकू व खासकर धूम्रपान का सेवन छोड़ दिया जाए तो ह्रदय रोग का खतरा 50 फीसदी कम हो जाता है। तंबाकू का सेवन छोडऩे के लिए मनोचिकित्सक की मदद ले सकते हैं। इसकी लत धीरे-धीरे छोडऩे की बजाय दृढ़ इच्छाशक्ति से एक बार में छोड़ देना चाहिए। शराब से दूरी बनाकर तंबाकू छोड़ सकते हैं। इलायची, अनार दाने की गोलियां, भुनी हुई सौंफ, मिश्री जैसे वैकल्पिक चीजों का सेवन कर भी तंबाकू छोड़ी जा सकती है। निकोटिन रिप्लेसमेंट थेरेपी, योग, प्राणायाम और मोबाइल एप्स की मदद से भी यह लत छोड़ सकते हैं।शासन से सर्कुलर जारी
एसीएम हेल्थ अमित मोहन प्रसाद ने आठ विभागों के अपर मुख्य सचिव को पत्र भेज कर तंबाकू मुक्ति के लिए यलो लाइन कैंपेन और विभिन्न गतिविधियां आयोजित करने का दिशा-निर्देश दिया है। पत्र के जरिए शिक्षा विभाग, गृह विभाग, सूचना एवं संपर्क विभाग, ग्राम्य विकास विभाग, खेल एवं शिक्षा विभाग, परिवहन, पर्यटन एवं पंचायती राज विभाग को तंबाकू उन्मूलन की दिशा में विभिन्न गतिविधियों के आयोजन के लिए कहा गया है। इसके साथ ही सभी प्रतिष्ठानों व कार्यालयों के बाहरी दीवारों व बाउंड्रीवाल पर चिन्हित कर पेंटिंग और वहां तम्बाकू मुक्त संस्थान लिखने का भी निर्देश है।- मुख और गले का कैंसर 23 परसेंट -गर्भाशय के मुख का कैंसर 18 परसेंट -स्तन कैंसर 13 परसेंट -गाल ब्लेडर 9.5 परसेंट -फेफड़े का कैंसर 4.5 परसेंट कैंसर के सिंप्टम्स मुख और गले का कैंसरफेफड़े का कैंसरब्लड कैंसर पेट का कैंसरगाल ब्लेडर का कैंसर स्तन कैंसर पेशाब की थैली का कैंसर बड़ी आंत का कैंसर कैंसर से बचाव निकोटिन चुईंगम निकोटिन चैनी नेजल स्प्रे नेजल इंवेलर निकोटीन वक्सीन तीन दिन थेरेपी काउंसलिंग के जरिए कैंसर के प्रति अवेयरनेस
सिगरेट, बीड़ी, खैनी, गुटखा आदि के सेवन से कैंसर हो सकता है। इसलिए इससे सतर्क रहें। यदि कोई प्रॉब्लम होती है तो इसे नजरअंदाज न करें। तत्काल डॉक्टर से परामर्श लेने के बाद इलाज कराएं, ताकि इस बीमारी से उन्हें बचाया जा सके। राकेश कुमार रावत, एचओडी कैंसर रोग विभाग