स्थानांतरण की सर्जरी से जिला अस्पताल की सेहत और बिगड़ गई है. 8 डॉक्टर्स के ट्रांसफर और उनके रिलीव होने के बाद अब सोमवार को ओपीडी प्रभावित हो सकती है. अस्पताल प्रशासन का दावा है फिलहाल उनके पास 25 डॉक्टर हैं. उन्हीं से ओपीडी इमरजेंसी और वार्ड ड्यूटी कराई जा रही है. वे सभी तरह के हालात के लिए तैयार हैं.


गोरखपुर (ब्यूरो). बता दें, अस्पताल में रेगुलर डॉक्टर्स के 53 पद स्वीकृत हैं, लेकिन वर्तमान में सिर्फ 25 ही डॉक्टर्स हैं। वहीं, संविदा के 10 डॉक्टर लगाए गए हैं। इसके बावजूद भी डॉक्टर्स की कमी हैं। ऐसे में सोमवार को ओपीडी में बढऩे वाली पेशेंट्स की भीड़ को कैसे संभालेंगे। यह एक सवाल है। जबकि प्रतिदिन ओपीडी के हर विभाग में पेशेंट्स की लंबी कतार नजर आ रही है। इसके बावजूद शासन ने अस्पताल प्रशासन को स्थानांतरित 8 डॉक्टर्स की जगह सिर्फ 1 डॉक्टर दिया है। लेकिन उन्होंने भी अभी तक ज्वाइन नहीं किया है। ऐसी स्थिति में अस्पताल प्रशासन के सामने प्रॉब्लम खड़ी हो गई है। सोमवार को 2400 तक की होती है ओपीडी


जिला अस्पताल से डॉक्टर्स के ट्रांसफर और रिलीव होने की वजह से सोमवार को पेशेंट्स की मुसीबत बढ़ सकती है। सबसे ज्यादा प्रॉब्लम बाल रोग और फिजिशियन के ट्रांसफर होने के बाद पेशेंट्स को हो सकती है। देखा जाए तो सोमवार को सबसे अधिक 2000 से 2400 की ओपीडी होती है। इन डॉक्टर्स के जाने के बाद दो पीआईसीयू और एक संविदा पर तैनात डॉक्टर्स ही बचे हैं। इनमें सिर्फ एक डॉक्टर के भरोसे ओपीडी चल रही है। 300 से अधिक बच्चों की ओपीडी

जिला अस्पताल के बाल रोग विभाग में प्रतिदिन 300 से अधिक बाल रोग विभाग की ओपीडी में पेशेंट आते हैं। डॉक्टर्स की कमी की वजह से संख्या 70 से 80 के बीच सिमटकर रह गई है। क्योंकि मौजूदा समय में संविदा पर तैनात एक डॉक्टर ही ओपीडी में पेशेंट्स को देख रहे हैं। इनके पास पेशेंट्स की संख्या भी अधिक पहुंच रही है। अन्य दो बाल रोग विशेषज्ञों की तैनाती 17 बेड के पीडियाट्रिक इंटेंसिव केयर (पीआईसीयू) यूनिट में हैं। यहां गंभीर बीमारी से ग्रसित बच्चों का इलाज चल रहा है। डॉक्टर्स के रिलीव होने के बाद परेशानी बढ़ी है। इसके बदले केवल एक ही डॉक्टर मिला है। इसके बाद भी पेशेंट्स का इलाज किया जा रहा है। डॉक्टर्स की कमी के चलते मौजूद डॉक्टर्स की ड्यूटी बढ़ा दी गई हैं, ताकि किसी प्रकार की प्रॉब्लम न हो सके। डॉ। जेएसपी सिंह, एसआईसी जिला अस्पताल

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