56 हजार बच्चे कुपोषित, आज से पोषण माह की शुरुआत
-किशोरियों के स्वास्थ्य की विशेष देखभाल के लिए चलेगा अभियान
10 सूत्र बताकर बच्चों, किशोरियों और महिलाओं को बचाएंगे कुपोषण से GORAKHPUR: कुपोषण के खिलाफ अवेयरनेस फैलाने और खानपान की जानकारी के लिए एक सितंबर से पोषण माह की शुरुआत होगी। जिले में कुपोषित 56 हजार 175 बच्चों को केंद्र में रखकर अभियान चलाने की तैयारी पूरी कर ली गई है। किशोरियों को एनीमिया से बचाने के लिए विशेष अभियान चलाया जाएगा। जिला कार्यक्रम अधिकारी हेमंत सिंह ने बताया कि एक सितंबर से 30 सितंबर तक बाल विकास व पुष्टाहार विभाग की ओर से कुपोषण के खात्मे और एनीमिया प्रबंधन संबंधित विविध कार्यक्रम चलाए जाएंगे। अति तीव्र कुपोषित बच्चों को चिकित्सकीय परामर्श की आवश्यकता होती है। ऐसे बच्चों को विलेज हेल्थ एंड न्यूट्रिशन डे (वीएचएनडी) पर चिकित्सकीय सहायता उपलब्ध कराने का प्रयास किया जा रहा है। फैक्ट फाइल अति कुपोषित बच्चे - 7090 कुपोषित बच्चे - 56175तीव्र कुपोषित बच्चे - 5589
अति तीव्र कुपोषित बच्चे - 1014 एनीमिया यानी खून की कमी की स्थिति छह माह से पांच साल आयु - 59.9 फीसद 15 वर्ष से 49 वर्ष आयु की महिलाएं - 52 फीसद 49 वर्ष आयु तक की गर्भवती - 45.6 फीसद 15 से 49 वर्ष तक की आयु के पुरुष - 21.8 फीसदसुपोषण के लिए यह हैं दस मंत्र
-जन्म के दो घंटे के भीतर मां का गाढ़ा पीला दूध -छह माह तक सिर्फ मां का दूध -छह माह बाद ऊपरी आहार की शुरुआत -छह माह से दो वर्ष तक ऊपरी आहार के साथ मां का दूध -विटामिन ए, आयरन, आयोडीन, जिंक और ओआरएस का सेवन -साफ-सफाई और खासतौर से हाथों की स्वच्छता -बीमार बच्चों की देखरेख -कुपोषित बच्चों की पहचान -किशोरियों की देखभाल खासतौर से हीमोग्लोबिन की कमी न हो -गर्भवती की देखभाल और उन्हें चिकित्सक के परामर्श के अनुसार आयरन-फोलिक के सेवन के लिए प्रेरित करना कुपोषण के लक्षण उम्र के अनुसार शारीरिक विकास न होना हमेशा थकान महसूस होना कमजोरी लगना अक्सर बीमार रहना खाने-पीने में रुचि न रखना 35 से 37 फीसद बच्चे कम वजन वाले नेशनल फेमिली हेल्थ सर्वे-4 (वर्ष 2015-2016) के अनुसार गोरखपुर जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में पांच वर्ष से कम उम्र के 37.1 फीसद बच्चे कम वजन के थे। शहरी क्षेत्र के 35 फीसद बच्चे कम वजन के मिले थे। छह माह से 59 माह के बीच के 62.3 फीसद ग्रामीण बच्चों में कम हीमोग्लोबिन मिला था। एनआरसी जाने में न करें संकोचजिला कार्यक्रम अधिकारी ने बताया कि बाबा राघवदास मेडिकल कालेज में पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) का संचालन हो रहा है। यहां तीव्र कुपोषित बच्चों को भर्ती कर सुपोषित बनाया जाता है। एनआरसी की सभी सुविधाएं निश्शुल्क हैं। बच्चों के इलाज के अलावा दोनों समय भोजन और एक केयर टेकर को भी निश्शुल्क भोजन मिलता है। जो अभिभावक बच्चे के साथ रहते हैं उन्हें 100 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से उनके बैंक खाते में दिए जाते हैं।