सिंगल यूज प्लास्टिक का प्रतिबंधित होने वाला कारोबार कानपुर और लखनऊ से चल रहा है. गोरखपुर में सिंगल यूज प्लास्टिक की कोई यूनिट नहीं है. यह दावा पॉल्युशन डिपार्टमेंट के अफसरों ने किया है. हालांकि गोरखपुर में डेली करीब 9 क्विंटल पॉलीथिन की खपत है. सिटी में चाहे ठेले वाले हों या फिर छोटे-बड़े दुकानदार. वे सामान पॉलीथिन में दे रहे हैं. उन्हें पॉलीथिन से होने वाले नुकसान से कोई मतलब नहीं है. वहीं कार्रवाई के नाम पर यहां सिर्फ खानापूर्ति हो रही है. शनिवार को भी 5 किलोग्राम पॉलीथिन पकड़ी गई. यही कारण है कि सिटी से लेकर रूरल एरिया में सिंगल यूज प्लास्टिक की बिक्री थम नहीं रही है.


गोरखपुर (ब्यूरो)। रीजनल पॉल्युशन बोर्ड के अनुसार तीन से चार साल पहले गीडा में फैक्ट्री थी, जिसे बंद करा दिया गया है। अब दो यूनिट लगी हैं, जो पैकेजिंग की हैं। ये सिंगल यूज प्लास्टिक की श्रेणी में नहीं हैं।अभियान चलाकर करेंगे अवेयर शासन ने डीएम, नगर आयुक्त, क्षेत्रीय प्रदूषण अधिकारी आदि अफसरों को पत्र भेजकर सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रभावी ढंग से बैन लगाने का निर्देश दिया है। इसके तहत 29 जून से तीन जुलाई तक जन जागरूकता अभियान चलाया जाएगा। बड़े दुकानदारों पर पहले होगा एक्शन रीजनल पॉल्युशन बोर्ड 29 जून से सिटी में अभियान चलाएगा। इसमें पहले बड़े दुकानदारों पर कार्रवाई की जाएगी। इसके लिए रीजनल पॉल्युशन ऑफिसर के नेतृत्व में टीम गठित की गई है।
सिंगल यूज प्लास्टिक के बारे में लोगों को जागरूक करने के साथ ही दुकानदारों पर सख्ती की जाएगी। 29 जून से तीन जुलाई तक जागरुकता अभियान भी चलाया जाएगा। कहीं भी सिंगल यूज प्लास्टिक बिकने और इस्तेमाल नहीं होने दी जाएगी। पंकज यादव, क्षेत्रीय प्रदूषण अधिकारी प्रवर्तन दल ने पकड़ी पॉलीथिन


नगर निगम की प्रवर्तन टीम ने शनिवार को सिटी में पॉलिथीन के खिलाफ अभियान चलाया। कचहरी चौराहे से लेकर दीवानी कचहरी, आजाद भगत सिंह चौराहा, कमिश्नर आवास तक छापेमारी की गई। इस दौरान करीब पांच किलोग्राम पॉलीथिन पकड़ी गई। 5 हजार रुपए का चालान किया गया। प्रवर्तन दल अधिकारी कर्नल सीपी सिंह ने बताया, अभियान लगातार चलता रहेगा। फैक्ट एंड फीगर। 9 क्विंटल पॉलीथिन की खपत गोरखपुर में है। 80 परसेंट पॉलीथिन कानपुर, लखनऊ या फिर अन्य जिलों से आती है। 20 परसेंट चाइनीज पॉलीथिन नेपाल के रास्ते आती है।इसलिए प्रतिबंधित की जा रही सिंगल-यूज प्लास्टिक दुनियाभर के प्लास्टिक कचरे में सिंगल-यूज प्लास्टिक का एक बड़ा हिस्सा है। 2019 में 13 करोड़ मीट्रिक टन सिंगल-यूज प्लास्टिक फेंकी गई थी। इस दर से 2050 तक ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में 5-10 प्रतिशत हिस्सेदारी सिंगल-यूज प्लास्टिक की होगी, जो एक बड़ी चिंता का विषय है। भारत में भी हर साल सिंगल-यूज प्लास्टिक का 56 लाख मीट्रिक टन कचरा पैदा होता है। ये पर्यावरण के लिए नुकसानदेय है। धीरे-धीरे शरीर में जमा हो रही प्लास्टिकएक रिपोर्ट के अनुसार कुल सिंगल-यूज प्लास्टिक का महज 7.5 परसेंट हिस्सा ही रिसाइकिल किया जाता है। बाकी जमीन में दब जाता है या पानी में बहकर नदियों और समुद्र में चला जाता है। हर इंसान हर हफ्ते लगभग पांच ग्राम प्लास्टिक खा रहा है।

Posted By: Inextlive