1 जुलाई से सिंगल यूज प्लास्टिक पॉलीथिन बैन को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है. नगर निगम कोरम पूरा करने के लिए इक्का-दुक्का कार्रवाई भी कर रहा है. दुकानदार भी बची पॉलीथिन चोरी-छिपे खपाने मे लग गए हैं. ऐसे में एक जुलाई से बैन के बाद गोरखपुराइट्स किस तरह सामान घर ला पाएंगे. इसको लेकर वह अवेयर नहीं हैं. दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने ऑनलाइन सर्वे किया जिसमें पूछे गए सवालों के जवाब देने में 100 से ज्यादा लोगों ने इंटरेस्ट दिखाया. इसमें से 93 परसेंट से ज्यादा लोगों ने सिंगल यूज प्लास्टिक बैन को सही माना. वहीं यह बात भी सामने आई कि बड़ी तादाद में लोग ऐसे हैं जो पॉलीथिन का अल्टरनेटिव ऑप्शन नहीं जानते हैं. अगर जिम्मेदार इसको लेकर अवेयर करें और इसका ऑप्शन दें तो काफी हद तक इसके इस्तेमाल पर रोक लगाई जा सकती है.


गोरखपुर (ब्यूरो)। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने गूगल फॉर्म के जरिए सर्वे किया। इसमें लोगों से चार सवालों पर राय मांगी गई, जिनका जवाब उन्हें मल्टीपल च्वॉयस में देना था। इसमें पहला सवाल सिंगल यूज पॉलीथिन के प्रतिबंध से जुड़ा हुआ था, जिसपर 93 परसेंट लोगों ने माना कि प्रतिबंध बिल्कुल सही है। वहीं 4.8 लोगों ने इसे गलत बताया। वहीं प्लास्टिक के ऑप्शन से जुड़े सवाल के जवाब में 59 परसेंट लोगों ने बताया कि उन्हें मालूम ही नहीं है कि गवर्नमेंट ने सिंगल यूज प्लास्टिक का कोई विकल्प भी दिया है। 19 फीसद को इसकी जानकारी थी, जबकि 21.9 लोगों का जवाब न में था।अफसरों ने नहीं किया अमल


सवाल में पूछा गया कि सिंगल यूज प्लास्टिक को लेकर पहले भी बैन लगे हैं, लेकिन क्या अफसरों ने उस पर अमल किया है। इस सवाल के जवाब में 90 परसेंट से ज्यादा लोगों ने माना है कि इस पर किसी तरह का कोई अमल नहीं हुआ है। सब कागजी कोरम बनकर रह गया है। जबकि 4.8 परसेंट लोगों का मानना है कि इस पर अमल किया गया है। 3.8 परसेंट लोगों को इसकी जानकारी नहीं है, जबकि एक परसेंट ने कुछ कह सकते का ऑप्शन चुना। यह रहे सवाल और जवाब

सवाल - क्या सिंगल यूज पॉलीथिन पर प्रतिबंध लगाना सही है?जवाब - हां - 93.3 परसेंटनहीं - 4.8 परसेंटपता नहीं - 1 परसेंटसवाल - क्या सिंगल यूज पॉलीथिन की जगह सरकार की ओर से कोई विकल्प दिया गया है?जवाब - हां - 19 परसेंटनहीं - 21 परसेंटपता नहीं - 59 परसेंटसवाल - सिंगल यूज पॉलीथिन पर प्रतिबंध लगाने संबंधी निर्णय पहले भी हुए हैं, क्या अफसरों ने उनपर अमल किया है?जवाब - हां - 4.8 परसेंटनहीं - 90.5 परसेंटपता नहीं - 3.8 परसेंट कह नहीं सकते - 1.0 परसेंटसवाल - सिंगल यूज प्लास्टिक के दुष्परिणामों से कैसे बचा जा सकता है?जवाब - कपड़े के झोले का अधिक से अधिक उपयोग कर - 3 परसेंटअवेयर करने के साथ पर्यावरण और हेल्थ के दुष्प्रभाव बताकर - 1 परसेंटसार्वजनिक स्थलों पर झोला बैंक की स्थापना कर - 0.0 परसेंटउपरोक्त सभी - 96.0 परसेंटमाइक्रोस्कोप से देखने बराबर भी छेद नहीं

एक छोटी सी पॉलीथिन और इसका धुआं इस कदर जानलेवा है कि रोजाना कई डिब्बे सिगरेट पीने वालों को भी ऐसा असर न होगा। इसका धुआं ऐसा खतरनाक है कि 500 सिगरेट पीने के बाद इतना नुकसान नहीं होगा, जितना महज 5 ग्राम पॉलीथिन को जलाने से निकलने वाले धुएं से हो जाएगा। प्लास्टिक की इलास्टिसिटी को बढ़ाने के लिए इसकी मैन्युफैक्चरर कंपनीज सभी घातक केमिकल का इस्तेमाल कर डालती हैं। यह इस कदर खतरनाक है कि जो भी चीज इसमें रखी जाएगी, उस पर इसका इफेक्ट पडऩा तय है और इससे कैंसर होने के चांस बढ़ते ही जाते हैं। सबसे बड़ा ड्रॉ बैक यह कि यह बायो डिग्रेडेबल होती है और इसमें इतनी भी जगह नहीं होती है कि माइक्रोस्कोप से इसका कोई छेद नजर आ जाए। यहां तक कि अगर इसको जलाकर एक फॉर्म से दूसरे फॉर्म में लाने की कोशिश की जाती है, तो इससे निकलने वाला कार्बन ऐसा खतरनाक है कि यह लोगों का दम घोटने के लिए काफी है। जानवरों के लिए काफी खतरनाक
ऐसा अक्सर देखा गया है कि लोग कूड़ा फेंकते वक्त साथ में पॉलीथिन भी फेंक देते हैं। यह कूड़ा जानवर खाते हैं और यह पॉलीथिन कूड़े के साथ ही उनके पेट में भी एंटर कर जाती है। इससे उन्हें इंटेस्टाइनल ऑब्सट्रक्शन होते हैं, जिससे उनकी आंते भी फट जाने के केस सामने आते हैं। इससे जानवरों की मौत तक हो जाती है। इसका असर इतना खतरनाक है कि अगर इसको किसी हरे-भरे पेड़ के पास फेंक दिया जाए, तो इसकी वजह से यह हरा-भरा पेड़ सूख जाएगा। वहीं अगर इसमें फूड मैटेरियल्स बांध दिया जाए, तो जो फूड ओपन में रहेगा, वह जल्दी खराब नहीं होगा, जबकि जो पॉलीथिन में बंधा रहेगा, वह जल्दी खराब हो जाएगा।यह हैं इफेक्ट -प्लास्टिक प्रॉडक्ट में इस्तेमाल होने वाले बिस्फेनॉल केमिकल ह्यूमन बॉडी में डायबिटीज व लीवर एंजाइम को करता है अफेक्ट।- पॉलीथिन का कचरा जलाने पर कार्बन डाई ऑक्साइड, कार्बन मोनो ऑक्साइड और डाई ऑक्सीन जैसी विषैली गैसें निकलती हैं।- बढ़ जाते हैं सांस, स्किन की बीमारियां होने के चांस। - एनवायर्नमेंट साइकिल को ब्रेक कर देता है पॉलीथिन।- प्लास्टिक वेस्ट जमीन में दबने की वजह से वॉटर हार्वेस्टिंग होने में आती है प्रॉब्लम।- पॉलीथिन एक पेट्रो केमिकल उत्पाद है, जिसमें टॉक्सिक एलीमेंट का इतस्ेमाल होता है।- प्लास्टिक के थैलों को बनाने में कैडमियम व जस्ता जैसे खतरनाक केमिकल का होता है इस्तेमाल, जिसके टच में आने पर फूड आइटम्स भी होते हैं विषैले।- पॉलीथिन की थैली में गर्म चाय, जूस ले जाने पर उसके केमिकल सीधे शरीर में पहुंचते हैं।यह होती है बीमारियांसांसदमासीओपीडीस्किन प्रॉब्लमलंग कैंसर
प्लास्टिक में सारे खतरनाक केमिकल इस्तेमाल होते हैं, जो कैंसर का कारण बनते हैं। यह नॉन बायो डिग्रेडेबल हैं, जिसकी वजह से यह जल्द नष्ट नहीं होती और हजारों साल तक एक ही जगह रहते हैं, लेकिन नष्ट नहीं होते। - डॉ। शीराज वजीह, एनवायर्नमेंटलिस्टपांच ग्राम की पॉलीथिन को जलाने से जितना धुआं निकलता है और वह लोगों के शरीर में जाता है, यह 500 सिगरेट पीने से बॉडी में जाने वाले धुएं से भी खतरनाक है। इससे कैंसर, सीवियर सीओपीडी और स्किन प्रॉब्लम हो जाती है। यही वजह है कि कई यूरोपियन कंट्री में काफी पहले से इस पर बैन है। यह सिर्फ अवेयरनेस के थ्रू ही रोकी जा सकती है।- डॉ। त्रिलोक रंजन, फिजिशियन

Posted By: Inextlive