कानपुर में हुए इलेक्ट्र्रिक बस हादसे के बाद गोरखपुर में भी ई-बसों का संचालन अलर्ट मोड पर आ गया है. गोरखपुर मेें ई-बसों को चला रहे ड्राइवर्स का टेस्ट 17 और 18 फरवरी को होगा. टेस्ट में यह पता लगाया जाएगा कि ड्राइवर्स को बसों की टेक्निकल समझ कितनी है और सिक्योरिटी सिस्टम और स्पीड को लेकर वे कितना अवेयर हैं. दोबारा ड्राइविंग टेस्ट की बात सामने आते ही ड्राइवर्स में भी हलचल बढ़ गई है. वहीं दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की पड़ताल में यह सामने आया कि मैनुअल ट्रेनिंग देकर ड्राइवर्स को बसें थमा दी गईं. गोरखपुर में ऑटोमैटिक ट्रैक पर ड्राइविंग टेस्ट हुआ ही नहीं. हालांकि ड्राइवर्स की मानें तो उन्हें समय पर सैलरी मिल रही है.


गोरखपुर (ब्यूरो)। गोरखपुराइट्स को बेहतर सुविधा देने के लिए सिटी में इलेक्ट्रिक बसों का संचालन शुरू किया गया था। बसों का शुभारंभ होने के साथ लोगों को बस सेवा काफी पसंद आई। गोरखपुर शहर में फिलहाल 15 ई-बसेें दौड़ रही हैं और जल्द ही 5 और बसें आने वाली हैं। ये है कंपनी का दावा


पीएमआई कंपनी की ओर से 15 बसों के संचालन के लिए भर्ती किए गए 38 ड्राइवर्स को एक माह की टेस्ट ट्रेनिंग भी कराई गई थी। इसके अलावा उनके अनुभवों को भी ध्यान में रखा गया। यह ऐसे ड्राइवर्स हैं। जो दस से 15 साल तक ट्रक या स्कूली बसों का संचालन करते रहे हैं। इतना ही नहीं उन्हें हैंड ब्रेक, बिना गेयर और बसों की तकनीकी के बारे में भी ट्रेनिंग दी गई हैं। हालांकि ई-बसों के लिए तीन साल का अनुभव होना चाहिए और हैवी लाइसेंस अनिवार्य हैं। जो ड्राइवर्स के पास उपलब्ध है। इसी आधार पर उन्हें बसों के संचालन की कमान सौंपी गई है। जीरो पॉल्युशन वाली इलेक्ट्रिक बसें जीरो पॉल्युशन वाली इलेक्ट्रिक बसें विदेशी टेक्नोलॉजी से लैंस हैं। बस ड्राइवर आकाश ने बताया, बस में आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध हैं। इसकी ड्राइवर्स को बारीकी से जानकारी दी गई। साथ ही टेस्ट ट्रेनिंग भी दिलाई गई।

ड्राइविंग में फेल हुए तो किया जाएगा बाहर इलेक्ट्रिक बस ड्राइवर्स को एक बार फिर ड्राइविंग टेस्ट से गुजरना पड़ेगा। टेस्ट ट्रेनिंग में फेल होने के वाले ड्राइवर्स को बाहर का रास्ता दिखा दिया जाएगा। नगर निगम के इस फैसले के बाद ड्राइवर्स की धड़कनें बढ़ गई हैं। कानपुर हादसे में छह लोगों की मौत के बाद ड्राइवर्स की कुशलता पर सवाल उठ रहे हैं। इसके साथ ही ड्राइवर्स के नशे में होने की जांच की कोई व्यवस्था नहीं होने का भी मामला उठाया गया था। नगर निगम के प्रवर्तन बल को ड्राइवर्स की जांच और बस की व्यवस्था को देखने की जिम्मेदारी दी गई है। नगर आयुक्त अविनाश सिंह ने ड्राइवर्स का टेस्ट कराने का फैसला लिया है। फैक्ट फाइल 43 ड्राइवर्स को ट्रेनिंग का दावा38 ड्राइवर नियमित तौर पर चलाते हैं बस180-210 किमी। तक डेली चलानी पड़ती है बसवर्जन एक माह की टेस्ट ट्रेनिंग कराने के बाद ही ड्राइवर्स की नियुक्ति की गई हैं। साथ ही हैवी लाइसेंस और तीन साल वाहन चलाने का अनुभव है। बसों की तकनीकी के बारे में भी उन्हें जानकारी दी जा चुकी है। जहां तक सैलरी का सवाल है तो उन्हें आठ तारीख तक सैलरी दी जाती है।

पवन कुमार, साइट इंचार्ज पीएमआई

Posted By: Inextlive