कोरोना का प्रकोप कम होते ही टीबी क्षय रोग उन्मूलन अभियान जोर पकडऩे लगा है. टीबी के पेशेंट्स की पहचान व इलाज के लिए शासन संजीदा हो गया है. सरकारी व प्राइवेट एलोपैथिक डॉक्टर्स के अलावा अब आयुर्वेद और यूनानी डॉक्टर्स को भी टीबी पेशेंट्स की पहचान की जिम्मेदारी सौंपी गई है. इसके लिए बकायदा शासनादेश जारी हो गया है. इस आदेश के तहत आयुर्वेद और यूनानी चिकित्साधिकारियों को पेशेंट्स की पहचान कर उसकी सूचना हेल्थ डिपार्टमेंट को देनी होगी.


गोरखपुर (ब्यूरो)। शासनादेश के साथ इसकी गाइडलाइन भी जारी कर दी गई है। जिले में आयुर्वेद के 44 अस्पताल हैं। आयुर्वेद के सरकारी अस्पतालों में 35 डॉक्टर तैनात है। इसके अलावा करीब 300 आयुर्वेद विशेषज्ञ प्राइवेट प्रैक्टिस भी करते हैं। इसी प्रकार यूनानी विद्या से भी इलाज करने वालों की बड़ी संख्या है। जिले में यूनानी विधा के तीन अस्पताल है। क्षेत्रीय यूनानी अधिकारी के मुताबिक करीब 150 डॉक्टर यूनानी विधा से प्राइवेट प्रैक्टिस करते हैं। इसके अलावा करीब सवा सौ प्राइवेट यूनानी विशेषज्ञों ने अब तक पंजीकरण नहीं कराया है।शासन से पत्र प्राप्त हो चुका है। यह पत्र आज ही मिला है। इसकी सूचना संबंधित अस्पतालों, डॉक्टर्स को भेजी जा रही है। इसके अलावा पंजीकृत प्राइवेट डॉक्टर्स को भी भेजी जाएगी। टीबी के पेशेंट्स की सूचना देना अनिवार्य है। इस में लापरवाही नहीं होनी चाहिए।- डॉ। प्रभाशंकर मल्ल, क्षेत्रीय आयुर्वेद अधिकारी

Posted By: Inextlive