'ऑफलाइन' आए हैं तो लाइन में ठिठुरते रहिए
-गोरखपुर एम्स में ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन कराने वाले पेशेंट्स के लिए टीनशेड तक नहीं
-सुबह तीन घंटे तक खुले आसमान के नीचे करना पड़ता है बारी का इंतजार फैक्ट फिगर हर दिन की ओपीडी: 1000-1500 रजिस्ट्रेशन फीस: 10 रुपए कार्ड बनवाने का चार्ज: 20 रुपए रजिस्ट्रेशन टाइमिंग: सुबह 08 से 11 तक GORAKHPUR: 'मेरी मां जोड़ों के दर्द से परेशान हैं। सुबह पांच बजे आ गए थे। ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन नहीं करा सके थे। इसके चलते आठ बजे तक ठंड में एम्स गेट के बाहर इंतजार करना पड़ा.' यह दर्द बयां किया सिवान से आए रघुवीर प्रताप सिंह ने। दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट के रियलिटी चेक के दौरान एम्स की कुछ ऐसी ही समस्याएं सामने आई। यहां ऑफलाइन मरीजों को दिखाने पहुंचे लोगों को लंबी लाइन में ठिठुरना पड़ता है। रजिस्ट्रेशन के लिए लगती है लाइनगोरखपुर एम्स में न सिर्फ सिटी, बल्कि आसपास के एरियाज समेत बिहार से भी पेशेंट्स आते हैं। यहां पर हर दिन 1000-1500 मरीजों की ओपीडी शुरू हो चुकी है। इस दौरान जो लोग ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करवा चुके हैं, उन्हें लाइन में नहीं लगना पड़ता है। लेकिन जिन्होंने ऑनलाइन नहीं कराया है, उनके लिए सुबह पहुंचकर ही लाइन में लगना मजबूरी है। मुश्किल यह है कि बाहर पेशेंट्स और तीमारदारों के लिए किसी भी तरह की टीनशेड का इंतजाम नहीं है। ऐसे में उन्हें ठंड, गर्मी और बरसात के मौसम में खुले आसमान के नीचे रजिस्ट्रेशन के लिए वेट करना पड़ता है।
मरीजों को बरगलाते नजर आए हेल्पर जब दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट रिपोर्टर एम्स के गेट नंबर दो पहुंचा तो वहां मेडिकल स्टोर संचालकों द्वारा रखे गए हेल्पर दवाओं के पंफलेट बांटते दिखे। इसमें वे एम्स की दवा में 15-20 फीसदी तक की छूट का दावा कर रहे थे। मरीज व तीमारदारों को मेडिकल स्टोर तक ले जाने के लिए उन्हें बरगलाया जा रहा था। जब रिपोर्टर ने एक मेडिकल स्टोर के हेल्पर से गोविंद कुमार से इस बाबत पूछा कि मरीजों को कहां ले जाते हो तो उसने बताया कि मरीज व तीमारदार चूंकि दूर से आते हैं। उन्हें नहीं पता होता है कि दवा कहां मिलती है। ऐसे में उन्हें दवा दिलाने के लिए हम मेडिकल स्टोर तक पहुंचाने में मदद करते हैं। पार्किंग न होने से समस्याएम्स को बने एक साल से ऊपर का समय हो चुका है। लेकिन यहां पर पार्किंग की व्यवस्था नहीं है। ऐसे में सड़क पर गाड़ी पार्क करना तीमारदारों की मजबूरी बन चुकी है। वहीं इस मामले में स्थानीय चौकी इंचार्ज ने बताया कि हम पूरी शिद्दत से वाहनों की रखवाली करते हैं। पिछले कुछ समय से यहां पर वाहन चोरी की घटनाओं में कमी आई है।
कॉलिंग बलिया से मां के इलाज के लिए आया हूं। सुबह 5 बजे आ गया था। तीन घंटे तक रजिस्ट्रेशन काउंटर खुलने का इंतजार करता रहा। इसके बाद आधे घंटे तक लाइन में लगा रहा। तब कहीं जाकर एंट्री मिली। -राहुल, तीमारदार एम्स में अच्छा इलाज होता है। यहां की दवा भी फायदा की है। लेकिन कुछ अव्यवस्थाएं हैं। कम ठंड के मौसम में बाहर से आने वाले मरीजों के बैठने की व्यवस्था होनी चाहिए। -गायत्री, मरीज गाड़ी पार्किग की लेकर काफी दिक्कत है। दिमाग में यही चलता रहता है कि वाहन चोरी न हो जाए। कई बार यहां पर वाहन चोरी की घटनाएं हो चुकी हैं। इसलिए पार्किग की व्यवस्था तो होनी ही चाहिए। -सोनम, तीमारदार वर्जन अभी कंस्ट्रक्शन चल रहा है। मरीजों और तीमारदारों के लिए शेड जल्दी बनेगा। पार्किग का सिस्टम भी कंस्ट्रक्शन के बाद सही हो जाएगा। -डॉ। सुरेखा किशोर, डायरेक्टर, एम्स