04 फरवरी 1994 में चौरीचौरा के 96 शहीदों को पेंशन देने का आदेश जारी हुआ

228 शहीदों पर दर्ज हुआ मुकदमा केवल 96 शहीद बने पेंशन के हकदार

बदलती रहीं सरकारें लेकिन आज तक नहीं खोजा जा सका सभी शहीदों का परिवार

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GORAKHPUR: चौरी चौरा घटना 04 फरवरी 1922 को हुई थी। इसके बाद आंदोलनकारियों ने बहुत ही यातनाएं सहीं। अग्रेजी हुकुमत ने मुखबिरों की मदद से एक-एक आंदोलनकारी का घर खोज कर जला दिया। फिर कई जगहों से करीब 1000 लोगों को गिरफ्तार किया। इस घटना के नाम पर सैकड़ों बेगुनाहों को भी अंग्रेजों ने टॉर्चर किया। गिरफ्तार लोगों में से 228 आंदोलनकारियों को दोषी मानते हुए उनपर मुकदमा दर्ज किया गया। इतना कुछ होने के बाद आजादी की इस अहम लड़ाई के वीरों को शहीद का दर्जा पाने में 72 साल लग गए। अंगे्रजों ने तो इनके साथ जुल्म किए ही लेकिन देश में भी ये उपेक्षा के शिकार रहे। भारतीय संस्कृति निधि के सदस्य डॉ। कृष्ण कुमार पांडेय ने घटना से जुड़े हर पहलू की जांच करते हुए अपनी किताब में विस्तार से इसका उल्लेख किया है।

मदन मोहन मालवीय ने लड़ा केस

इस घटना में 172 लोगों को सेशन कोर्ट से फांसी की सजा हुई थी। बात जब कोर्ट में केस लड़ने की आई तो अच्छे-अच्छे वकीलों ने हाथ खड़े कर दिए। इसके बाद संत बाबा राघव दास ने मदन मोहन मालवीय से केस लड़ने के लिए कहा। मदन मोहन मालवीय तब तक वकालत छोड़ चुके थे। लेकिन बाबा राघव दास के कहने पर उन्होंने दोबारा काली कोट पहनी। मदल मोहन मालवीय की ही देन है कि 172 में से 153 आंदोलनकारियों को मौत के फंदे से बचाया जा सका था।

शहीद इस तरह बने पेंशन के हकदार

03 जून 1981 को तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी और सीएम यूपी वीपी सिंह को कामरेड गुरुप्रसाद त्रिपाठी ने आंदोलनकारियों को पेंशन दिलाने के लिए लेटर लिखा।

30 अक्टूबर 1981 को कामरेड गुरू प्रसाद ने तत्कालीन गृह मंत्री ज्ञानी जैल सिंह को लेटर लिखा।

06 फरवरी 1982 चौरी चौरा स्मारक का शिलान्यास हुआ।

11 साल बाद 19 जुलाई 1993 उद्घाटन तत्कालीन पीएम नरसिंहा राव ने किया और पेंशन देने की शुरूआत की।

04 जनवरी 1994 को चौरी चौरा विद्रोह के 96 सेनानियों के आश्रितों को पेंशन देने का आदेश जारी हुआ।

लाल मुहम्मद की बंद हो गई पेंशन

चौरी चौरा कांड के आंदोलनकारी लाल मुहम्मद की 04 साल बाद ही पेंशन बंद हो गई। जबकि भगवान अहीर को आज तक नहीं खोजा जा सका।

14 को कारावास, पेंशन मिली दो को

14 आंदोलनकारी को आजीवन कारावास की सजा हुई। इसमे से चार को पेंशन स्वीकृत हुई। जबकि केवल दो आंदोलनकारियों के परिवार को पेंशन मिल रही है। वहीं दस को आज तक पेंशन का हकदार नहीं माना गया।

19 को हुई फांसी, दो का पता नहीं

चौरीचौरा कांड में 19 आंदोलनकारियों को अलग-अलग जेलों में फांसी दी गई। लेकिन इनमे से दो आंदोलनकारी को कहां और कब फांसी हुई इसका रिकॉर्ड दीवानी न्यायालय में भी नहीं है।

कानपुर, इटावा में हुई फांसी

डॉ। कृष्ण ने कुछ हद तक इस बारे में भी पता लगाया है कि दो आंदोलनकारी को कहां पर फांसी हुई। डॉ। कृष्ण का अनुमान है कि आंदोलनकारी राम लगन कानपुर और सीताराम इटावा में बंद थे। वहीं पर उन्हें फांसी भी दी गई।

यहां हुई 17 आंदोलनकारियों को फांसी

1. संपत: 9 जुलाई 1923 में झांसी कारागार।

2. सहदेव: 9 जुलाई 1923 झांसी कारागार।

3. दुधई भर 11 जुलाई 1923 जौनपुर कारागार।

4. मेघू उर्फ लाल बिहारी: 04 जुलाई 1923 आगरा कारागार।

5. नजर अली: 04 जुलाई 1923 फतेहगढ़ कारागार।

6. भगवान अहीर 04 जुलाई 1923 अलीगढ़ कारागार।

7. रामरूप बरई 04 जुलाई 1923 उन्नाव कारागार।

8. महादेव: 04 जुलाई 1923 बरेली कारागार।

-डॉ। कृष्ण कुमार पाण्डेय, सदस्य भारतीय संस्कृति निधि

9. कालीचरन: 04 जुलाई 1923 गाजीपुर कारागार।

10. बिकरम अहीर: 05 जुलाई 1923 मेरठ कारागार।

11. रुदली केवल: 05 जुलाई 1923 प्रतापगढ़ कारागार।

12. रघुबीर सुनार: 02 जुलाई 1923 कानपुर कारागार।

13. संपत अहीर: 02 जुलाई 1923 इटावा कारागार।

14. श्याम सुंदर मिसिर: 02 जुलाई 1923 इटावा कारागार।

15. अब्दुल्ला: 03 जुलाई 1923 बाराबंकी कारागार।

16. लाल मुहम्मद सेन: 03 जुलाई 1923 रायबरेली कारागार।

17. लवटू कोहार 03 जुलाई 1923 रायबरेली कारागार।

फैक्ट फिगर

1000 आंदोलनकारी पकड़े गए थे।

228 आंदोलनकारियों पर मुकदमा चला

172 आंदोलनकारियों को सेशन कोर्ट से फांसी

19 हाईकोर्ट से आंदोलनकारियों को फांसी

153 हाईकोर्ट से फांसी की सजा माफ हुई

14 आंदोलनकारी को कालापानी की सजा

19 को आठ साल की सजा हुई

57 को पांच साल की सजा हुई

20 को तीन साल की सजा हुई

03 को दो साल की सजा हुई

38 आंदोलनकारियों को बरी किया गया

मैने चौरीचौरा कांड के हर पहलु को जुटाया है। इसके लिए किताबों और जिस जेल में आंदोलनकारी बंद थे वहां से साक्ष्य जुटाए हैं। तब जाकर इस घटना के इतने करीब पहुंच पाया हूं। तमाम सरकारें आकर चली गई लेकिन आज तक सभी आंदोलनकारियों को नहीं खोजा जा सका है।

Posted By: Inextlive