देश को आजाद कराने में जहां स्वतंत्रा संग्राम सेनानियों ने बलिदानी दी. वहीं 4 फरवरी 1922 को आजादी के रणबांकुरों के अंग्रेज शासन के विरोध में गोरखपुर के चौरीचौरा पुलिस स्टेशन को जला दिया था. इस घटना से ब्रिटिश सरकार की नींव हिल गई स्वतंत्रता आंदोलन की इस महत्वपूर्ण घटना की याद में चौरीचौरा एक्सप्रेस ट्रेन चलाई गई जो आज भी आजादी की रेलगाड़ी के रूप में यात्रियों को उनके गंतव्य तक पहुंचाने का काम कर रही है. चौरीचौरा की ऐतिहासिक घटना को यादगार बनाने के लिए रेलवे ने 30 साल पहले 29 जुलाई 1990 को चौरीचौरा एक्सप्रेस ट्रेन चलाई थी. उस वक्त ट्रेन का स्टॉपेज चौरीचौरा स्टेशन पर पांच मिनट का था. यह ट्रेन गोरखपुर से रोजाना प्रयागराज तक जाती थी. जिसकी दूरी बढ़ाते हुए कानपुर के अनवरगंज स्टेशन तक चलाई जा रही है.


गोरखपुर (ब्यूरो).रेलवे की तरफ से आजादी के 75वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में आजादी के अमृत महोत्सव के अन्तर्गत इंडियन रेलवे 18 से 23 जुलाई, 2022 तक 'आजादी की रेलगाड़ी और स्टेशनÓ आईकॉनिक सप्ताह चलाया जा रहा है। इस सप्ताह में स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े हुए इंडियन रेलवे के 75 रेलवे स्टेशनों को इस महोत्सव के लिए नामित किया गया है। जिनमें एनई रेलवे के दो स्टेशन चौरीचौरा एवं बलिया को शामिल किया गया है। जब दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने आजादी के रेलगाड़ी और स्टेशन को लेकर जानकारी ली तो चौरीचौरा एक्सप्रेस ट्रेन और चौरीचौरा स्टेशन की अपनी खास बात सामने आई। चौरीचौरा के एतिहासिक घटना को यादगार बनाने के लिए एनई रेलवे ने स्टेशन को खूबसूरत बना दिया है। तो वहीं चौरीचौरा एक्सप्रेस ट्रेन को एलएचबी कोचेज से लैस कर दिया गया है। तत्कालीन रेल मंत्री पीयूष गोयल ने आजादी के लिए किए गए असहयोग आंदोलन की चर्चित चौरौचौरा घटना की शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में चौरीचौरा एक्सप्रेस को एलएचबी कोच के साथ चलाने का निर्देश दिया। ब्रिटिश अधिकारियों ने सारे नेताओं को किया रिहा
वहीं भारत छोड़ो आंदोलन के जाने माने नेता चित्तू पांडे की गिरफ्तारी के बाद बलिया विद्रोह शुरु हुआ। 19 अगस्त 1942 को बंदूकों, लाठियों और भालों से लैस 50,000 व्यक्ति चित्तू पांडे और भारत छोड़ो आंदोलन के अन्य नेताओं को मुक्त कराने के लिए जेल की ओर बढ़े। इतनी भीड़ का सामना करने और अपने खजाने, जेल और सरकारी संपत्ति को संरक्षित करने के बीच फंसे ब्रिटिश अधिकारियों ने सारे नेताओं को रिहा कर दिया। तब से हर साल 19 अगस्त को लोग इस जीत का जश्न का मनाने के लिए जिला जेल बापू भवन तक जुलूस निकालते हैैं। स्वतंत्रता संग्राम में अपने महत्वपूर्ण योगदान के कारण बलिया और बागी बलिया या विद्रोही बलिया के नाम से भी जाना जाता है। 18 से 23 जुलाई 2022 तक मनाये जा रहे आईकॉनिक सप्ताह के अन्तर्गत स्वतंत्रता सेनानियों से संबंधित नुक्कड़ नाटक, देशभक्ति गीत, वीडियो फिल्म, फोटो प्रदर्शनी, स्टेशन की सजावट, सेल्फी प्वाइंट और जनभागीदारी को बढ़ावा देने के लिए अनाउंसमेंट जैसी अनेक गतिविधियों का आयोजन जारी है।

Posted By: Inextlive