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सूर्य उपासना के महापर्व छठ की शुरूआत बुधवार को नहाए-खाए से हो रही है। 19 नवंबर को खरना, 20 नवंबर को अस्ताचलगामी सूर्य को अ‌र्घ्य और 21 को उगते सूर्य को अ‌र्घ्य के साथ चार दिनों के पर्व का समापन होगा। दीपावली के छह दिन बाद पड़ने वाले इस महापर्व को सफल बनाने की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। ज्योतिर्विद पंडित नरेंद्र उपाध्याय ने बताया कि छठ पूजा तेजस्वी पुत्रों प्राप्ति, उनकी दीर्घायु, सुख, आरोग्य और ऐश्वर्य के लिए की जाती है। भैया दूज के तीसरे दिन से शुरू होकर यह पर्व चार दिनों तक चलता है। पर्व को लेकर नदी और तालाब पर जहां घाट बनने शुरू हो गए हैं वहीं बाजार में सामान दउरा, सूप के बाजार सज गए हैं।

पहला दिन नहाए खाए 18 नवंबर

नहाए-खाए के अंतर्गत व्रती महिलाएं नदी तालाब आदि में जाकर स्नान करेंगी। घर आकर खाना बनाएंगी। खाने में कद्दू चावल बनाया जाता है। भक्त इसे कद्दू भात कहते हैं। नहाए-खाए के दिन अरवा चावल, चने की दाल एवं कददू की सब्जी बनाई जाती है। व्रतियों के प्रसाद ग्रहण करने के बाद ही परिवार के लोग भोजन ग्रहण करते हैं।

दूसरा दिन- खरना 19 नवंबर

इस दिन ब्रती महिलाएं उपवास करेंगी। शाम को पूजा करने के उपरांत व्रत पारण करेंगी। व्रत खोलने में नैवेद्य और प्रसाद का उपयोग करेंगी। दिनभर उपवास रखकर शाम तक सर्य भगवान की पूजा करने के पश्चात खीर पुड़ी का भोग लगाकर हवन किया जाता है।

तीसरा दिन- संध्या अ‌र्घ्य 20 नवंबर

इस दिन व्रती दिनभर व्रत रखकर अन्न जल ग्रहण नहीं करेंगी। शाम को अस्ताचलगामी सूर्य को तालाब या नदी में अ‌र्घ्य देंगी। आटे का ठेकुआ और विभिन्न प्रकार के फल प्रसाद रखेंगी तथा उसे सूर्य नारायण और छठ माता को अर्पित करेंगी। इसमें सूप और दउरा ढोने का महत्व है। इसे ढोने का कार्य व्रती महिला के पति या पुत्र करते हैं। वह इसे जलाशल तक ले जाते हैं.शाम को महिलाएं सूर्य का जल और दूध का अ‌र्घ्य देंगी।

चौथा दिन- उगते सूर्य को अ‌र्घ्य 21 नवंबर

इस दिन व्रती महिला ब्रहा मुहूर्त में नई अ‌र्घ्य सामग्री लेकर जलाशय में खड़ी होकर अरुणोदय की प्रतीक्षा करेंगी जैसे ही क्षितिज पर अरुणिमा दिखा‌ई्र देगी वह मंत्रोच्चार के साथ भगवान सूर्य का अ‌र्घ्य देंगी। इसके बाद वह व्रत का पारण करेंगी।

Posted By: Inextlive