सूर्योपासना के महापर्व छठ पूजा पर नदी के घाटों और तालाबों में श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा. गोरखपुर के पीपीगंज में किन्नरों की विशेष छठ पूजा आकर्षण का केंद्र बना रहा. किन्नर अखाड़ा की महामंडलेश्वर कनकेश्वरी नंदगिरी ने भी 72 घंटे का व्रत रखा है.


गोरखपुर (ब्यूरो): किन्नर महामंडलेश्वर हमेशा की तरह इस वर्ष भी अपने यजमानों की सलामती एवं खुशहाली के लिए विशेष छठ पूजा कर रही हैं। वह अपने घर से 5 किलोमीटर तक जमीन पर लेटते हुए छठ घाट जा रही हैं। महामंडलेश्वर कनकेश्वरी नंदगिरी बुधवार की सुबह बकायदा बैंड-बाजा के साथ पूजा अर्चना करने घर से घाट के निकलीं। उन्हें देखने वालों की भारी भीड़ भी इक्कठा हो रही है।मन्नत पूरी हुई तो लेटकर घाट जाने लगीं महामंडलेश्वर


महामंडलेश्वर कंकेश्वरी नंदगिरी ने बताया कि यूं तो वे छठ पूजा बीते 12 वर्षों से कर रही हैं, लेकिन कुछ वर्षों पूर्व उन्होंने छठ माता से मन्नत मांग रखी थी। जोकि पूरा होने पर अब वे 5 वर्ष तक जमीन पर लेटकर घाट तक पूजन के लिए जाएंगी। मन्नत पूरा होने के बाद वे बीते 3 वर्षों से ऐसी विशेष पूजा कर रह हैं। आज छठ पर्व के दिन पीपीगंज में दुर्गा मंदिर के पास स्थित सरोवर तक अपने आवास से वह लेटते हुए ढोल नगाड़ों के साथ घाट तक जा रही हैं। जुलूस में बैंड-बाजा के अलावा दर्जन भर किन्नर व क्षेत्र की एक बड़ा समूह में महिलाएं भी शामिल हैं। आचार्य लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी की शिष्य हैं कंकेश्वरी नंदगिरी

बता दें कि महामंडलेश्वर कनकेश्वरी नंदगिरी का जन्म दक्षिणी भारत के विशाखा पट्टनम में हुआ। लेकिन उनका पालन- पोषण बंगाल के आसनसोल में हुआ है। बंगाल में पली और बढ़ी होने के कारण उन्हें बंगाली सांस्कृतिक से कुछ अधिक ही लगाव है। महामंडलेश्वर की पद की गरिमा संभालने की पूर्व इनका नाम किरण घोष था। जिसे किन्नर अखाड़ा की महामंडलेश्वर आचार्य लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी ने शिक्षा- दीक्षा दिलाने के बाद इनका नाम कनकेश्वरी नंदगिरी रख दिया। तभी से वे समाज में सनातन धर्म की अलख जगा रही हैं।

Posted By: Inextlive