गोरखपुराइट्स के लिए गुड न्यूज है. अब रामगढ़ताल के बाद टूरिस्ट स्पॉट के रूप में गोरखपुर के उत्तरी द्वार पर मौजूद चिलुआताल की सूरत बदलने जा रही है. इसके लिए छह माह में पूरी तरह से तस्वीर बदले जाने का दावा किया जा रहा है.


गोरखपुर (ब्यूरो)।यहां आपको रामगढ़ताल से भी सुंदर नजारा देखने को मिलेगा। इसके लिए 560 मीटर लंबा घाट बनाया जाएगा, जिसके चारों तरफ हरियाली होगी। इसके लिए करीब 20 करोड़ रुपए भी खर्च होंगे। दरअसल, चिलुआताल सिटी के उत्तरी छोर पर बसे लोंगों के सैर-सपाटे के लिए एक बेहतर टूरिस्ट स्पॉट का विकल्प तो होगा ही। देश-विदेश के सैलानियों को लुभाने में रामगढ़ झील से पीछे नहीं रहेगा। चारों तरफ पायलिंग बनाने और एप्रोच मार्ग बनाने का काम लगभग पूरा हो गया है। टूरिस्ट डिपार्टमेंट की मानें तो अगले छह महीने के भीतर घाट बनाने के साथ ही अन्य सुविधाएं यहां शुरू हो जाएंगी। घाट की अंतिम तस्वीर कार्यदायी संस्था ने जारी कर दी है। उसका दावा है कि काम पूरा हो जाने के बाद ताल वैसा ही दिखेगा।सीएम की प्राथमिकता में यह परियोजना
बता दें, बौद्ध सर्किट रूट पर होने से यहां सैलानियों के भी काफी संख्या में आने की उम्मीद है। क्षेत्रीय पर्यटन अधिकारी रविन्द्र कुमार मिश्रा ने बताया कि काम काफी तेजी से चल रहा है। इसके बन जाने से यहां पर्यटन के क्षेत्र में एक और प्वाइंट जुड़ जाएगा। सीएम की प्राथमिकता वाली इस परियोजना में किसानों की जमीन अधिग्रहीत की गई है। ड्रेजिंग के जरिए ताल को गहरा करने का काम हो रहा है। प्रस्तावित योजना के अनुसार गोरखपुर-सोनौली मार्ग पर एक किलोमीटर लंबा बांध बनाया जा रहा है। लोगों के बैठने के लिए पत्थर की सीढिय़ां बनाई जा रही हैं। 500 मीटर लंबी सीसी रोड सोलर लाइटिंग की दूधिया रोशनी से जगमग होगी। सात कियोस्क बनाए जाएंगे।लैैंड स्केपिंग से होगा आकर्षण एक किलोमीटर लंबे बांध को लैंड स्केपिंग से आकर्षक बनाया जाएगा। सैर को आने वाले लोगों की सुविधा के लिए 15 सीट का शौचालय ब्लॉक बनाने की भी योजना है। झील के चारों ओर करीब नौ किलोमीटर की लंबाई में पाथवे का निर्माण किया जाना है। कुल मिलाकर पर्यावरण, पर्यटन, रोजगार, वाटर स्पोर्ट्स व यातायात के लिहाज से चिलुआताल का सुंदरीकरण बेहद उपयोगी होगा।ऐसे बनी ताल के सुंदरीकरण की योजना


क्षेत्रीय पर्यटक अधिकारी रविंद्र मिश्रा ने बताया कि करीब पांच हजार एकड़ का चिलुआताल पर्यटन के लिहाज से संभावनाओं से भरपूर होने के बावजूद हमेशा से उपेक्षित रहा। उपेक्षा का आलम यह था कि ताल की पहचान कूड़ा निस्तारण केंद्र के रूप में हो गई थी। यही नहीं शहर विस्तार का लाभ उठाते हुए बहुत से लोगों ताल की भूमि पर अतिक्रमण भी कर लिया था। योगी आदित्यनाथ के सीएम बनने के बाद अफसरों का इसपर ध्यान गया और खुद उन्होंने इसकी मॉनिटरिंग की और जल्द से जल्द इसे विकसित करने का निर्देश दिया था।

Posted By: Inextlive