सर्दी कर रही है बेहाल, रखिए अपना ख्याल
-अचानक से गिरा तापमान बढ़ा रहा है लोगों की मुश्किल
-न्यू बॉर्न चाइल्ड, बीपी, शुगर समेत अन्य मरीजों की बढ़ी टेंशन GORAKHPUR: पिछले कुछ दिनों से सर्दी का सितम चरम पर है। शुक्रवार को तो मिनिमम टेंप्रेचर 5.3 तक आ गया था। ऐसे में न्यू बॉर्न चाइल्ड, बुजुर्ग समेत बीपी, शुगर और अस्थमा के रोगियों की परेशानी बढ़ गई है। बढ़ती ठंड और कोहरे का असर आंखों के साथ-साथ मनो-मस्तिष्क पर भी पड़ रहा है। जिला अस्पताल, बीआरडी मेडिकल कालेज समेत प्राइवेट हॉस्पिटल में मरीजों की संख्या भी बढ़ गई है। इसको लेकर दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट ने एक्सपर्ट्स से की बात। पढि़ए कैसे रख सकते हैं सर्दियों में अपनी सेहत का ख्याल। 1. डिप्रेशन के मरीज रखें अपना ख्याल -ठंड के मौसम में डिप्रेशन बढ़ जाता है। ब्रेन की मांसपेशियां और कोशिकाएं शिथिल होने लगती हैं।-ब्रेन में न्यूरो ट्रांसमिशन कमजोर पड़ने लगते हैं। सोचने-समझने की शक्ति कमजोर पड़ने लगती है।
-ब्रेन अटैक होने के चांसेज बढ़ जाते हैं। ज्यादा सर्दी पड़ने पर नाक-कान-मुंह से खून निकल सकता है। -गर्म जगह पर रहने की कोशिश करें, जहां का तापमान 10 डिग्री से ऊपर हो। -वेंटीलेशन प्रॉपर रखें। अगर कोई सिगड़ी या ब्लोअर का इस्तेमाल करते हों तो पैर की तरफ रखें।-नाक कान, मुंह को ढंके रहें। सेमी सॉलिड या लिक्विड डाइट पर रहें।
-वेजिटेबल सूप का सेवन ज्यादा करें। गुनगुने पानी का सेवन करें। -जब भी धूप निकले तो धूप का सेवन जरूर करें। पैरों में मोजे और हाथ में दस्ताने जरूर पहनें। अगर डिप्रेशन, ब्लड प्रेशर, सुगर, कोलेस्ट्रॉल या हार्ट के रोगी हों तो दवा की कोई भी डोज मिस न करें। रेगुलर डॉक्टर के टच में बने रहें। पूरे शरीर पर गुनगुने तेल की मालिश करें। हल्के गुनगुने पानी से नहाएं और बदन को ढंककर रखें। -डॉ। संदीप श्रीवास्तव, मनोचिकित्सक ------------------ 2. न्यू बॉर्न चाइल्ड और बच्चों पर दें ध्यान -न्यू बॉर्न एवं बच्चों को सर्दियों में में बचाव बहुत जरूरी है। -इसके लिए नॉर्मल टेम्प्रेचर 36 से 37.5 डिग्री सेल्सियस तापमान पर नवजात से 2 साल के बच्चों को कपड़े पहनाएं। -कपड़ों की लेयरिंग में पहनाएं। 3-4 पतले कपड़े पहनाएं। -नवजात शिशुओं की मां के द्वारा कंगारू मदर केयर द्वारा गर्माहट दी जा सकती है। -रूम में ऑयल वॉले हीटर का इस्तेमाल सकते हैं।बच्चों की पूरी केयर करें। सर्दी, जुकाम और न्यूमोनिया से बचाने के लिए पानी व तरल पदार्थ जरूर दें। अस्थमा और ब्रोंक्राइटिस से बचाव के लिए डॉक्टर द्वारा दी गई दवा प्रॉपर्ली देते रहें। जिन बच्चों को इनहेलर चल रहा है वह इसका रेगुलर सेवन करते रहें।
-प्रो। डॉ। अभिषेक सिंह, चाइल्ड स्पेशलिस्ट, बीआरडी मेडिकल कालेज ------------------------- 3. आंखों का रखें ख्याल -ठंड के मौसम में आंखों पर डायरेक्ट इफेक्ट नहीं पड़ता है। लेकिन इनडायरेक्ट इसका असर बहुत ज्यादा पड़ता है। -अक्सर लोग रूम हीटर या ब्लोअर के सामने ज्यादा देर तक बैठकर सिंकाई करने लगते हैं। -ऐसे में आंखों में ड्राइनेस हो जाती है। आंखों में ड्राइनेस के कारण जलन और पानी आने लगने लगते हैं। -इसलिए इसके बचाव के लिए जरूरी है कि ब्लोअर या हीटर के पास ज्यादा देर तक न बैठें। ठंड के मौसम में आंखों की प्रॉपर केयर की जरूरत है। अगर आंखों में ड्राईनेस की प्रॉब्लम आ रही है या फिर जलन हो रही है तो आई स्पेशलिस्ट से कंसल्ट करें। डॉक्टर को दिखाकर किसी अच्छे ल्यूब्रिकेंट का यूज कर सकते हैं। -डॉ। एके राय, आई स्पेशलिस्ट, जिला अस्पताल 4. स्किन का भी रखें ख्याल -ठंड के मौसम में स्किन ड्राई होने लगती है। ऊलेन कपड़े पहनने से बॉडी में इचिंग शुरू हो जाती है।-ऐसे में बॉडी पर ऑयल मसाज जरूर रखे। ड्राई सॉप का इस्तेमाल न करें।
-स्किन चूंकि सेंसेटिव होती है। ऐसे में जरूरी है कि स्किन का मॉइश्चर बचाने के लिए रूम हीटर या ब्लोअर के सामने न बैठें। -एलर्जी होने वाले मरीज चर्म रोग विशेषज्ञ से संपर्क कर परार्मश ले सकते हैं। ठंड के मौसम में स्किन खास देखरेख मांगती है। चूंकि ज्यादातर समय हमारी त्वचा ढंकी रहती है। ऐसे में जरूरी है कि हम इसको लेकर पूरी तरह से अलर्ट रहें। कोई परेशानी होने की सूरत में स्किन स्पेशलिस्ट से कंसल्ट करना चाहिए। -डॉ। नवीन वर्मा, चर्म रोग विशेषज्ञ, जिला अस्पताल ----------- 5. -ठंड में सबसे ज्यादा बीपी के मरीजों को अलर्ट रहने की जरूरत है। -महिला या पुरुष अगर 50 साल से ऊपर हैं तो उन्हें बीपी-शुगर है तो हार्ट अटैक के चांसेज बढ़ जाते हैं। -अस्थमा और लंग्स व कार्डियेक के बीमारी के केसेज में संक्रमण का खतरा बहुत ज्यादा रहता है। -ऐसे मरीजों को अनावश्यक बाहर निकलने से बचना चाहिए। पदार्थ का सेवन करें। -अपने डॉक्टर के रेगुलर टच में रहें और कोई प्रॉब्लम होने पर कंसल्ट करें।50 साल से ज्यादा एज वालों को इस मौसम में ज्यादा अलर्ट रहने की जरूरत है। अगर किसी भी तरह की प्रॉब्लम हो तो तत्काल डॉक्टर या नजदीकी हॉस्पिटल से संपर्क करें।
-डॉ। सुमन, सीनियर फिजिशियन, जिला अस्पताल