कोरोना पेंडमिक के दौर ने सभी को परेशान किया. सभी प्रभावित हुए. काफी लोगों की जॉब चली गई. इस कतार में खिलाडिय़ों का हुनर तराशने वाले कोचेज भी शामिल थे. लंबे समय तक नेशनल और इंटरनेशनल खिलाडिय़ों की पौध पैदा करने वाले इन कोचेज को पेंडमिक के दौरान घर बैठना पड़ा. न कमाई का कोई जरिया और न ही कोई काम करने का ऑप्शन. नतीजा उनकी जिंदगियां काफी दुश्वारियों से गुजरीं. खिलाडिय़ों के लिए भी दिन अच्छे नहीं रहे और उन्हें भी प्रॉपर गाइडेंस न मिलने से काफी परेशान होना पड़ा. स्टेडियम में ताला लगने से उनकी तैयारी भी प्रभावित रही. साल के आखिर में उन्हें कुछ मौका मिला लेकिन अब फिर कोरोना की दस्तक के बाद उनकी जिंदगी की गाड़ी रनिंग ट्रैक छोडऩे लगी है.


गोरखपुर (ब्यूरो)। स्पोट्र्स की बात करें तो पेंडमिक में खेल खिलाडिय़ों का जबरदस्त नुकसान हुआ। इंडिविजुअल प्रैक्टिस के बल पर कुछ खिलाडिय़ों ने मेडल तो हासिल किए, लेकिन उनकी प्रैक्टिस करीब 10 माह प्रभावित रही। शुरुआत में कोचेज न होने और कोविड संक्रमण की वजह से गवर्नमेंट ने स्टेडियम खुलने पर पाबंदी लगाई, जिसकी वजह से खिलाडिय़ों के पास सिवाए घर पर प्रैक्टिस के कोई दूसरा ऑप्शन नहीं बचा। वहीं धीरे-धीरे जब स्टेडियम ओपन होने की कंडीशन बनी तो भी कोच न अप्वाइंट होने से काफी मुश्किलें हुईं और उन्हें इंडिविजुअल प्रैक्टिस करने को मजबूर होना पड़ा। करीब 10 माह तक कोच और खिलाड़ी परेशान रहे।अगस्त से स्वीमिंग को हरी झंडी


अगस्त 2021 में जब कोरोना का असर थोड़ा कम हुआ तो स्पोट्र्स डिपार्टमेंट ने दो गेम्स को परमिशन दी और उसके कोच अप्वाइंट किए। इसमें एथलेटिक्स और स्वीमिंग शामिल रहा। जुलाई-अगस्त में इसकी शुरुआत हुई, लेकिन डर की वजह से काफी खिलाडिय़ों ने इंटरेस्ट नहीं दिखाया। जिसकी वजह से धीरे-धीरे इन गेम्स की गाड़ी आगे बढ़ी। इसके बाद अक्टूबर में जिला प्रोत्साहन कमेटी की मीटिंग हुई, जिसमें कुछ गेम्स को शुरू करने की पहल की गई। इसके तहत कोचेज को अप्वाइंट किया गया और गेम्स की शुरुआत हुई। इसमें कबड्डी, जिम्नास्टिक, पॉवर लिफ्टिंग, बॉक्सिंग, बैडमिंटन, वॉलीबाल, जिम और हैंडबॉल शुरू किया गया। नवंबर में डिपार्टमेंट ने फुटबॉल और हैंडबाल को भी परमिशन दे दी। अब गवर्नमेंट की ओर से सिर्फ चार गेम्स में कोचेज की तैनाती की गई है।अचीवमेंट में भी कम नहीं रहा गोरखपुरएक तरफ जहां पेंडमिक ने खेल और खिलाडिय़ों को प्रभावित किया। वहीं, अचीवमेंट में गोरखपुर इसके बाद भी कमजोर नहीं पड़ा। जहां यूपी ने हॉकी के सीनियर नेशनल में सिल्वर मेडल हासिल किया, इसमें गोरखपुर के सादिक ने लीग में तीन और क्वार्टर फाइनल में विनिंग गोल कर टीम को फाइनल तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई। वहीं अब तक 20 से ज्यादा मेडल जीत चुके शूटिंग खिलाड़ी मुकीम सिद्दीकी ने मेडल हासिल करते हुए इंडियन ट्रायल देने के हकदार बन गए। वह ट्रायल देने के लिए गए हुए हैं। एनई रेलवे ने भी दिखाया जलवा

पेंडमिक के बाद भी साल एनई रेलवे के लिए काफी खास रहा। जहां एनई रेलवे के सहायक क्रीड़ाधिकारी चंद्र विजय सिंह को वल्र्ड चैंपियनशिप नार्वे और सीनियर एशियन चैंपियनशिप में ग्रीको-रोमन में इंडियन टीम के कोच की जिम्मेदारी मिली। वहीं रेसलिंग खिलाड़ी गौरव बलियान ने जूनियर वल्र्ड चैंपियनशिप में ब्रॉन्ज, सीनियर नेशनल में गोल्ड, सीनियर एशियन में सिल्वर मेडल हासिल कर मान बढ़ाया। इसके साथ ही हॉकी में गोलकीपर स्वाति ने सीनियर में गोल्ड लाने में कामयाब रहीं। प्रियंका गोस्वामी ने टोक्यो ओलंपिक हासिल किया और उसमें पार्टिसिपेट किया। वहीं पूमन यादव ने वेट लिफ्टिंग में सिल्वर मेडल जीता। अजय सरोज ने 1500 मीटर एशियन चैंपियनशिप में ब्रॉन्ज मेडल, नेशनल में गोल्ड मेडल जीता। दिव्या तोमर ट्रेडिशनल रेसलिंग में सिल्वर मेडल मिला है। वही इतना ही नहीं पांच खिलाड़ी प्रो-कबड्डी लीग के लिए सेलेक्ट हुए हैं। बड़े इवेंट का मेजबान बना गोरखपुरकोविड पेंडमिक से रिलीफ के बाद गोरखपुर को बड़े इवेंट की मेजबानी भी मिली। मुरारी इंटर कॉलेज सहजनवां में जहां सीनियर स्टेट रेसलिंग कॉम्प्टीशन में देश भर के दिग्गज पहलवानों का जमावड़ा हुआ। वहीं ओलंपियन साक्षी मलिक ने इस इवेंट में पहुंचकर पहलवानों का हौसला बढ़ाया। इसमें मेल के साथ फीमेल पहलवान भी शामिल हुईं। इसके साथ ही रीजनल स्पोट्र्स स्टेडियम में गोरखपुर ने ऑल इंडिया प्राइजमनी कबड्डी कॉम्प्टीशन की मेजबानी की। दिसंबर में हुए इस इवेंट में प्रदेश के बड़े खिलाडिय़ों ने हिस्सा लिया।

Posted By: Inextlive