-एप डाउनलोड कराकर साइबर जालसाज ने किया ट्रांजेक्शन -केवाईसी अपडेट कराने के बहाने लोगों को बनाने लगे शिकार GORAKHPUR: सोमवार दोपहर करीब 12 बजे अचानक मेरे फोन की घंटी बजी. कॉल रिसीव किया तो बात करने वाले ने बताया कि वह एक निजी कंपनी से बोल रहा है. कहा कि आप का मोबाइल नंबर बंद होने वाला है. आप क

-एप डाउनलोड कराकर साइबर जालसाज ने किया ट्रांजेक्शन

-केवाईसी अपडेट कराने के बहाने लोगों को बनाने लगे शिकार

GORAKHPUR: सोमवार दोपहर करीब 12 बजे अचानक मेरे फोन की घंटी बजी। कॉल रिसीव किया तो बात करने वाले ने बताया कि वह एक निजी कंपनी से बोल रहा है। कहा कि आप का मोबाइल नंबर बंद होने वाला है। आप के नंबर से मैसेज नहीं जा रहा है। इसलिए एक एप डाउनलोड करिए, उससे मैसेज जाएगा। बताया कि टीम व्यूवर क्विव सपोर्ट एप डाउनलोड करना है। हमने जैसे ही एप को डाउनलोड किया तो उसने अलाउ करने को बोला। अलाउ करते ही मेरे एकाउंट से रुपए का ट्रांजेक्शन हो गया। साइबर जालसाज ने मेरे एकांउट से पहली बार में 48 हजार 330 रुपए, दूसरी बार में 13135 रुपए और तीसरी बार में 1214 रुपए का ट्रांजेक्शन कर लिया। यह जानकारी देती हुई पादरी बाजार की सीमा फफक पड़ीं।

सीमा ने कहा कि बड़ी मेहनत से उसने रुपए जमा किए थे। अब किसी से कुछ बता रहे हैं तो लोग कह रहे हैं कि तुम पढ़ी लिखी लड़की होकर ऐसे किसी झांसे में कैसे आ गई। सीमा की तहरीर पर शाहपुर पुलिस जालसाजी के मामले की जांच में जुटी है। क्राइम ब्रांच की साइबर सेल जालसाजों की जानकारी जुटाने में लगी है।

आरबीआई कर चुका है अलर्ट

सीमा के साथ हुई घटना के बाद दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने पड़ताल की। साइबर सेल के लोगों से बातचीत में सामने आया कि लोगों को रिमोट ऐप एनी डेस्क से सावधान रहने की जरूरत है। इस ऐप के जरिए जालसाज कहीं भी बैठकर यूजर के फोन को ऐक्सेस कर उसका पूरा कंट्रोल अपने हाथ में ले लेते हैं। आरबीआई की वॉर्निग के बाद से कई बैंकों ने एडवायजरी जारी कर दी थी। एप का इस्तेमाल जालसाज यूपीआई के जरिए पैसे चुराने में करते हैं।

इस तरह होती धोखाधड़ी

पुलिस का कहना है कि जालसाज खुद को बैंक, मोबाइल कंपनी का कर्मचारी बताकर कॉल करते हैं। फिर केवाईसी अपडेट करने, नंबर बंद होने, किसी अन्य तरह की सुविधा देने का झांसा देकर एप डाउनलोड कराते हैं। इसके बाद नाइन डिजिट के रिमोट डेस्क कोड की जानकारी देने के लिए फोन इस्तेमाल करने वाले को मना लेते हैं। कोड मिलते ही वह यूजर के मोबाइल को अपने कंट्रोल में लेकर संचालित करने लगते हैं। स्क्रीन की शेयरिंग होने से यूजर के मोबाइल से बैंक की डिटेल चोरी कर लेते हैं। यूजर जब अपने बैंक एकाउंट, यूजरनेम, पासवर्ड, आधार कार्ड नंबर सहित अन्य जानकारी देते हैं तो जालसाज उसे जान जाते हैं। यूपीआई पेमेंट एप के लिए उसका इस्तेमाल कर रुपए का ट्रांजेक्शन कर लेते हैं।

इस तरह से बचाव

- अननोन कॉल पर किसी तरह का एप डाउनलोड न करें। किसी तरह की जानकारी शेयर करने से बचें।

- कॉल सेंटर या बैंक का अधिकारी बनकर कोई कॉल करे और पेमेंट रिसीव करने के लिए कहे तो उसे अपना रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर कभी न दें।

- किसी से ट्रांजेक्शन भी कर रहे हैं तो किसी लिंक पर अपनी प्राइवेट जानकारी, कोई डेटा शेयर न करें।

- इंटरनेट पर आने वाले पॉप-अप एड, लुभावने ब्लिंकर्स को भी खोलने से बचें। किसी भी तरह की कोई निजी जानकारी, नाम, बर्थ डेट, नंबर, पता सहित कोई भी पर्सनल डिटेल न भरें।

वर्जन

एप के जरिए साइबर क्रिमिनल किसी के मोबाइल फोन को कंट्रोल में लेकर जानकारी चुरा लेते हैं। इस बात का पता यूजर को नहीं लग पाता है। सीमा के साथ भी इसी तरह की ठगी हुई है। साइबर क्रिमिनल रोजाना नए-नए तरीके अपना रहे हैं। पब्लिक की सुरक्षा और बचाव के लिए साइबर सेल लोगों को जागरूक कर रहा है। इसके लिए एक विशेष अभियान भी चलाया जाएगा।

डॉ। सुनील गुप्ता, एसएसपी

Posted By: Inextlive