Navratri 2022 : नवरात्र के पहले दिन देवी मंदिरों उमड़े श्रद्धालु
गोरखपुर (ब्यूरो).महानगर के गोलघर काली मंदिर, दाउदपुर काली मंदिर, बगहा बाबा दुर्गा मंदिर, शाहपुर काली मंदिर, मेडिकल कॉलेज रोड विंध्यवासिनी मंदिर, बुढिय़ा माता मंदिर, तरकुलहा माता मंदिर, जाफरा बाजार स्थित शीतला माता मंदिर, चौरहिया गोला स्थित शीतला माता मंदिर, रेती चौक स्थित कालीबाड़ी, जटाशंकर स्थित काली मंदिर, अशोक नगर दुर्गा मंदिर सहित तमाम देवी मंदिरों में माता के दर्शन को बड़ी संख्या में भक्त पहुंचे।माता मातेश्वरी सेवा दरबार से निकली भव्य कलश यात्रा
शारदीय नवरात्रि प्रतिपदा पर माता मातेश्वरी सेवा दरबार पचपेवा गोरखनाथ से एक भव्य कलश यात्रा निकाली गई। कलश यात्रा की शुरुआत दोपहर एक बजे पूजन-अर्चन आरती व वैदिक मंत्रोच्चार के साथ हुई। कलश यात्रा में बड़ी संख्या में महिलाएं, पुरुष और बच्चे शामिल हुए। कलश यात्रा में सबसे आगे मातेश्वरी ध्वज था, उसके बाद माता आदिशक्ति का रथ व प्रतिमा थी। बैंड, डंका, मृदंग तुरही कलश यात्रा की शोभा बढ़ा रहे थे। महिलाएं मंगलगीत गाते चल रही थीं। माता भक्तों के द्वारा जय माता दी का उद्घोष किया जा रहा था, जिससे पूरा वातावरण मातामय हो गया था। कलश यात्रा माता मातेश्वरी सेवा द्वारा दरबार पचपेवा से आरंभ होकर रामनगर चौराहा, कौडि़अहवा होते हुए गुरु गोरक्षनाथ मंदिर पहुंची जहां भीम सरोवर पर मां गंगा पूजन के बाद कलश जल पूरित किया गया। इसके बाद नगर भ्रमण में कलश यात्रा गोरखनाथ ओवर ब्रिज, धर्मशाला, गोलघर काली मंदिर होते हुए पुन: उसी मार्ग से वापस माता मातेश्वरी सेवा दरबार पहुंची, जहां शंखनाद पुष्पवर्षा और आरती के साथ कलश यात्रा का स्वागत कर कलश की स्थापना की गई। इस अवसर पर राजदेव, आचार्य सुनील, गणेश शर्मा, फूल चंद शर्मा, कृष्ण कुमार चौरसिया, विनम कुमार वैश्य, अरुण त्रिपाठी, रविन्द्र रावत, ईश्वर चंद विद्यासागर, सुरेंद्र, महेन्द्र कुमार सहित सैकड़ों की संख्या में भक्त शामिल हुए।आज होगी मां ब्रह्मचारिणी की आराधनाशारदीय नवरात्रि के दूसरे दिन माता के दूसरे स्वरूप माता ब्रह्मचारिणी की पूजा-अर्चना होगी। ब्रह्माजी की शक्ति होने से मां का यह स्वरूप ब्रह्मचारिणी नाम से लोकप्रसिद्ध हुआ। इनका उद्भव ब्रह्मा जी के कमंडल से माना जाता है। ब्रह्माजी सृष्टि के सर्जक हैं। ब्रह्मचारिणी उनकी शक्ति। ब्रह्मचारिणी देवी ज्ञान, वैराग्य और ध्यान की अधिष्ठात्री हैं। इनके एक हाथ में कमंडल और दूसरे में रुद्राक्ष की माला है। मां दुर्गा के उपासक इस दिन जितना ध्यान करेंगे उतना ही उन्हें श्रेष्ठ फल प्राप्त होगा।