-10 मार्च से 24 मार्च तक जिले में चलेगा दस्तक अभियान

-संभावित टीबी रोगियों के घर पर आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता लगाएंगी स्टीकर

GORAKHPUR: 2025 तक टीबी मुक्त भारत के संकल्प को पूरा करने के लिए दस्तक अभियान को तेज किया जाएगा। पहली बार दस्तक अभियान के दौरान घर-घर टीबी मरीज ढूंढे जाएंगे। अभियान 10 मार्च को शुरू होगा और 24 मार्च तक चलेगा। जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ। रामेश्वर मिश्र ने बताया कि अभियान के दौरान लक्षणों के आधार पर आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता संभावित टीबी रोगियों का पता लगाएंगी और जहां संभावित रोगी मिलेंगे वहां स्टीकर लगाया जाएगा। 2017 से दस्तक अभियान चलाया जा रहा है, जिसका मुख्य उद्देश्य दिमागी बुखार की रोकथाम के लिए रोगियों को ढूंढना है। पहली बार इसमें टीबी भी जोड़ा गया है।

दस्तक अभियान के तहत ढूंढे जाएंगे मरीज

जिला क्षय रोग अधिकारी ने बताया कि शासन से प्राप्त दिशा-निर्देशों के अनुसार दस्तक अभियान में कोविड-19 प्रोटोकाल का पालन करते हुए आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता बुखार के रोगियों को ढूंढने के साथ-साथ टीबी के लक्षण वाले रोगियों को ढूंढेगी। अगर किसी को दो सप्ताह से अधिक समय तक खांसी आ रही है, शाम को पसीने के साथ बुखार होता है, तेजी से वजन घट रहा है, सीने में दर्द है, भूख नहीं लगती है और दवा लेने के बावजूद खांसी स्थायी तौर पर नहीं रुक रही है तो यह टीबी का लक्षण हो सकता है।

टीबी की पुष्टि होने पर कोविड की होगी जांच

डॉ। मिश्र ने बताया कि ब्लॉक मुख्यालय की टीम टीबी के संभावित लक्षण वाले व्यक्ति से संपर्क कर उसकी माइक्रोस्कोपिक व आवश्यकतानुसार एक्स-रे जांच कराएगी। अगर टीबी की पुष्टि हो जाती है तो ट्रू-नॉट व सीबीनॉट जांच भी होगी। ऐसे मरीज का नि:शुल्क इलाज शुरू होगा और पोषण के लिए उनके खाते में 500 रुपये प्रति माह भेजा जाएगा।

जिले में टीबी का हाल

-इस साल अब तक कुल 8574 टीबी रोगी नोटिफाइड किए जा चुके हैं। पिछले साल कुल 11473 रोगी ढूंढे गए थे, जिनमें सफलता दर 87 फीसदी रही।

- अब तक कुल 57 बाल टीबी रोगियों को गोद लिया गया। जिनमें से 42 ठीक हो चुके हैं। कुल 15 बच्चों का इलाज चल रहा है।

- जिले में अब तक 16228 टीबी रोगियों को नि:क्षय पोषण योजना के तहत 500 रुपए प्रति माह की रकम उनके खाते में दी जा चुकी है।

वर्जन

अभियान के दौरान आशा एवं आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को बुखार के रोगियों, क्षय रोग के लक्षण युक्त व्यक्तियों, जन्म-मृत्यु पंजीकरण से वंचित लोगों, कुपोषित बच्चों और दिमागी बुखार से दिव्यांग हुए लोगों की सूची तैयार कर एएनएम के माध्यम से ब्लॉक मुख्यालय को प्रेषित करना है।

डॉ। सुधाकर पांडेय, सीएमओ

Posted By: Inextlive