-अन्य जिलों से आए लोगों को कमरा देने से बच रहे हैं गोरखपुराइट्स

-सिटी के मकान मालिकों पर अभी भी हावी है कोरोना का डर

anurag.pandey@inext.co.in

GORAKHPUR:

केस-1

प्रकाश का पिछले दिनों ही जौनपुर से गोरखपुर तबादला हुआ है। उन्होंने ड्यूटी तो ज्वॉइन कर ली है। अब फैमिली के लिए रूम ढूंढ रहे हैं, लेकिन उन्हें तमाम परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। कई कॉलोनियों और मोहल्लों में सर्च करने जा रहे हैं। लेकिन सिटी के मकान मालिक बाहर से आने का हवाला देकर कमरा देने से मना कर दे रहे हैं।

केस-2

सूरज अभी तक नोएडा में जॉब करते थे। अचानक नौकरी चले जाने के बाद उन्हें गोरखपुर आना पड़ा। वह अपनी फैमिली को गांव में रखने के बजाए वह सिटी में रखना चाहते हैं। इसके लिए कई दिनों से टू-बीएचके रूम ढूंढ रहे हैं। लेकिन 15 दिनों तक लगातार सर्च करने के बावजूद उन्हें रूम नहीं मिल रहा है।

जीहां, यह जो केसेज आप पढ़ रहे हैं, बिल्कुल रियल हैं। सिटी में बाहर से आए लोगों को रूम मिलना बहुत मुश्किल है। गोरखपुर सिटी के मकान मालिकों का कहना स्पष्ट है। घर में छोटे-छोटे बच्चे हैं। बुजुर्ग हैं। बाहर से आने वालों को रूम देने पर रिस्क है। भले ही घर खाली रहे, लेकिन किराए पर कमरा नहीं दे सकते।

हमने परखी सच्चाई

-जब लोगों को कमरा न मिलने की बात सामने आई तो दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट टीम ने इसकी सच्चाई परखने की ठानी।

-इसके लिए हमने दो-दो के ग्रुप में टीम को बांटा और डिफरेंट कॉलोनीज में भेजा।

-यहां पर टीम के मेंबर्स ने बताया कि वह अदर सिटी से ट्रांसफर होकर आए हैं और उन्हें किराए पर कमरा चाहिए।

-पहली टीम बिलंदपुर इलाके में पहुंची। कई जगह तो लोगों ने मकान खाली नहीं है कहकर घर के अंदर से ही मना कर दिया।

-इसके बाद टीम एक घर पर पहुंची तो वहां एक आदमी गेट पर आया। बातचीत में उन्होंने अपना नाम रविन्द्र दुबे बताया।

-टीम मेंबर्स ने उनसे किराए पर कमरा लेने की इच्छा जाहिर की, इस पर वो बोले कि मेरे घर कमरा तो खाली है, लेकिन घर पर पांच बच्चे हैं।

-हम लोगों ने डिसाइड किया है कि बच्चों की सेफ्टी के लिए किसी बाहरी को रूम किराए पर नहीं देंगे।

-बाहरी व्यक्ति कहां से आया है और कहां-कहां जाएगा कहीं कोरोना लेकर आ गया तो बच्चों का क्या होगा?

बाहर से आए हैं तो 'नो'

-दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट की दूसरी टीम मोहद्दीपुर पहुंची। वहां पर एक घर पर कॉलबेल बजाने पर एक व्यक्ति बाहर आए।

-टीम ने उनसे बताया कि मुझे किराए पर दो कमरे चाहिए। इस पर मकान मालिक ने बोला कि आप कहां से आए हैं।

-इस पर टीम मेंबर ने बताया कि मैं दिल्ली से आया हूं।

-यह सुनते ही इस पर मकान मालिक ने बोला कि अगर आप गोरखपुर के होते तो मैं थोड़ा विचार भी करता।

-बाहर से आए लोगों को मैं किराए पर घर नहीं दे पाऊंगा। मेरे घर पर मां और पिताजी हैं, जिनकी उम्र 60 से अधिक है।

सुनिए डॉक्टर क्या कहते हैं

-किसी को रूम देना या न देना मकान मालिक की पर्सनल च्वॉइस हो सकती है। लेकिन किसी को कोरोना के डर से मकान न देना अवेयरनेस की कमी है।

-सीएमओ सुधाकर पांडेय ने कहा कि कोरोना संक्रमित व्यक्ति 14 दिन के अपने होम आइसोलेशन की मियाद पूरी करने के बाद 7 दिन तक वो अपने घर पर रहता है।

-इसके बाद उसकी बॉडी एंटीबॉडी बन जाती है। वह प्लाज्मा डोनेट भी कर सकता है।

-एक बार ठीक होने के बाद वो किसी के घर जाने या गले लगने में भी कोई परेशानी नहीं है। इसके बाद वो अपना सामाजिक दायित्व निभा सकता है।

-ऐसे में यह कहना कि उसको कोरोना हो गया था, उससे दूरी बनाकर रखो। ऐसा करना कोरोना को मात दे चुके योद्धा को अपमानित करने जैसा है।

घबराएं नहीं, अलर्ट रहें

-कोरोना को लेकर किसी से भेदभाव करना ठीक नहीं है।

-कोई कहीं से भी आया हो, उससे दो गज दूरी बनाने, प्रॉपर मास्क का यूज और सेनेटाइजेशन के लिए बोलें।

-इस तरह आप अपने और अपने फैमिली मेंबर्स को सेफ रख सकते हैं।

-अगर किराएदार बाहर आता-जाता हो तो मेन गेट पर सेनेटाइजर रखें।

-उससे बोलें कि वह जब भी घर में एंट्री करे, सेनेटाइजर का यूज करे।

-छोटे-बच्चों और बुजुर्गो को किराएदार के डायरेक्ट टच में न आने दें।

वर्जन

कोरोना वैक्सीनेशन शुरू हो चुका है। ऐसे में लोगों को इस बीमारी से डरने की जरूरत नहीं है। जो भी बाहर से आए हैं, वह सेनेटाइजर और मास्क का यूज करके खुद को और दूसरों को सेफ रख सकते हैं। इसलिए पैनिक न हों। अवेयर रहें।

-डॉ। सुधाकर पांडेय, सीएमओ

Posted By: Inextlive