सिटी में इलेक्ट्रिक बसों के सड़क पर उतरने के साथ ही ऑटो चालकों पर बिजली गिरना शुरू हो गई है. इलेक्ट्रिक बसों का संचालन होने से ऑटो चालकों की मनमानी किराया वसूली पर चोट होने का असर रविवार को देखने को मिला. स्थानीय चंपा देवी पर बड़ी संख्या में ऑटो चालक जुटे और इलेक्ट्रिक बसों का किराया ऑटो के समान करने के लिए शोरशराबा शुरू कर दिया.


गोरखपुर (ब्यूरो)। ऑटो चालकों ने कहा कि इलेक्ट्रिक बस चलने से ऑटो चालकों पर काफी प्रभाव पड़ रहा है। हालांकि, पोल्यूशन फ्री इलेक्ट्रिक बसों को गोरखपुराइट्स पसंद कर रहे हैं और दिन-प्रतिदिन पैसेंजर्स की संख्या भी बढ़ती जा रही है। समान हो इलेक्ट्रिक बस और ऑटो का किराया चंपा देवी पार्क में रविवार को ऑटो चालकों ने 6 सूत्रीय मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन किया। ऑटो चालकों ने कहा, शहर में इलेक्ट्रिक बस चलाने का कोई मतलब नहीं है। इलेक्ट्रिक बस और ऑटो का किराया समान होना चाहिए। गोरखपुर जिले में 15 हजार ऑटो संचालित होते हैं, जिन्हें खड़ा करने के लिए शहर के अंदर कहीं भी स्टैंड नहीं है। इस वजह से परेशानी होती है। सिटी बस सेवा चलने से ऑटो चालकों पर काफी प्रभाव पड़ रहा है। ऑटो चालक पिंटू तिवारी, विवेक, श्रवण कुमार, दीपक, अभय ने कहा, बैंक का लाखों रुपए का


लोन है, जिसे भर पाने में असमर्थ हैं। इसलिए जिम्मेदारों को चाहिए कि इसका समाधान करें। ऑटो चालक करते हैं मनमाना वसूली शहर में ऑटो और टैक्सी चालकों की ओर से मनमाना किराया वसूल करने का मामला कई बार सामने आ चुका है। इससे पैसेंजर्स को परेशानी होती है। शहर में 15 इलेक्ट्रिक बसों का

संचालन होने से ऑटो चालकों की मनमाना किराया वसूली पर अंकुश लगने लगा है, क्योंकि इलेक्ट्रिक बसों का न्यूनतम किराया पांच रुपए और अधिकतम 25 रुपए निर्धारित है। साथ ही पैसेंजर्स को आरामदायक और सस्ता सफर करने को मिल रहा है। नियम और कायदों को रौंदते ऑटो चालक शहर में ओवरलोड ऑटो पब्लिक की जान से खिलवाड़ करते हैं। चालक अपने फायदे के लिए ऑटो में ठूस-ठूस कर सवारियां भर लेते हैं, लेकिन उन्हें उनकी जान की कोई फिक्र नहीं हैं। नियम के अनुसार परिवहन विभाग ने एक ऑटो में 5-6 लोगों को बिठाने की अनुमति दे रखी हैं। लेकिन शहर में ओवरलोड ऑटो देखे जा सकते हैं। इलेक्ट्रिक बस में आरामदायक सफर इलेक्ट्रिक बस में पैसेंजर्स के बैठने के लिए आरामदायक 28 सीटे हैं। इसमें एक ड्राइवर की सीट हैं। यह बस आधुनिक सुविधाओं से लैस है। ड्राइवर के हाथ से ही पूरा सिस्टम चलता है। यदि किसी भी पैसेंजर्स को बीच रास्ते में उतरना है तो बिना ड्राइवर के वह नहीं उतर सकता है, क्योंकि बस का डोर ड्राइवर के बटन दबाने के बाद ही खुल सकता है। यदि पैसेंजर्स चाहेगा तो भी नहीं डोर खुलेगा। आवाज रहित बस पूरी तरह से प्रदूषण युक्त है और सुरक्षा की दृष्टि से सेफ है।

इलेक्ट्रिक बस की 2 दिन में 95 हजार की कमाई शहर में शुरू हुई इलेक्ट्रिक बसों की दो दिन की कमाई 95 हजार रुपए रही। तय तीन रूटों पर रेगुलर बसों का संचालन किया जा रहा है। बस में बैठने को लेकर लोग उत्साहित हैं। शहर में फिलहाल अभी 15 बसों का संचालन किया जा रहा है। जल्द ही 10 और इलेक्ट्रिक बसें आने वाली हैं।दूरी के हिसाब से इलेक्ट्रिक बसों का किराया दूरी किराया तीन किमी। 05 तीन से छह किमी। 11 छह से 11 किमी। 1611 से 15 किमी। 2115 से 20 किमी। 26 20 से 25 किमी। 32
25 किमी। से ज्यादा 37 ऑटो किराया कचहरी से मोहद्दीपुर -10 रुपए कचहरी से यूनिवर्सिटी- 15 रुपए कचहरी से बनसप्ति- 25 रुपए शास्त्री चौक से नौसढ़-15 रुपए शास्त्री चौक से आईटीएम-20 रुपए धर्मशाला से राधिका कॉम्पलेक्स-10 धर्मशाला से रेल विहार-15 धर्मशाला से मेडिकल कॉलेज-20 धर्मशाला से रातपुर-25 रुपए धर्मशाला से राजेंद्र नगर-15 धर्मशाला से गोरखनाथ-10 धर्मशाला स्टेशन से कचहरी -10 धर्मशाला स्टेशन से टीपी नगर, रुस्तमपुर-15 रुपए यूनिवर्सिटी कचहरी से कुसम्ही बाजार तक -20 रुपए कोट ऑटो से बेहतर सुविधा सिटी बस सेवा में है। ऑटो चालक कम दूरी का अधिक किराया लेते हैं। मगर सिटी बस सफर करना सस्ता है। सुरक्षा की दृष्टि से भी अच्छी है। जंतो सैनी, पैसेंजर इलेक्ट्रिक बस का संचालन जब से हो रहा है। तब से ऑटो में चलना छोड़ दिया है। क्योंकि किराया कम हैं। ऑटो का किराया कम होने के बावजूद मनमाना किराया वसूलते हैं। कई बार तो विवाद करने लगते हैं। बृजकिशोर मिश्रा, पैसेंजर इलेक्ट्रिक बस बहुत ही आरामदायक है। ऑटो चालक नियम को दरकिनार कर ठूंस-ठूंस कर सवारी बैठा लेते हैं, जिससे दुर्घटना की आशंका बनी रहती है। सिटी बस सेवा बेहतर सेवा है। पूर्णिमा, पैसेंजर
ऑटो चालक मानक से ज्यादा सवारी ऑटो में बैठाते हैं। इससे दिक्कत होती है, लेकिन इलेक्ट्रिक बस में जगह की कोई कमी नहीं है। यात्रा करके अच्छा लग रहा है। किराया भी किफायती है। राहुल साहनी, पैसेंजर

Posted By: Inextlive