- 10 लोगों को जेल भेजने के मामले में फंसेगा पेंच

- एएसपी के ट्रांसफर होने के बाद सुस्त पड़ी रफ्तार

GORAKHPUR: शहर में फर्जी लाइसेंस के सहारे बंदूक खरीदने के मामले में एसआईटी पर निशाने पर आ गई है। फर्जी लाइसेंस संग अवैध असलहा रखने के आरोप में जेल भेजे गए 10 लोगों ने सीएम को पत्र देकर टीम को कटघरे में खड़ा कर दिया है। राष्ट्रीय पंचायती राज ग्राम प्रधान संगठन उत्तर प्रदेश के पदाधिकारियों ने एसआईटी पर फर्जी तरीके से गिरफ्तारी करने का आरोप लगाया है। उधर, सीओ कैंट-एएसपी रोहन प्रमोद बोत्रे के तबादले के बाद से जांच की प्रक्रिया सुस्त पड़ गई है। सीएम से शिकायत दर्ज कराने वाले लोगों का आरोप है कि खोराबार थाना पर 10 लोगों को फर्जी तरीके से अरेस्ट किया गया था। हालांकि पुलिस अधिकारियों का कहना है कि मामले की जांच पड़ताल की जा रही है। अभी इस प्रकरण से जुड़े कुछ अन्य लोगों की तलाश चल रही है।

जमानत पर छूटकर कलेक्ट्रेट से निकाली पक्की नकल

शहर में फर्जी लाइसेंस प्रकरण में खोराबार एरिया से 06 अक्टूबर को पुलिस ने आ‌र्म्स एक्ट में 10 लोगों को अरेस्ट किया था। आरोप है कि इनके पास मिले असलहे का लाइसेंस नहीं था। इस मामले में एसआईटी ने रामचंद्र, विजय प्रताप सिंह, मोहम्मद बिन कासिम, विनोद चौधरी, जगदीश शुक्ला, रामहित यादव, रामाशीष यादव, मोहम्मद आलम, रामनयन और राम निवास यादव को अरेस्ट किया। प्रतिनिधि मंडल का कहना है कि जमानत पर छूटने के बाद सभी लोगों ने कलेक्ट्रेट के अंग्रेजी दफ्तर से अपना रिकार्ड निकवलाया। उनका कहना है कि 10 लोगों के लाइसेंस की स्वीकृति प्रक्रिया पूरी होने पर हुई थी। आरोप है कि सभी लोगों को एसआईटी ने फर्जी तरीके से मुकदमा दर्ज कराकर अरेस्ट कर लिया था।

एसआईटी की जांच में आई रुकावट, बढ़ेगा मामला

शहर में फर्जी लाइसेंस पर असलहा खरीदने का मामला सामने आया था। इस प्रकरण की जांच के लिए एक स्पेशल इनवेस्टिगेशन टीम गठित की गई। जांच टीम ने कार्रवाई शुरू की तो तमाम लोग परेशान हो गए। ढाई से पांच लाख रुपए खर्च करके कई लोगों ने लाइसेंस बनवाए थे। जांच टीम ने पाया कि फर्जी लाइसेंस के आधार पर सभी ने बंदूके खरीद ली है। एएसपी रोहन प्रमोद बोत्रे की अगुवाई में टीम जांच जारी रही। लेकिन इस बीच उनका तबादला एसपी सिटी आगरा के रूप में हुई। इसके बाद से जहां खोजबीन ढीली पड़ गई। वहीं इस मामले में एसआईटी भी घिरने लगी है। इस प्रकरण में 25 लोगों को अरेस्ट करके पुलिस जेल भेज चुकी है।

फर्जी लाइसेंस प्रकरण में हुइर् कार्रवाई

14 अगस्त: लाइसेंस बाबू राम सिंह ने मुकदमा दर्ज कराया।

15 अगस्त: पुलिस ने गोरखनाथ के नामजद आरोपी तनवीर को जेल भेजा।

23 अगस्त: प्रापर्टी डीलर विजय प्रताप गिरफ्तार हुआ।

26 अगस्त: गोपी उर्फ शमशेर और विकास तिवारी पकड़े गए।

28 अगस्त: ढाबा संचालक प्रणय प्रताप और प्रापर्टी डीलर शमशाद जेल गए।

29 अगस्त: रवि आ‌र्म्स कारपोरेशन का संचालक रवि पांडेय पुलिस के हत्थे चढ़ा।

05 सितंबर: असलहा बाबू राम सिंह, अशोक गुप्ता और संविदा कर्मचारी अजय गिरी को पुलिस ने गिरफ्तार किया।

12 सितंबर: रवि पांडेय व विजय प्रताप को कैंट पुलिस ने रिमांड पर लिया।

21 सितंबर : पूर्व असलहा बाबू विजय प्रकाश श्रीवास्तव व सपा नेता मो। आजम को गिरफ्तार किया।

06 अक्टूबर: खोराबार एरिया में पुलिस ने 10 लोगों को फर्जी लाइसेंस पर बंदूक रखने के आरोप में पकड़ा।

25 अक्टूबर : चिलुआताल एरिया से दो प्रापर्टी डीलर को पुलिस ने अरेस्ट किया।

02 नवंबर : फर्जी लाइसेंस पर असलहा रखने के आरोप में गोरखनाथ एरिया के डॉ। विवेक को पुलिस ने अरेस्ट किया।

जांच प्रभावित करने की हो चुकी है कोशिश

एसआईटी की जांच शुरू होने पर तमाम लोगों ने अपने अहसले फेंक दिए। लाइसेंस और बंदूकों को नदी और तालाब में डाल दिया। यह जानकारी होने पर पुलिस टीम ने जांच का दायरा बढ़ा दिया। इस दौरान कई लोगों ने एसआईटी की जांच को प्रभावित करने का प्रयास किया। टीम पर तरह-तरह के आरोप भी लगे। लेकिन बाद में एएसपी के ट्रांसफर के बाद मामला शांत पड़ गया। अब जांच टीम पर फर्जी तरीके से गिरफ्तारी और जेल भेजने के आरोप लगने लगे हैं। हालांकि यह भी माना जा रहा है कि जांच प्रभावित करने के लिए कोई साजिश रची जा रही है।

इस प्रकरण की जांच चल रही है। अभी तक ऐसा कोई मामला नहीं आया जिसमें किसी को गलत तरीके से अरेस्ट किया गया है। जांच के दौरान तरह-तरह के आरोप लगते रहते हैं। लेकिन इससे जांच प्रभावित नहीं होगी।

सुमित शुक्ला, सीओ कैंट

Posted By: Inextlive