Father's Day 2022: सुपरहिट सिंगल फॉदर
गोरखपुर (ब्यूरो)। बालीवुड एक्टर तुषार कपूर, डायरेक्टर करण जौहर, एक्टर राहुल देव और एक्टर राहुल बोस इसका जीता जागता उदाहरण हैं। वैसे गोरखपुर की बात करें तो यहां कई ऐसे शख्स हैं, जिनकी मदर के न रहने पर उनके पापा ने उन्हें पाला। अच्छी परवरिश देकर सोसाइटी में मान-सम्मान दिलाया। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट के साथ फादर्स डे पर कुछ बच्चों ने ऐसी ही बातेें शेयर कीं। फक्र से बताया कि मां के गुजर जाने पर पापा ने अगर सही से देखभाल न की होती तो आज वह इस मुकाम पर न होते। ऐसे बच्चों के लिए जमीर, जागीर और तकदीर बने पारा सुपरहिट सिंगल फादर हैं। सुपर हीरो हैं पापा, बिना कहे सब कुछ समझते
सिटी के जाफरा बाजार निवासी पल्लवी शर्मा आरपीएम एकेडमी सिविल लाइंस में टीचर हैं। वह फूड ब्लॉगर भी हैं। उनकी मदर का निधन 2016 में ब्रेन हैमरेज के चलते हो गया था। इसके बाद परिवार में मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा। दो भाइयों और एक बहन की परवरिश की चिंता पिता दिनेश शर्मा पर आ गई। पल्लवी ने बताया कि पिता ने पहले तो खुद को संभाला, फिर एक स्कूल में अकाउंटेट की नौकरी करते हुए उनकी और भाइयों की जिम्मेदारी बखूबी संभाली। इतने साल गुजर गए लेकिन उन्होंने कभी भी मदर की कमी महसूस नहीं होने दी। पापा बिना कहे ही सब कुछ समझ जाते हैं, जिससे उनकी हर दिक्कतें दूर हो जाती हैं। पापा सुपर हीरो हैं। पल्लवी ने बताया, बीएससी में फेल होने पर पापा ने डांटने की बजाय स्ट्रांग बनने का मंत्र दिया। उन्होंने कहा कि जिंदगी में उतार चढ़ाव आते रहते है। पीछे मुड़कर देखने की जगह आगे बढऩा सीखना चाहिए। इसके बाद बीएससी छोड़कर बीए और बीएड किया। आज टीचर बनकर बच्चों को पढ़ा रही हूं। रीयल हीरो हैं पापा, सबकुछ उन्हीं से सीखा
सिटी के सूरजकुंड निवासी अभिषेक भट्ट गजेना बॉयोटेक कंपनी चलाते हैं। वह डायरेक्टर होने के साथ ही फूड ब्लॉगर भी है। उन्होंने बताया कि उनके पिता गजेंद्र भट्ट पशु चिकित्सालय में कार्यरत हैं। साल 2016 में कैंसर से उनकी मदर का निधन हो गया। उस वक्त वह क्लास 12वीं में थे। इसके बाद पापा पर चार बेटों की जिम्मेदारी आ गई। पापा ने सभी को मदर की कमी महसूस नहीं होने दी। उन्होंने नौकरी करते हुए अच्छी परवरिश दी। पापा रीयल हीरो हैं, उनकी वजह से सब कुछ सीखा और आगे बढ़ता चला गया। आज भी पापा हौसला बढ़ाते रहते हैं। अभिषेक ने बताया कि वह बचपन में दब्बू किस्म के थे। बोलने में हकलाते भी थे। पापा ने जब यह देखा तो उन्होंने मोटिवेट किया। साथ ही लोगों से मिलवाने ले जाने लगे। धीरे-धीरे यह कमी दूर होती गई। आज भी पिता की दी गई सीख काम आती है। पापा ही जीवन का आधार हैं। पापा पर है गर्व, नाम करना है रोशन पुलिस लाइन निवासी दरोगा सुरेंद्र यादव की पत्नी का बीमारी से निधन 2017 में हो गया। इसके बाद उन पर चार बेटियों और एक बेटे के परवरिश की जिम्मेदारी आ गई। ड्यूटी का बिजी शेड्यूल होने के बाद भी उन्होंने बच्चों की परवरिश में कोई कमी नहीं छोड़ी। यही कारण है कि सभी बच्चे अच्छे तरीके से रहकर पढ़ाई कर रहे हैं। उनकी बेटी सौम्या ने बताया कि पापा उनकी हर छोटी-छोटी खुशियों को पूरा करते हैं। मां की कमी कभी महसूस नहीं होने देते। पापा पर गर्व है, उनका नाम रोशन करना है। सौम्या ने बताया, तीन बहनें प्रिया, शालिनी, अनुष्का और भाई सुशांत उनसे छोटा है। मां के निधन के बाद पापा को पहले उन लोगों की देखरेख में काफी दिक्कत होती थी। धीरे-धीरे बड़े होने पर परेशानियां कम होती गईं। अब सबकुछ ठीक है।