- गीता प्रेस में 1939 में छापी गई थी रामचरितमानस की पहली प्रति

- अब तक चार करोड़ रामचरित मानस छापकर बनाया नया रिकॉर्ड

GORAKHPUR: दुनिया की श्रेष्ठ 50 कालजयी रचनाओं में शामिल तुलसीदास रचिम रामचरित मानस, देश, काल और परिस्थितियों से परे हो लोक में सहज यात्रा कर रहा है। गीता प्रेस तुलसी के राम को जन-जन तक पहुंचाने से सेतु साबित हुआ है। गीता प्रेस की शुरुआत 1923 में हुई थी, सबसे पहले यहां से श्रीमद्भागवत गीता का प्रकाशन शुरु हुआ। रामचरित मानस का प्रकाशन गीता प्रेस से 1939 में शुरु हुआ, जो अब भी निरंतर जारी है। गीता प्रेस अब तक रामचरित मानस की तीन करोड़ 87 लाख प्रतियां देश-दुनिया में पहुंचा चुका है। वहीं बात अगर बाल्मिकी रामचरित मानस की करें तो इसकी संख्या लगभग 11 लाख 40 हजार को पार कर गई है। इस तरह गीता प्रेस ने अब तक 4 करोड़ रामचरित मानस पब्लिश कर एक बड़ी उपलब्धि हासिल कर ली है।

अनेक धार्मिक किताबों का प्रकाशन

गीता प्रेस की स्थापना हर किसी तक अच्छी व श्रीमद्भागवत गीता पहुंचाने के लिए हुई थी, लेकिन गीता प्रेस सिर्फ श्रीमद्भागवत गीता के प्रकाशन तक नहीं सिमटा रहा। धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए गीता प्रेस अनेक धार्मिक पुस्तकों का प्रकाशन निरंतर होता रहा है। यहां से सबसे अधिक प्रकाशित होने वाली श्रीमद्भागवत गीता के बाद अगर किसी धार्मिक पुस्तक का नाम आता है, तो वह रामचरित मानस का है। 92 सालों से गीता प्रेस से रामचरित मानस का प्रकाश हो रहा है। हिन्दी के अलावा अंग्रेजी, उडि़या, बांग्ला, तेलगू, मराठी, गुजराती, कन्नड, नेपाली, असमिया भाषाओं में प्रकाशित हो रहा है। हर गीता प्रेस की वेबसाइट पर भी रामचरित मानस को पढ़ा जा सकता है।

तुलसीदास रचित श्रीरामचरितमानस

हिन्दी-3,35,12790

गुजराती-46,58000

अंग्रेजी-1,50,500

उडि़या-1,22500

मराठी-75,000

तेलगू-70,150

बांग्ला-46,000

कन्नड़-24,000

नेपाली-13,500

असमिया-2500

बाल्मिकी रामचरित मानस

हिन्दी57,51,500

अंग्रेजी-80,200

तमिल-68,500

कन्नड़-25,500

गुजराती-19,500

बांग्ला-8000

तेलगू-1,92000

गीता पे्रस से प्रकाशित होने वाली पुस्तकों में श्रीमद्भागवत गीता के बाद रामचरित मानस का स्थान आता है। दुनियाभर में रामचरित मानस की मांग है। लोगों के मांग के अनुरूप रामचरित मानस को प्रकाशन निरंतर हो रहा है।

- लालमणि तिवारी, उत्पाद प्रबंधक, गीता प्रेस

Posted By: Inextlive