साल 2021 में जनगणना ना होने की वजह से अब कई वार्डों की जॉगरफी बदल जाएगी. साल 2011 की जनसंख्या के आधार पर नगर निगम के वार्डों का परिसीमन होता है तो एक भी वार्ड घटेंगे-बढ़ेंगे नहीं. बल्कि आधा दर्जन वार्डों का वजूद ही खतरे में आ सकता है. कुछ नये नाम से वार्डों का सृजन भी संभव है. ऐेसे में पुराने दिग्गज पार्षदों को नये इलाके में वोट के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ेगी. ऐसी भी उम्मीद है कि प्रदेश सरकार अध्यादेश लाकर कुछ वार्डों को बढ़ा सकती है.


गोरखपुर (ब्यूरो).नगर निगम की नियमावली के मुताबिक 6 से 9 लाख की आबादी वाले शहरों में 70 से अधिक वार्ड नहीं हो सकते हैं। नगर निगम में शामिल 32 गांव के बाद भी शहर की आबादी 2011 की जनगणना के आधार पर 9 लाख नहीं पहुंच सकी है। 32 गांव की आबादी शामिल करने के बाद भी शहर की जनसंख्या 7,70,772 ही है। हालांकि, जानकार मान रहे हैं वर्तमान में शहर की वास्तविक आबादी 14 लाख से अधिक है। निकाय के मानक के मुताबिक एक वार्ड की औसत जनसंख्या 11,116 हो सकती है।छोटे वार्ड होंगे प्रभावित


परिसीमन के समय वार्डों के निर्धारण में औसत जनसंख्या में 15 फीसदी जनसंख्या जोड़ी जा सकती है या कम की जा सकती है। ऐसे में एक वार्ड की जनसंख्या 9000 से कम और 12,500 से अधिक नहीं हो सकती है। परिसीमन के जुटे अधिक वार्डों का नये सिरे से निर्धारण के समय उत्तर से पश्चिम कोना मिलाएंगे। ऐसे में कई वार्डों की भूगोल बदलना तय है। सर्वाधिक असर छोटे वार्डों पर पड़ेगा।इन वार्डों के वजूद पर खतरा

नगर निगम में कई ऐसे वार्ड हैं, जिनकी जनसंख्या 9000 से कम है। ऐसे में इन वार्डों के भूगोल में सर्वाधिक बदलाव होगा। इन वार्डों में बिछिया रेलवे कॉलोनी, कृष्णानगर, पुर्दिलपुर, लोहियानगर, रेलवे बौलिया कॉलोनी आदि शामिल है। इन वार्डों में दूसरे वार्डों की आबादी को शामिल किया जा सकता है। या फिर नये सिरे से वार्डों का गठन किया जा सकता है। नियम के मुताबिक प्रत्येक दस वर्ष में वार्ड का नाम और भौगोलिक स्थिति में बदलाव हो सकता है। अंतिम बार वार्डों के भूगोल में बदलाव 2006 में हुआ था। हालांकि पार्षदों का बड़ा वर्ग 2021 की जनसंख्या के आधार पर वार्डों का गठन चाहता है। उपसभापति ऋषि मोहन वर्मा का कहना है कि 'वर्तमान में शहर की आबादी 10 लाख से कही अधिक है। कम जनसंख्या के आकड़े से निगम को कई केन्द्रीय फंड नहीं मिल पाते हैं। ऐसे में 2021 की जनसंख्या के आधार पर वार्डों के गठन से विकास को नई रफ्तार मिलेगी।वर्तमान जनसंख्या के आकड़ों के मुताबिक नगर निगम में 70 से अधिक वार्ड नहीं हो सकते हैं, लेकिन शासन से कोई गाइडलाइन आती है तो वार्डों की संख्या में फेरबदल संभव है। इसके लिए अभी इंतजार करना होगा।आरबी सिंह, अपर नगर आयुक्त

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