फेस्टिव सीजन में मार्केट का मूड फुल हाई है. कस्टमर्स की अच्छी-खासी भीड़ के चलते सोना-चांदी ऑटो-मोबाइल रियल एस्टेट और मोबाइल-गैजेट्स के अलावा कपड़ों साज-सज्जा और किराना कारोबार के अच्छे दिन आ गए हैं. इन सबके बीच पब्लिक फेस्टिव सीजन में भी इंवेस्टमेंट के मूड में है. ऐसे में शक्ति की भक्ति के बीच यदि आप गोल्ड में निवेश करते हैं तो फ्यूचर सोने पे सुहागा होगा.


गोरखपुर संतोष गिरि। गोल्ड में इंवेस्टमेंट के लिए बहुत सी गवर्नमेंट और नॉन गवर्नमेंट स्कीम हैं। गोल्डन इंवेस्टमेंट में सॉवरेन गोल्ड स्कीम, सेव टू स्पार्कल स्कीम और गोल्ड ईटीएफ आपको फायदा दे सकती हैं। इनमें सेविंग अकाउंट से कही ज्यादा 6 से 12 परसेंट तक रिटर्न मिलता है। बड़ी संख्या में गोरखपुराइट्स इसका फायदा भी ले रहे हैं। एसबीआई माया बाजार के मैनेजर व्योमेश उपाध्याय ने बताया, सॉवरेन गोल्ड बांड स्कीम सोने में निवेश करने की गोल्ड बांड योजना है, जिसे आरबीआई ने जारी किया है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य सोने की फिजिकल मांग को कम करना है, ताकि भारत में सोने के आयात को कम किया जा सके। इस योजना में निवेशक को गोल्ड बांड जारी किया जाता है और बांडों की परिपक्ता अवधि बाद कैश में भुनाया जा सकता है। सॉवरेन गोल्ड बांड के रूल्स को फॉलो करना जरूरी है।


सॉवरेन गोल्ड बांड में इंवेस्टमेंट के फायदे- कर्ज लेने के लिए कोलैटरल के रूप में किया जा सकता है। - इन बांड को एक्सचेंजों में ट्रेड किया जा सकता है, ताकि इंवेस्टर्स समय से पहले भी अगर चाहें तो एग्जिट कर सकते हैं।

- सोने की वह मात्रा जिसके लिए निवेशक भुगतान करता है, उसका मूल्य सुरक्षित रहता है क्योंकि निवेशक को भुगतान, सोने के वर्तमान मूल्य के हिसाब या परिपक्वता अवधि के समय चल रहे मूल्य के हिसाब से किया जाता है।- ये सोने के चोरी हो जाने के डर से भी मुक्ति प्रदान करते हैं।- सोने के आभूषण बनवाने के समय मेकिंग चार्ज लिया जाता है और सोने की शुद्धता की भी चिंता रहती है। इन बांड से ये समस्या भी दूर हो गई है।- सोने की कीमतों में इजाफे के अलावा निवेशक को 2.5 परसेंट की दर से अतिरिक्त ब्याज भी मिलता है।सेव टू स्पार्कल स्कीम: 12 परसेंट तक मिलता है इंट्रेस्ट ऐश्प्रा जेम्स एंड ज्वेल्स के डायरेक्टर अनूप सराफ ने बताया, सेव टू स्पार्कल स्कीम में सिटी के लोग काफी निवेश कर रहे हैं। इस स्कीम को एक हजार से स्टार्ट कर सकते हैं। आगे जितना मर्जी उतना निवेश कर लें। इस स्कीम में कस्टमर्स को 10 माह तक निवेश करना पड़ेगा और दो माह का नहीं देना होगा। ये समझ लीजिए कि सेविंग अकाउंट से अधिक ब्याज मिल जाता है। सेव टू स्पार्कल स्कीम में करीब 12 प्रतिशत तक ब्याज कस्टमर्स को मिलता है। कस्टमर चाहे तो अपने निवेश की रेंज में मनपसंद ज्वेलरी खरीद सकता है। इमरजेंसी में 6 मंथ में पैसा वापस

डायरेक्टर सराफ के अनुसार किसी भी कारणवश आपको कोई दिक्कत आ जाती है तो 6 माह बाद आपका पैसा वापस हो जाएगा और एक क्रेडिट वाउचर मिल जाएगा। क्रेडिट वाउचर से दो साल के अंदर फिर निवेश कर पिछला किए हुए निवेश का रिटर्न ऑफ इंट्रेस्ट आपको मिलेगा। इससे कस्टमर्स को ज्यादा फायदा होता है।गोल्ड क्वाइन नहीं, ज्वेलरी में कर रहे इंवेस्टमेंट ऐश्प्रा के डायरेक्टर अतुल सराफ ने कहा, लोगों का गोल्ड क्वाइन में इंट्रेस्ट कम हुआ है। साल दर साल गोल्ड क्वाइन में निवेश घटता जा रहा है। सिटी के लोग अब ज्वेलरी पर ज्यादा फोकस्ड हैं। ज्वेलरी महिलाओं का फैशन भी है और निवेश भी। ज्वेलरी खरीदने से दो फायदे हैं। गोल्ड में निवेश का अच्छा समय है। अभी गोल्ड का रेट कम है, लेकिन अब धीरे-धीरे बढ़ रहा है।घर बैठे करें इंवेस्टमेंट ऐश्प्रा डायरेक्टर बताते है कि सेव टू स्पार्कल एप भी आ गया है। स्कूल गोइंग स्टूडेंट्स भी इस एप के जरिए निवेश कर सकते हैं। ऐश्प्रा के किसी भी शोरूम में जाकर खरीदारी कर सकते हैं। एप से कस्टमर्स को बहुत फायदा मिलेगा। गोल्ड ईटीएफ भी निवेश का सही विकल्प
मल्टी स्फीयर कंसलटेंसी के एमडी आशीष अग्रवाल ने बताया, सोने में निवेश करने का ये सही समय है, क्योंकि आने वाले समय में सोने के दामों में फिर तेजी देखी जा सकती है। अगर आप भी सोने में निवेश करने का मन बना रहे हैं तो गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड या गोल्ड ईटीएफ में निवेश करना सही रहेगा। क्या है गोल्ड ईटीएफयह एक ओपन एंडेड म्यूचुअल फंड होता है, जो सोने के गिरते-चढ़ते भावों पर आधारित होता है। ईटीएफ बहुत अधिक कॉस्ट इफेक्टिव होता है। एक गोल्ड बहुत अधिक कॉस्ट यूनिट का मतलब है कि 1 ग्राम सोना। वह भी पूरी तरह से प्योर। यह गोल्ड में इन्वेस्टमेंट के साथ स्टॉक में इन्वेस्टमेंट की फ्लेक्सिबिलिटी देता है। गोल्ड ईटीएफ की खरीद-बिक्री शेयर की ही तरह ईटीएफ और एनएसई पर की जा सकती है। हालांकि, इसमें आपको सोना नहीं मिलता। आप जब इससे निकलना चाहें, तब आपको उस समय के सोने के भाव के बराबर पैसा मिल जाएगा।गोल्ड ईटीएफ में इंवेस्टमेंट के लाभ
कम मात्रा में भी खरीद सकते हैं सोना: इटीएफ के जरिए सोना यूनिट्स में खरीदते हैं, जहां एक यूनिट एक ग्राम की होती है। इससे कम मात्रा में या एसआईपी के जरिए सोना खरीदना आसान हो जाता है। वहीं, फिजिकल सोना आमतौर पर एक तोला (10 ग्राम) के भाव बेचा जाता है। ज्वेलरी शॉप से खरीदने पर कई बार कम मात्रा में सोना खरीदना संभव नहीं हो पाता।शुद्ध सोना: गोल्ड ईटीएफ की कीमत पारदर्शी और एक समान होती है। यह लंदन बुलियन मार्केट एसोसिएशन का अनुसरण करता है, जो कीमती धातुओं की ग्लोबल अथॉरिटी है। वहीं, फिजिकल गोल्ड अलग-अलग विक्रेता या ज्वेलर अलग-अलग कीमत पर दे सकते हैं। गोल्ड ईटीएफ से खरीदे गए सोने की 99.5 परसेंट शुद्धता की गारंटी होती है। नहीं आता ज्वेलरी मेकिंग का खर्च: गोल्ड ईटीएफ खरीदने में 0.5 परसेंट या इससे कम की ब्रोकरेज लगती है, साथ ही पोर्टफोलियो मैनेज करने के लिए सालाना 1 परसेंट चार्ज देना पड़ता है। यह उस 8 से 30 फीसदी मेकिंग चार्जेस की तुलना में कुछ भी नहीं है, जो ज्वेलर और बैंक को देना पड़ता है, भले ही आप सिक्के या बांड खरीदें।सुरक्षित रहता है आपका सोना: इलेक्ट्रॉनिक गोल्ड डीमैट अकाउंट में होता है, जिसमें सिर्फ सालाना डीमैट चार्ज देना होता है। साथ ही चोरी होने का डर नहीं होता। वहीं फिजिकल गोल्ड में चोरी के खतरे के अलावा उसकी सुरक्षा पर भी खर्च करना होता है।बिजनेस करने में आसानी: गोल्ड ईटीएफ को बिना किसी परेशानी के तुरंत खरीदा और बेचा जा सकता है। गोल्ड ईटीएफ को लोन लेने के लिए सिक्योरिटी के तौर पर भी इस्तेमाल कर सकते हैं। डीमैट अकाउंट खोलना होगागोल्ड ईटीएफ खरीदने के लिए आपको अपने ब्रोकर के माध्यम से डीमैट अकाउंट खोलना होता है। इसमें एनएसई पर उपलब्ध गोल्ड ईटीएफ के यूनिट आप खरीद सकते हैं और उसके बराबर की राशि आपके डीमैट अकाउंट से जुड़े बैंक अकाउंट से कट जाएगी। आपके डीमैट अकाउंट में ऑर्डर लगाने के दो दिन बाद गोल्ड ईटीएफ आपके अकाउंट में डिपॉजिट हो जाते हैं। ट्रेडिंग खाते के जरिए ही गोल्ड ईटीएफ को बेचा जाता है। सोने में सीमित निवेश फायदेमंदभले ही आपको सोने में निवेश करना पसंद हो, पर सीमित निवेश करना चाहिए। जोकि फायदेमंद रहता है। कुल पोर्टफोलियो का सिर्फ 10 से 15 परसेंट ही सोने में निवेश करना चाहिए। किसी संकट के दौर में सोने में निवेश आपके पोर्टफोलियो को स्थिरता दे सकता है, लेकिन लंबी अवधि में यह आपके पोर्टफोलियो के रिटर्न को कम कर सकता है। आशीष अग्रवाल, फाइनेंशियल एक्सपर्ट

Posted By: Inextlive