-कमिश्नर ने उद्यमियों और बैंक अधिकारियों के साथ की मीटिंग

GORAKHPUR: गोरखपुर इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी (गीडा) में बंद 16 इकाइयों को खोलने की ओर कदम बढ़ गए हैं। सोमवार को कमिश्नर जयंत नाíलकर की अध्यक्षता में संपन्न बैठक में उद्यमियों व बैंक के अधिकारियों के बीच डिस्कशन हुआ। समस्या का हल निकालने के लिए कमिश्नर ने दोनों पक्षों को आपसी समझौता करने को कहा है। यह पहली बैठक थी जब उद्यमी व बैंक के अधिकारियों को एक साथ बैठाया गया था।

एक-एक उद्यमियों से की बात

कमिश्नर सभागार में सुबह 11 बजे से शुरू हुई बैठक में गीडा के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) संजीव रंजन, बंद पड़ी इकाइयों के मालिक व संबंधित बैंकों के अधिकारी मौजूद रहे। कमिश्नर ने एक-एक कर सभी उद्यमियों से बात की और उनकी समस्याएं पूछी। उनकी बातों के जवाब में संबंधित बैंक के अधिकारी का पक्ष जाना। कर्मयोगी टेक्सटाइल के संचालक ने बताया कि उन्हें एकमुश्त समाधान योजना के तहत 1.58 करोड़ रुपए जमा करने हैं, जबकि उन्होंने 1.10 करोड़ का प्रस्ताव दिया है। इसी प्रकार लाडले इंजीनियरिंग पर 53 लाख की देनदारी है जबकि उन्होंने 45 लाख रुपए देने का प्रस्ताव दिया है। इस तरह के जितने भी मामले आए कमिश्नर ने दोनों पक्षों को आपस में बातचीत कर निष्कर्ष निकालने को कहा है।

नहीं होता है अनुमोदन

बैठक में उपस्थित चैंबर ऑफ इंडस्ट्रीज के उपाध्यक्ष आरएन सिंह ने कहा कि सिक इकाई के लिए आवेदन किया जाता है, लेकिन किसी का अनुमोदन नहीं होता। कमिश्नर ने इस बिन्दु को हर बैठक में रखने को कहा है। इकाइयों को फिर से चलाने के लिए फंड की जिम्मेदारी देखने के लिए उपायुक्त उद्योग को निर्देश दिया गया है। कमिश्नर ने कहा कि बैंक के अधिकारी ऋण के मामलों जल्द निस्तारित करें। उन्होंने उपायुक्त को निर्देश दिया कि एक सूची बनाएं, जिसमें ऋण के लिए आवेदन करने वालों का विवरण हो और उनके आवेदन की स्थिति भी। इस दौरान जीडीए के आलोक अग्रवाल व अन्य अधिकारी उपस्थित थे।

Posted By: Inextlive