- कोरोना जांच के लिए निर्धारित शुल्क पर ही होगा जांच

- प्राइवेट के पांच पैथोलॉजी ही अब करेंगे कोविड कि जांच

GORAKHPUR:

गोरखपुर में कोरोना संक्रमितों के जांच की जिम्मेदारी जिन पांच प्राइवेट पैथोलॉजी को मिली है। वह मनमानी वसूली नहीं कर सकेंगे। क्योंकि कमिश्नर ने सख्त निर्देश जारी करते हुए कहा है कि कोई भी प्राइवेट पैथोलॉजी संचालक कोविड जांच के नाम पर मरीजों से वसूली नहीं कर सकते हैं। अगर कोई भी करता है तो इसकी मरीज उसकी शिकायत करें। दरअसल, सिटी के प्राइवेट हॉस्पिटल कोरोना जांच के नाम पर मनमानी रकम मरीजों से वसूल रहे है। अभी कुछ पैथोलॉजी संचालक अभी संक्रमितों से वसूली करने से बाज नहीं आ रहे हैं। लेकिन ऐसे लोगों से जिला प्रशासन भी निपटने को तैयार करें।

अब 1600 में होगा कोरोना का जांच

बता दें, सिटी के प्राइवेट पैथोलॉजी संचालक अपने मनमानी रेट वसूल रहे थे। जबकि पहले गर्वनमेंट की तरफ से 2500 रुपए निर्धारित किया गया था। लेकिन बीते दिनों 1600 रुपए कर दिया गया है। लेकिन सिटी के कुछ पैथोलॉजी संचालक अभी मनमानी कर रहे हैं। सिविल लाइंस व बेतियाहाता स्थित पैथौलोजी संचालक ने कोरोना मरीजों से रिपोर्ट निगेटिव आने पर 2500 वसूल रहा था, जबकि पॉजिटिव आने पर 4500 रुपए की मांग की जा रही थी। जबकि शासन ने प्राइवेट पैथोलॉजी को जांच के एवज में सिर्फ 2500 रुपए वसूलने के नियम तय कर रखा है। अब तो एंटीजन किट ज्यादा होने से गवर्नमेंट ने भी प्राइवेट पैथोलॉजी संचालक को 1600 रुपए वसूलने का निर्देश दिया है। हालांकि गोरखपुर पैथालोजी एसोसिएशन की तरफ से 10 सितंबर को विज्ञप्ति के माध्यम से अवगत कराया कि शासन आदेश के बाद रिपोर्ट निगेटिव आने पर लागत लगभग 1800 और कर्मचारियों का वेतन, बिजली, मशीन की सर्विसिंग आदि खर्च आते हैं। पॉजिटिव आने पर लगभग 1400 की एक और किट लगानी पड़ती है। ऐसी परिस्थिति में गोरखपुर से इन सभी पैथोलॉजिस्ट जो कोविड की जांच कर रहे थे। अब इस दर पर करने में असमर्थता जताई थी। जबतक की शासन इस विषय पर व्यावहारिक निर्णय नहीं करती है।

कमिश्नर के पास पहुंचा था मामला

वहीं प्राइवेट पैथोलॉजी के इस खेल की शिकायत कुछ लोगों ने कमिश्नर से की थी। बीआरडी मेडिकल कालेज में भर्ती मरीजों ने इसकी जानकारी कमिश्नर को दी। इसके बाद कमिश्नर जयंत नार्लिकर ने इस पर नाराजगी जताई है। उन्होंने ऐसे निजी पैथोलॉजी के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश मातहतों को दिया है। कोरोना महामारी के बढ़ते केस के बीच आईसीएमआर ने जिले के पांच निजी पैथोलॉजी को कोरोना जांच की अनुमति दी है। यह पैथोलॉजी शुरुआती दिनों में जांच तो बेहतर तरीके से कर रही थी। लेकिन जैसे-जैसे मरीजों की संख्या बढ़ती गई वैसे-वैसे इनकी मनमानी भी चालू हो गई। जांच के बाद पॉजिटिव आने पर ये लोग आईसीएमआर की वेबसाइट पर मरीजों का डाटा अपलोड करने और स्वास्थ्य विभाग को आंकड़े देने में लगातार मनमानी कर रहे हैं। इसकी वजह से सही आंकड़े विभाग को नहीं मिल पा रहे हैं। जबकि इसे लेकर सीएमओ नाराजगी भी जाहिर कर चुके हैं। इसके बाद भी सुधार नहीं हो रहा है।

गंभीर मरीजों की जांच जरूरी

प्राइवेट हास्पिटल में इलाज से पहले गंभीर मरीजों की चूंकि कोविड की जांच अनिवायज् कर दी गई है। इसका फायदा प्राइवेट पैथालॉजी संचालक जमकर उठा रहे हैं। ऑपरेशन से पहले मरीजों की कोरोना जांच कर रहे हैं। और जांच के बाद रिपोटज् देने में भी देरी कर रहे हैं। ऐसा मामला सामने भी आ चुका है। मोहद्दीपुर के रहने वाले एक बुजुगज् की मौत के बाद प्राइवेट पैथालॉजी ने रिपोटज् दी थी। वहीं कुछ ऐसे प्राइवेट पैथोलॉजी प्राइवेट हास्पिटल के इशारे पर मरीजों को सूचना दे रहे है। वह मरीज के संक्त्रमित होने की सूचना पहले अस्पताल संचालक को दे रहे हैं। इससे संचालक को मरीज को रेफर करने का मौका मिल सके। इसके अलावा वह संक्त्रमित को लिखित रिपोटज् देने में भी आनाकानी कर रहे हैं।

इन पैथालॉजी में हो रहे हैं जांच

- तिलक पैथालॉजी

- लाल पैथ

- लाइफ केयर डायग्नोस्टिक सेंटर

- सावित्री हास्पिटल

- चंद्रा पैथोलॉजी

वजज्न

सिटी के प्राइवेट पैथालॉजी संचालक मरीजों का डाटा अपलोड करने में लापरवाही कर रहे हैं। इसको लेकर पैथालॉजी संचालकों को निदेज्श दिया गया है कि वह ऐसा न करें। मनमानी वसूली कोभी भी नहीं कर सकता है। अगर कोई कर रहा है तो उसके विरुद्ध सख्त कारज्वाई की जाएगी।

डॉ। श्रीकांत तिवारी, सीएमओ

वजज्न

जो शासन ने शुल्क निधाज्रित किया है। वहीं शुल्क प्राइवेट पैथोलोजी संचालक को लेना होगा। कुछ पैथालोजी संचालक मनमानी कर रहे थे। लेकिन ऐसे लोगों को चिन्हित कर उनके खिलाफ कारज्वाई की जाएगी।

जंयत नालिंज्कर, कमिश्नर, गोरखपुर मंडल

Posted By: Inextlive