GORAKHPUR : गावस्कर और सचिन के ड्राइव तो गांगुली और धौनी के सिक्सर का कोई जवाब नहीं. इसने न सिर्फ क्रिकेट को अन्य गेम से बड़ा कर दिया बल्कि फैंस की संख्या भी सबसे अधिक कर दी. सिटी भी इससे अछूता नहीं है. क्रिकेट के फैंस कम नहीं हैं तो ट्रेनिंग देने वाली कोचिंग एकेडमी भी. इसके बावजूद सिटी को इंतजार है तो सिर्फ एक रणजी प्लेयर का. लास्ट 20 इयर से क्रिकेट एकेडमी रेगुलर प्रैक्टिस करा रही हैं तो एसोसिएशन उनके पैरेंट्स से बड़े-बड़े वादे. मगर हकीकत में एक भी टीनएजर ऐसा नहीं है जो रणजी मतलब स्टेट लेवल टूर्नामेंट का सफर तय कर सका हो.


टैलेंट नहीं या कोच और एसोसिएशन में कमीरेसलिंग, हैंडबाल, वॉलीबाल, बास्केटबाल, बैडमिंटन, बॉक्सिंग, हॉकी, एथलेटिक्स जैसे गेम की एक भी ट्रेनिंग सेंटर न होने के बावजूद गोरखपुर का परचम स्टेट नहीं बल्कि नेशनल लेवल पर फहर रहा है। मगर एक दर्जन से अधिक एकेडमी में क्रिकेट की ट्रेनिंग दी जाने के बावजूद पिछले 15 साल में सिटी में सुनील शर्मा को छोड़ कर एक भी खिलाड़ी ऐसा नहीं हुआ, जिसका सेलेक्शन यूपी की रणजी टीम में हुआ हो। क्रिकेट के चढ़ते फीवर के बावजूद यह हाल टैलेंट, कोच और एसोसिएशन पर प्रश्नचिन्ह लगा रहा है। अगर अन्य गेम में सिटी का टैलेंट दिख रहा है तो यह कहना गलत होगा कि सिटी में टैलेंट की कमी है। मगर कोच का एक्सपीरियंस और एसोसिएशन की लापरवाही इस टैलेंट को खत्म कर रहा है। कभी था सिटी में क्रिकेट का भी जलवा
जब सुविधा कम थी, तब सिटी में क्रिकेट का भी जलवा था। सिटी के गौतम पोद्धार, एखलाक अहमद और परवेज एहसन यूपी टीम से रणजी मैच खेले है। एक टाइम था, जब दो से तीन क्रिकेटर यूपी टीम में जगह बनाने के लिए दावेदारी कर रहे थे। उस टाइम एसोसिएशन के सेक्रेटरी कैप्टन राधेश्याम सिंह थे। कैप्टन राधेश्याम सिंह ने बताया कि तब क्रिकेट का फ्यूचर अच्छा था। सिटी के एक रीजनल स्टेडियम में भी एक रणजी मैच भी हुआ था। मगर पिछले 15 साल में सिर्फ एक खिलाड़ी का सेलेक्शन रणजी में हुआ है, जबकि इस टाइम सिटी में क्रिकेट से जुड़ी अधिकांश सुविधाएं मौजूद है।

Posted By: Inextlive