- मीटर लगाने में ढिलाई बरत रहे विभाग के जिम्मेदार

- पब्लिक को नहीं भा रही योजना, इस्तेमाल करने वालों को भी रुला रहा अधूरा सिस्टम

GORAKHPUR: बिजली विभाग की सुस्ती ने प्री-पेड मीटर योजना पर ब्रेक लगा दिए हैं। योजना को प्रमोट करने में बरती गई ढिलाई के बाद अब नए कनेक्शन लेने वाले या मीटर लगवा चुके लोगों को भी जिम्मेदारों की उदासीनता का शिकार होना पड़ रहा है। सॉफ्टवेयर को सर्वर से जोड़ने में हो रही देरी के चलते ज्यादातर नए आवेदन जहां पेंडिंग चल रहे हैं। वहीं, ऑलरेडी ये मीटर इस्तेमाल कर रहे लोगों को उनके यहां हो रही बिजली खपत की जानकारी देने के नाम पर विभाग में दौड़ाया जा रहा है। हाल ये कि प्री-पेड मीटर के लिए हर माह आ रहे करीब 90 आवेदकों में से मात्र 20 को ही मीटर मिल पा रहा है।

प्रचार करना भूल गए अधिकारी

- एके सिंह, अधीक्षण अभियंता

प्री-पेड बिजली मीटर को मोबाइल फोन की तरह रिचार्ज करना होता है। जितने रुपए का रिचार्ज होगा उतने की बिजली मिलेगी। रिचार्ज खत्म होते ही बिजली अपने आप कट जाती है। सरकारी आवासों पर करोड़ों के बिजली बकाए को देखते हुए पावर कॉर्पोरेशन ने सभी सरकारी आवासों, सरकारी दफ्तरों और अस्थाई कनेक्शन में प्री-पेड मीटर अनिवार्य रूप से लगाने का निर्णय लिया था। मकसद था कि बिजली का इस्तेमाल कर रहे अफसर या कर्मचारी के तबादले के बाद बिजली बिल का बकाया नहीं रह जाएगा क्योंकि जितने रुपए का रिचार्ज कराया जाएगा उतने की ही बिजली जलाई जाएगी। अन्य उपभोक्ताओं के लिए भी ये सुविधा शुरू की गई। जिसके तहत लोग आवेदन कर सब स्टेशन से मीटर ले सकते हैं। लेकिन शहर में बिजली विभाग ने योजना का व्यापक प्रचार ही नहीं कराया।

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पब्लिक भी नहीं ले रही दिलचस्पी

ऐसा नहीं है कि प्री-पेड मीटर को लेकर सिर्फ अधिकारियों ने ही उदासीनता बरती है। आमतौर पर कई महीनों तक बिना बिल जमा किए बिजली जलाने के आदी हो चुके शहर के उपभोक्ताओं ने भी इस योजना में कोई खास दिलचस्पी नहीं दिखाई है। बेहद कम ही ऐसे एरियाज हैं जहां इसके बारे में जानने के बाद लोग आगे बढ़कर प्री-पेड मीटर लगवाने पहुंचे हों।

अधूरा सिस्टम बना परेशानी

निगम ने पहले सेक्योर कंपनी से करार किया था। इस कंपनी ने शहर में साल भर में करीब 621 प्री-पेड मीटर लगाए। 31 मार्च 2018 को करार खत्म हो गया तो कंपनी ने काम बंद कर दिया। इसके पहले बिजली निगम के कर्मचारियों को प्री-पेड मीटर लगाने की ट्रेनिंग दी जा चुकी थी लेकिन सिस्टम पूरी तरह काम न करने के कारण मीटर लग नहीं पा रहे हैं। अब जेनिथ कंपनी का भी मीटर आ गया है लेकिन बिजली निगम हर माह सिर्फ 22 से 23 मीटर ही लगा पा रहा है। अभी भी हर माह 60 से 70 आवेदन वेटिंग ही चल रहे हैं।

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लगवाइए और कहीं भी ले जाइए मीटर

प्री-पेड मीटर एक बार लेने पर यह उपभोक्ता की संपत्ति हो जाती है। इस मीटर को बिजली निगम वापस नहीं लेता है। अगर उपभोक्ता का तबादला हो जाता है तो वह मीटर लेकर दूसरी जगह जा सकता है। वहां वह इस मीटर को बिजली निगम में आवेदन कर लगवाया जा सकता है।

फैक्ट फिगर

मीटर का रेट

सिंगल फेज - 6500 रुपए

ट्रिपल फेज - 12,101 रुपए

हर माह लगाए जा रहे मीटर - 22-23

वेटिंग - 60-70

स्टोर में पड़े मीटर - 400

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यूज करने वालों को ये हो रही दिक्कतें

मीटर रीडर की राह ताकने, बिल ठीक कराने के लिए लाइन में लगने से बचने के लिए प्री-पेड मीटर लगवाने वाले उपभोक्ता मुश्किल में हैं। रिचार्ज के लिए भागदौड़, लोड बढ़ाने के बारे में ठीक से जानकारी न मिल पाने के कारण उपभोक्ता मारे-मारे फिर रहे हैं। प्री-पेड उपभोक्ताओं की मदद के लिए कोई टोल फ्री नंबर न होने से भी दिक्कत हो रही है। आलम यह है कि छुट्टियों को छोड़कर रात में रिचार्ज खत्म होने के बाद उपभोक्ता को अगली सुबह का इंतजार करना पड़ रहा है। वहीं, उपभोक्ताओं का कहना है कि बिजली खर्च होने की जानकारी मांगने पर भी विभाग कुछ नहीं बताता है। सीधे ये कहकर टाल दिया जाता है कि सिस्टम ठीक होते ही सभी सूचनाएं मिलने लगेंगी।

लोड बढ़ा तो बंद हो जाएगा मीटर

अगर किसी ने दो किलोवाट का प्री-पेड कनेक्शन लिया है और बाद में उसके घर का लोड बढ़ जाता है तो मीटर खुद बंद हो जाएगा। मीटर तभी चलेगा जब अतिरिक्त लोड वाला उपकरण बंद कर दिया जाएगा। लोड बढ़ाने के लिए उसे पहले विभाग में आवेदन करना होगा। विभाग सिस्टम में इसे अपडेट करेगा तभी लोड बढ़ेगा। वर्तमान में लोड बढ़ाने के लिए आवेदन करने वाले सिस्टम ठीक न होने के कारण परेशान हैं।

वर्जन

प्र-पेड मीटर लगाना हमारी प्राथमिकता में है। जो भी दिक्कतें थीं उन्हें दूर करा लिया गया है। विभाग लगातार प्री-पेड मीटर लगा रहा है।

Posted By: Inextlive