- होम आइसोलेशन वाले मरीजों को दवा देने नहीं पहुंच रही टीम

- दवा के लिए कई बार कॉल करने के बाद भी नहीं मिली दवा

GORAKHPUR:

कोरोना पॉजिटिव हुए भी और खुद ही स्वस्थ भी हो गए। यह कहना है तारामंडल के रहन वाले रेलवे के रिटायर्ड अधिकारी एसपी मिश्रा का। वे बताते हैं कि कंट्रोल रूम पर कॉल करने के बाद भी कोई दवा नहीं देने पहुंचा। जबकि हेल्थ डिपार्टमेंट का दावा है कि बेहतर सुविधा के तहत इलाज किया जा रहा है।

बता दें, हेल्थ डिपार्टमेंट की तरफ से घर होम आइसोलेशट कोरोना मरीजों के इलाज के लिए चिकित्सकीय आवश्यकतानुसार पल्स ऑक्सीमीटर भी दिया गया है। इस एक्यूपमेंट्स के जरिए बॉडी में ऑक्सीजन का लेवल मेजरमेंट किया जाता है। इसके लिए कुल 1800 पल्स ऑक्सीमीटर मंगाए गए हैं, लेकिन कुछ लोगों के पास यह पल्स ऑक्सीमीटर पहुंच रहा है तो कुछ के पास नहीं। जबकि सीएमओ का यह दावा था कि कोरोना मरीजों के घर मेडिकल किट भेजी जा रही है, जिसमें एक सप्ताह की दवाइयां हैं। इसके आगे की दवा के लिए संबंधित क्षेत्र की आशा कार्यकर्ता का मोबाइल नंबर उपलब्ध करवाया जा रहा है। इसके अलावा यह भी दावा किया गया था कि होम आइसोलेटेड सभी मरीजों को बेहतर सुविधाएं दिए जाने में किसी प्रकार की कोई कमी नहीं छोड़ी जाएगी। कोरोना मरीजों के लिए बने इंटीग्रेटेड कोविड कमांड सेंटर को सूचना प्राप्त होने के बाद ही सुविधा देना शुरू कर दिया जाता है। लेकिन यह भी हवा हवाई साबित होता हुआ नजर आ रहा है।

कोई नहीं आया दवा देने

सर्वोदय नगर बिछिया के रहने वाले नवल किशोर बताते हैं कि उनके घर में बड़े भईया कोविड पॉजिटिव थे। वे रेलवे हॉस्पिटल में एडमिट थे। सीरियस केस था। वह स्वस्थ भी हो गए। लेकिन इलाज के दौरान घर के बाकी सदस्य भी कोरोना पॉजिटिव हो गए थे। लेकिन इस बीच हेल्थ डिपार्टमेंट की तरफ से कोई भी मेंबर दवा लेकर घर नहीं आया था। कमोबेश बैंक में मैनेजर के पद पर कार्यरत नवनीत बताते हैं कि वे भी कोरोना पॉजिटिव थे। होम आईसोलेट थे। खुद ही दवा खरीदकर खाए और ठीक भी हो गए। लेकिन उनके घर कोई भी नहीं आया। वहीं हेल्थ डिपार्टमेंट की तरफ से बनाए गए कंट्रोल रूम के नंबर 0551-2201796, 0551-2202205 और 0551-2204196 लगातार 24 घंटे एक्टिव नंबर होने की बात की जा रही है। हेल्थ डिपार्टमेंट के अधिकारियों का दावा है कि कंट्रोल रूम के नंबर पर सूचना देकर कोरोना मरीज सभी प्रकार की जानकारियां प्राप्त कर सकते हैं।

कहां गई फील्ड की टीम

आरआरटी (आरबीएसके) से जुड़े चिकित्सक डॉ। मनोज मिश्र, डॉ। अर्चना, स्टाफ सरिता और गरिमा का कहना है कि प्रत्येक दिन कम से कम 10 मरीजों के घर जाना होता है। टीम के लौटने के बाद आशा कार्यकर्ता ही क्षेत्र में रह कर लोगों की मदद कर रही हैं। जहां आशा कार्यकर्ता को लोग सहयोग नहीं देते वहां आरआरटी खुद जाकर मरीज के परिजनों का काउंसिलिंग करती है। समय-समय पर स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन के उच्चाधिकारी भी क्षेत्र में आकर आशा और आरआरटी का सहयोग कर रहे हैं।

Posted By: Inextlive