- डेली 598 मीट्रिक टन कूड़ा निकलता है शहर से

- खाली प्लॉट और नदियों के किनारे कूड़ा निस्तारण से प्रदूषण

GORAKHPUR: यूं तो ढाई दशक बहुत होते हैं लेकिन नगर निगम के लिए यह कुछ भी नहीं। गोरखपुर नगर निगम 27 साल में शहर के कूड़ों के निस्तारण के लिए डंपिंग ग्राउंड तक की व्यवस्था नहीं कर सका। जबकि शहर से डेली 598 मीट्रिक टन कूड़ा निकलता है। इस कारण शहर को साफ-सुथरा और स्वस्थ रखने वाला नगर निगम ही खाली प्लॉट, हाइवे और नदियों के किनारे कूड़ा गिराकर प्रदूषण फैला रहा है। आबादी वाले एरिया में कूड़ा निस्तारण से लोगों के स्वास्थ्य को खतरा है।

शहर में ही रह जाता 150 मीट्रिक टन कूड़ा

नगर निगम के स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों की मानें तो यहां डेली 598 मीट्रिक टन कूड़ा निकलता है। इसमें नगर निगम 450 मीट्रिक टन कूड़े का ही रोज निस्तारण कर पाता है। लगभग 100 से 150 मीट्रिक टन कूड़ा शहर में ही पड़ा रह जाता है। इस बचे कूड़े को निगम का स्वास्थ्य विभाग बाहरी एरियाज या किन्हीं बड़े खाली प्लॉट में गिरवा देता है। पिछले साल इसी तरह कूड़ा गिराने को लेकर निगम के स्वास्थ्य कर्मियों को काफी मुश्किल का सामना करना पड़ा था। महेवा और एकला गांव के स्थानीय नागरिकों ने कूड़े वाली गाडि़यों को दौड़ा लिया था।

अधर में लटका डंपिंग यार्ड

2009 में गोरखपुर को यूडीआईएसएसएमटी योजना के तहत सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट योजना मिली। उस समय नगर निगम बोर्ड ने महेसरा में एक जमीन खरीदी। इसके बाद निकले सरकारी टेंडर के जरिए अहमदाबाद की एक कंपनी को यहां डंपिंग यार्ड बनाने की जिम्मेदारी मिली। कार्य भी शुरू हो गया, लेकिन दो से तीन साल बाद ही योजना अधर में लटक गई। कंपनी जमीन नीची होने की बात कह कर फरार हो गई। इस कारण कार्य ठप हो गया। वहीं सरकार ने दोबारा टेंडर निकालने की बात कही लेकिन कूड़े से खाद और बिजली बनाने को लेकर निगम में मतभेद हो गए। यही वजह है कि अब तक योजना लटकी हुई है।

बांधों को होता है नुकसान

बाहरी एरियाज में गिराए जा रहे कूड़े के चलते बांधों को भी काफी नुकसान पहुंच रहा है। कूड़े में पड़ी खाद्य सामग्री को खाने के लिए जानवर एकत्रित हो जा रहे हैं। इसमें सबसे अधिक चूहों की संख्या होती है। चूहे बांध में होल कर देते हैं जिस कारण बांध कमजोर हो जाते हैं। नौसड़ के पार्षद रामभवन निषाद का कहना है कि रैटहोल के चलते ज्यादातर बांध कमजोर हो कुके हैं। अगर इस बार राप्ती में बाढ़ आई तो सैकड़ों गांवों में भीषण तबाही आएगी।

शुरू हुआ डोर-टू-डोर कलेक्शन

गंदगी और कूड़े की मार झेल रहे शहर में इस साल साफ-सफाई को लेकर कुछ उम्मीद जगी है। मेयर डॉ। सत्या पांडेय के प्रयास से कुछ वार्डो में डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन का कार्य शुरू हुआ है। इन वार्डो से अब कूड़ा समय से उठना शुरू हो गया है। साथ ही महेसरा डंपिंग यार्ड कार्य के लिए संस्थाओं से बात की जा रही है। हालांकि कूड़ा कलेक्शन योजना का कुछ पार्षद विरोध कर रहे हैं। विरोध का कारण है कि शहर के लोग जब हाउस टैक्स देते हैं तो उनसे कूड़ा कलेक्शन चार्ज क्यों लिया जा रहा है।

यहां फेंक देते हैं कूड़ा

- मोहद्दीपुर आरकेबीके के पास (यहां चोरी से गिराया जाता है)

- महेवा बांध - कम से कम तीन से चार किमी तक

- एकला बांध

- हाबर्ट बांध

- महेसरा पुल

- राप्तीनगर बाईपास पर कुछ जगह

- पादरी बाजार पुलिस चौकी के पास

- जेल के पीछे एक किमी तक

Posted By: Inextlive