गोरखपुर में एक बार फिर सिस्टम की पोल खुल गई. यहां शुक्रवार सुबह-सुबह कौवाबाग चौकी के पास एक स्कूल बस ने ऑटो को टक्कर मार दी जिससे ऑटो पलट गया. हैरान कर देने वाली बात ये थी कि उस ऑटो में 12 स्कूली बच्चे सवार थे. जिन्हें सुरक्षित ऑटो से बाहर निकाला गया. इस घटना के बाद ये क्लियर हो गया कि केवल गिने चुने चौराहों पर ही ट्रैफिक रूल्स का पालन हो रहा है. शहर के बाकी हिस्सों में आज भी मनमानी ही चल रही है. वहीं यह भी स्पष्ट हो गया कि सिस्टम की निष्क्रियता के चलते बच्चे ऑटो से स्कूल जा रहे हैं और हादसों का शिकार हो रहे हैं. चौंकाने वाली बात ये है कि इन ऑटो में अफसरों के बच्चे नहीं जाते. अन्यथा अफसर ठोस कार्रवाई कर इन पर प्रतिबंध लगाते.


गोरखपुर (ब्यूरो).शुक्रवार सुबह करीब 7.30 बजे कौवाबाग चौकी के पास हादसा हुआ। बस की टक्कर से पलटे ऑटो में डिवाइन पब्लिक स्कूल के बच्चे सवार थे, जिन्हें सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया गया। स्कूलों के बाहर लगता है ऑटो का जमावड़ाबड़ी संख्या में बच्चे ऑटो से स्कूल आते-जाते हैं। स्टेडियम रोड और सिविल लाइंस एरिया के स्कूलों से बच्चों का बड़ी संख्या में मूवमेंट होता है। ऑटो में सिर्फ चार सवारी बैठाने की छूट है, लेकिन बच्चे 10 से 12 बैठाए जाते हैं। हाल ही में चला था अभियान


बीते दिनों सहजनवां में एक स्कूल बस पलटने के बाद हाल ही में ट्रैफिक पुलिस और आरटीओ के संयुक्त तत्वावधान में अभियान चलाया गया था, जिसमे शहर में ऑटो में मानक से अधिक स्कूली बच्चों को बैठाकर चलने वाले चालकों पर कार्रवाई की गई थी। साथ ही नियम भी बना था कि कोई भी ऑटो चालक मानक से अधिक बच्चे नहीं बैठाएगा। इसके बाद भी शहर में ऑटो चालक मनमानी कर रहे हैं। स्कूल बस, वैन ऑटो के लिए बना रूल- वाहनों में निर्धारित संख्या से ज्यादा बच्चों को बैठाने की मनाही रहेगी।- स्कूली वाहन में कोई भी म्यूजिक सिस्टम नहीं लगा होना चाहिए।

- स्कूल द्वारा यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि जो वाहन चालक है वह किसी भी तरह का नशा नहीं करता है।- स्कूली वाहन के रूप में चलने वाले पेट्रोल ऑटो में 5, डीजल ऑटो में 8, वैन में 10 से 12, मिनी बस में 28 से 32 और बरू़ी बस में ड्राइवर सहित 45 स्टूडेंट्स को ही सवार किया जा सकता है। - बसों में स्कूल का नाम व टेलीफोन नंबर लिखा होना चाहिए।- स्कूली बस में ड्राइवर व कंडक्टर के साथ उनका नाम व मोबाइल नंबर लिखा हो।- वाहन पर पीला रंग हो जिसके बीच में नीले रंग की पट्टी पर स्कूल का नाम होना चाहिए।- वाहन चालक को न्यूनतम पांच वर्ष का ड्राइविंग का अनुभव होना चाहिए।- सीट के नीचे बस्ते रखने की व्यवस्था बस में अग्निशमन यंत्र रखा हो। तथा बस में कंडक्टर का होना भी अनिवार्य है।- बस के अंदर सीसीटीवी भी इंस्टॉल होना चाहिए ताकि बस के अंदर की दुर्घटना के बारे में पता लगाया जा सके।फैक्ट एंड फीगर 1250 प्राइवेट स्कूल बसें रजिस्टर्ड 356 अनफिट स्कूल वाहन 3000 ऑटो व ई-रिक्शा जिले में

ई रिक्शा और ऑटो में मानक के हिसाब से चार सवारी बैठाने का प्रावधान है। यदि स्कूली बच्चों को ऑटो में बैठाया जा रहा है तो गलत है। इनके खिलाफ अभियान चलाकर कार्रवाई की जाएगी। संजय कुमार झा, एआरटीओ प्रशासनसभी स्कूलों पर जाकर बसों और ऑटो की जांच की जा रही है। पहले से बहुत सुधार आया है। कुछ लोग छिपकर अंदर गलियों में स्कूल ऑटो में अधिक बच्चे बैठाकर आ जा रहे हैं। इनपर भी कार्रवाई की जाएगी।डॉ। एमपी सिंह, एसपी ट्रैफिक

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