नगर निगम बोर्ड का कार्यकाल आज 5 जनवरी को खत्म हो रहा है. शहर सरकार के 5 सालों में वादे के साथ विकास के दावे खूब किए गए. कुछ पूरे हुए तो कुछ स्वीकृत होकर निर्माणाधीन पड़े हैं. हालांकि कई वादे अधूरे रह गए.


गोरखपुर (ब्यूरो)।गोरखपुर का कचरा आज भी राजघाट किनारे डंप हो रहा है। पिंक टॉयलेट पर शहर सरकार की रफ्तार बहुत ही सुस्त है। शहर की खूबसूरती कुछ एरिया तक ही सीमित रह गई। अब अगर नए बोर्ड का गठन नहीं हुआ तो 6 जनवरी से शासन नगर निगम में प्रशासक की तैनाती कर देगा। इससे मेयर से लेकर पार्षद तक सभी के अधिकार शून्य हो जाएंगे। बता दें, नगर निगम की पहली बोर्ड बैठक से कार्यकाल की गणना होती है। वर्तमान बोर्ड में मेयर सीताराम जायसवाल और 70 पार्षदों ने 12 दिसंबर 2017 को शपथ ली थी, लेकिन बोर्ड की पहली बैठक 6 जनवरी 2018 को हुई थी। इससे इनका कार्यकाल 5 जनवरी 2023 को खत्म हो रहा है। नए चुनाव अभी दूर नजर आ रहे हैं। कूड़े से शहर को नहीं मिली मुक्ति


नगर निगम में शहर को कूड़ा मुक्त करने का अभियान चल रहा है। वर्तमान कार्यकारिणी के गठन के बाद भी कूड़े मुक्ति को लेकर कई योजनाएं बनीं। इसके बाद भी शहर को पूरी तरह से कूड़ा मुक्त नहीं किया जा सका। हालांकि कुछ बदलाव जरूर आया, जिसकी वजह से कुछ हद तक कूड़े को नियंत्रित किया जा सका। इसमें डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन से सड़कों पर कूड़ा न आना प्रमुख रहा। लेकिन सभी घरों से तक कर्मचारियों की पहुंच न होने से यह विफल साबित हो रहा है। इधर, सुथनी में बनने वाले बायो गैस प्लांट के इंतजार में शहर का कूड़ा राजघाट एरिया में बंधे के किनारे फेंका जा रहा है। पिंक टायलेट का सपना अधूरा स्वच्छ भारत अभियान के तहत बनने वाले पिंक टॉयलेट का सपना भी पांच सालों में पूरा नहीं हो सका। नगर निगम एरिया में छह जगह बनने वाले पिंक टायलेट में सिर्फ दो जगह ही बन सके। बाकी का निर्माण अधर में है। शहर की खूबसूरती भी रह गई अधूरी शहर को खूबसूरत करने का दावा तो शहर सरकार ने खूब किया, लेकिन इन दावों को पूरा नहीं कर सका। इसमें चौराहों का सौंदर्यीकरण, डिवाइडरों पर पेड़, पौधे, फूल लगाकर शहर को खूबसूरत करने का वादा था। चौराहों का सौंदर्यीकरण हुआ और पेड़ पौधों को लगाकर सुंदर बनाने की कोशिश की गई लेकिन असलियत किसी से छिपी नहीं है। सीवर लाइन बिछाने की योजना अधर में

नगर निगम एरिया में सीवरेज योजना शुरू तो हुई लेकिन अभी निर्माण कार्य में ही उलझी हुई है। इससे न बन पाने से लोगों को परेशान होना पड़ रहा है। कई बार तो धरना प्रदर्शन तक की नौबत आ गई है। नगर निगम का दावा है, मार्च 2023 तक शहर में हर जगह सीवर लाइन पहुंच होगी। नगर निगम की नई बिल्डिंग उपलब्धिनगर निगम परिसर में 23.45 करोड़ की लागत से सदन भवन का निर्माण कराया गया है। भवन के ज्यादातर हिस्से का काम पूरा हो चुका है। पुरानी बिल्डिंग के कई ऑफिस शिफ्ट भी हो चुके हैं। इसी भवन में आईटीएमएस का भी ऑफिस बनाया गया है। संसद भवन की तरह हाल को विकसित किया गया है। यह भवन इस कार्यकारिणी की विशेष उपलब्धि के तौर पर माना जा रहा है। 5 साल में बोर्ड की 26 बैठकें वर्तमान बोर्ड की पांच साल में कुल 26 बैठकें हुईं। सभी बैठकों में एजेंडे तय हुए और विकास का खाका खींचा गया। अंतिम बैठक 14 नवंबर 22 को हुई। बोर्ड मेें मेयर अध्यक्ष, नगर आयुक्त सचिव, पार्षद सदस्य होते हैं। बैठक हर तीन महीने में एक बार होनी चाहिए।जनहित में इन विकास के दावे 1. अमृत योजना के तहत सीवरेज योजना (लगभग 1400 करोड़)2. पं। दीनदयाल उपाध्याय नगर विकास योजना के अंतर्गत रामगढ़ताल का सौंदर्यीकरण (18.86 करोड़)

3. पर्यटन विभाग के राज्य योजनान्तर्गत सर्किट हाउस रोड स्थित बोट जेट्टी के सौंदर्यीकरण कार्य (77.94)कार्यकाल की सबसे बड़ी उपलब्धि 122 साल पुरानी ब्रिटिश काल में बनी नगर निगम की बिल्डिंग की जगह नया सदन भवन रहा। कान्हा उपवन भी बनवाया गया। इसमें वर्तमान में 1300 पशुओं को आश्रय दिया गया है। इसके साथ ही जनता को वाटर लॉगिंग से मुक्त कराने के लिए गोड़धइया नाले के निर्माण के लिए पहल की रही। हालांकि, कोशिश यही रही कि यह काम भी कार्यकाल में हो जाए, लेकिन काम बड़ा होने के चलते इसमें अभी थोड़ा वक्त लगेगा। अपने कार्यकाल से पूर्ण रूप से संतुष्ट हूं। - सीताराम जायसवाल, मेयर


4. कालीबाड़ी मंदिर का सौंदर्यीकरण (23.94)5. गोड़धइया नाले एवं रामगढ़ताल के जीर्णोद्धार तथा इंटरसेप्शन, डायवर्जन एवं ट्रीटमेंट कार्य (474.42)6. राप्ती नदी में गिरने वाले कटनिया/महेवा नाले के इंटरसेप्शन, डायवर्जन एवं ट्रीटमेंट (53.3)7. पांच वर्षों में 288.03 करोड़ से सड़क एवं नाला-नाली निर्माण। 8. त्वरित आर्थिक विकास योजना के अंतर्गत 129 करोड़ की लागत से 147 सड़क एवं नाली स्वीकृति, शुरू होने का दावा।9. गीले कूड़े से बायो सीएनसी प्लांट लगाने का प्रस्ताव शासन की ओर से स्वीकृत। 10. राज्य स्मार्ट सिटी मिशन योजना के अंतर्गत 50.25 करोड़ की लागत आईटीएमएस परियोजना की स्थापना11. मुख्यमंत्री नगर सृजन योजना के अंतर्गत 219.06 लाख की लागत से सड़क/नालों के कार्य स्वीकृत12. मुख्यमंत्री नगरीय अल्प विकसित व मलिन बस्ती/एससीएसपी योजना के अंतर्गत 67.54 करोड़ की लागत से 514 सड़क व नाली के कार्य स्वीकृत हुए Posted By: Inextlive