बीते रविवार सोमवार और मंगलवार तीन दिन में 3 हत्याएं हुईं जिनके खून से अपनों के ही हाथ सने हुए मिले. ये तीनों केस बानगी भर हैं. इधर लगातार जर जोरू और जमीन के लिए रिश्तों का कत्ल हो रहा है. आए दिन प्रॉपर्टी या अन्य विवादों में भाई-भाई और पिता बेटा और पति पत्नी की हत्या कर दे रहा है. ये हत्याएं बयां कर रही हैं कि आधुनिक समय में रिश्तों की डोर कितनी कमजोर हुई है. साइकोलॉजिस्ट की मानें तो घर के बड़े-बुजुर्गों के पॉजिटिव दखल से ऐसी घटनाएं रोकी जा सकती हैं.


गोरखपुर (ब्यूरो)। जर, जोरू और जमीन की वजह से हो रहा रिश्तों का कत्ल केस-1: 19 जून (रविवार) को पिपराइच इलाके में रिश्तों का कत्ल हुआ। यहां बड़े भाई ने अपने सगे छोटे भाई की गड़ासा मारकर हत्या कर दी। प्रॉपर्टी को लेकर काफी दिनों से विवाद चल रहा था, रविवार को बड़े भाई पर ऐसा खून सवार हुआ कि छोटे भाई की गड़ासे से मार डाला। केस-2: 20 जून (सोमवार) को गुलरिहा इलाके के भगवानपुर में दो पके आम तोडऩे के विवाद में पिता और बड़े भाई ने मिलकर छोटे भाई की हत्या कर दी थी। मरने वाले युवक की पत्नी ने ससुर और जेठ पर हत्या का आरोप लगाया है। पत्नी ने आरोप लगाया कि ससुर और जेठ ने उनके पति को बेरहमी से पीटा था, जिससे उनकी मौत हो गई।


केस-3: 21 जून (मंगलवार) को तिवारीपुर के माधोपुर न्यू कॉलोनी में सोमवार की सुबह 22 वर्षीय विवाहिता की फंदे से लटकती डेड बॉडी मिली। जानकारी पर पहुंचे मायकेवालों ने ससुरालियों पर हत्या का आरोप लगाया। बेटी की मौत से नाराज विवाहिता के घरवालों ने बवाल करना भी शुरू कर दिया। पुलिस ने किसी तरह समझा-बुझाकर उनका गुस्सा शांत कराया। बताया जा रहा विवाहिता के बच्चे भी थे। फॉरेंसिक जांच के बाद पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। घर-घर के झगड़े की सबसे अधिक कंप्लेनअभी हाल ही में गोरखनाथ मंदिर में सीएम के जनता दर्शन कार्यक्रम में सबसे अधिक प्रॉपर्टी के विवाद आए थे, जिसमें घर-घर के झगड़े सबसे अधिक थे। सीएम ने पुलिस को निर्देश भी दिया था कि प्रॉपर्टी के विवाद प्राथमिकता पर निपटाए जाएं। इसी तरह एसएसपी डॉ। विपिन ताडा ने लगातार ऑफिस में आ रही कम्प्लेन को देखते हुए फरियादियों का संबंधित पुलिस स्टाफ से आमना-सामना कराया। इस दौरान भी सबसे अधिक मामले प्रॉपर्टी के मिले थे। साइकोलॉजिस्ट की राय में इसलिए हो रही घटनाएं- अधिक से अधिक पैसा पाने की लालसा बढ़ती जा रही है।- एक दूसरे पर संदेह कर रहे हैं।- डाउट होना, धोखा होना जैसी फिलिंग आने पर लोग अचानक से हो जा रहे जानलेवा।- क्राइम होता है तो पता चलता है, उसकी सजा कितनी हुई? इसकी नहीं होती जानकारी।- क्राइम करके पहुंंच और जुगाड़ से बच जाएंगे।- घर-घर के झगड़े में पुलिस डांट समझाकर छोड़ देती है।- बार-बार हो रहे झगड़े को खत्म करने के लिए उठा लेते हैं गलत कदम।ऐसे रोक सकते हैं - अपनी मेहनत पर भरोसा रखें।

- किसी से बहुत अधिक उम्मीद ना पालें।- किसी के लिए कुछ भी कीजिए, बदले में उसने क्या किया? इसकी उम्मीद ना पालें।- सीनियर्स को रोल मॉडल की भूमिका में आगे आना होगा।- घर-घर के झगड़े में पहले ही स्टेप में कड़े कदम उठाए जाएं तो लोग गलत कदम उठाने से कतराएंगे।घरेलू विवाद में जान लेने की प्रवृत्ति के मामले बढ़ते जा रहे हैं। पैसे और प्रॉपर्टी की लालसा बढ़ती जा रही है। एक-दूसरे पर अब किसी को विश्वास नहीं रह गया है। सीनियर्स भी अब कुछ भी समझाने आगे नहीं आते हैं।प्रो। अनुभूति दुबे, विभागाध्यक्ष, साइकोलॉजी डिपार्टमेंट

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