-क्रिमिनल केसेज के बावजूद लोगों ने बनवा लिए हैं लाइसेंस

- क्रिमिनल रिकार्ड के बावजूद रिपोर्ट लगा देते हैं ऑफिस कर्मचारी

-42 के खिलाफ कार्रवाई से हड़कंप, अन्य की छानबीन जारी

जिले में पुलिस को धोखा देकर आ‌र्म्स लाइसेंस बनवाने वालों के खिलाफ कार्रवाई का शिकंजा कसेगा। आपराधिक मुकदमों के बावजूद लाइसेंस बनाने में सहयोग करने वाले पुलिस कर्मचारियों की तलाश की कवायद हो रही है। यदि ऐसा हुआ तो तमाम पुलिस कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई होगी। पूर्व में जारी लाइसेंस के मामलों में सख्ती बरते जाने से हड़कंप मचा है। एसएसपी के निर्देश पर हुई जांच में 42 लोगों के लाइसेंस कैसिंल करने की प्रक्रिया चल रही है। आपराधिक मामले दर्ज होने के बाद इनके लाइसेंस जारी हो गए थे।

हाल के दिनों में हुई जांच में सामने आया मामला

जिले में असलहों का मामला किसी न किसी बहाने से सुर्खियों में रहता है। पूर्व में फर्जी लाइसेंस के केसेज सामने आए थे। हाल ही में कराई गई जांच में 42 ऐसे लोग पाए गए हैं जिनके खिलाफ आपराधिक मुकदमे दर्ज होने के बावजूद लाइसेंस जारी हो गया था। एसएसपी के निर्देश पर तीन दिनों के भीतर हुई जांच में इनका प्रकरण सामने आया। इन सभी का लाइसेंस कैसिंल करने के लिए पुलिस की तरफ से डीएम को पत्र भेजा जाएगा। लाइसेंस की जांच से जुड़े पुलिस कर्मचारियों का कहना है कि कोतवाली एरिया में रहने वाले सईद अहमद की डेथ हो चुकी है। लेकिन उनके नाम से भी लाइसेंस जिंदा है। आरोप है कि उनके असलहे से ही उनके बेटे ने गोली मार दी थी। इस आरोप में पुलिस ने सईद के बेटे को जेल भेजा था।

क्रिमिनल के रिश्तेदार तो लाइसेंस पर संकट

जिले में अपराधियों के सगे-सबंधियों और उनके मददगारों के लाइसेंस पर भी संकट बढ़ता जा रहा है। पुलिस की जांच में सामने आया है कि कुछ ऐसे लोग हैं जो आपराधिक मामला दर्ज होने के कारण लाइसेंस नहीं ले पाते हैं। इसलिए वह अपने किसी नजदीकी रिश्तेदार को लाइसेंस दिलवा देते हैं। फिर उसी असलहे के जरिए अपना स्टेटस मेंटेन करने की कोशिश करते हैं। ऐसे लोगों की जांच का निर्देश भी जारी किया गया है। लाइसेंस लेकर किसी क्रिमिनल के साथ चलने, उसे अपना लाइसेंस और असलहा देने के मामलों की जांच कर लाइसेंस कैंसिल कराने की कार्रवाई पुलिस करेगी।

रिकार्ड छिपाने वाले पुलिस कर्मचारियों की होगी तलाश

लाइसेंस बनवाने के दौरान एप्लीकेंट मुंहमांगी रकम खर्च करते हैं। पूर्व में मैन्युअल रिकार्ड में हेराफेरी कर झूठे रिपोर्ट के आधार पर लाइसेंस के एप्लीकेशन को थानों से फारवर्ड कर दिया जाता था। लाइसेंस लेने वाले अपने पालीटिकल और इकोनामिकल पॉवर का इस्तेमाल करते हुए लाइसेंस बनवा लेते थे। पुलिस रिकार्ड में दर्ज मामलों की अनदेखी कर रिपोर्ट लगाने वाले पुलिस कर्मचारियों को भी इसकी अच्छी कीमत मिलती थी। आपराधिक मुकदमा होने के बावजूद लाइसेंस जारी होने के मामला सामने आने पर पुलिस कर्मचारी भी जिम्मेदार माने जाएंगे। इसलिए जांच के दायरे में उनको भी ले आने की तैयारी है जिनके कार्यकाल में ऐसे लाइसेंस बने थे।

वर्जन

आपराधिक मामले दर्ज होने के बावजूद कुछ लोगों ने आ‌र्म्स लाइसेंस बनवा लिए थे। इसकी जानकारी मिलने पर जांच शुरू कराई गई है। 42 लोगों को चिह्नित किया गया है। यह जांच आगे भी चलती रहेगी। इस संबंध में व्यापक कार्रवाई की तैयारी है।

जोगेंद्र कुमार, एसएसपी

Posted By: Inextlive