- बहुचर्चित झरना टोला हत्याकांड का हुआ खुलासा

- टेंपो ड्राइवर ने एक-एक करके ली थी मां और उसके तीन बच्चों की जान

- 10 माह की कड़ी मशक्कत के बाद लगा पुलिस के हाथ

GORAKHPUR:

शाहपुर, झरना टोला के बहुचर्चित और दिल दहला देने वाले चौहरे हत्याकांड से करीब 10 माह बाद सोमवार को परदा उठ गया। सीआरपीएफ जवान की पत्नी और उसके तीन बच्चों की हत्या मोहल्ले के टेंपो ड्राइवर ने की थी। आरोपी को अरेस्ट करके पुलिस ने हत्या में प्रयुक्त सामान बरामद कर लिया है। एसएसपी अनंत देव ने बताया कि टेंपो ड्राइवर के मददगारों के पर हत्यारोपी को शरण देने की कार्रवाई की जाएगी। चौहरे हत्याकांड के खुलासे पर डीजीपी ने पुलिस टीम को 50 हजार का इनाम देने की घोषणा की। आईजी जोन, डीआईजी रेंज सहित अन्य पुलिस अधिकारियों ने पुलिस टीम को शाबासी देकर हौसला बढ़ाया। हालांकि सीआरपीएफ जवान ने घटना के खुलासे पर सवाल उठाए। उसने कहा कि अकेला व्यक्ति चार लोगों का मर्डर नहीं कर सकता है। जवान ने टेंपो ड्राइवर के परिचित बंदी रक्षक को बचाने का आरोप लगाया।

कहानी सुन कांप उठा कलेजा

चार-चार लोगों के मर्डर की शुरुआती जांच में पुलिस को सीआरपीएफ जवान जवाहर कन्नौजिया पर शक हुआ। दो माह तक पुलिस उसके पीछे लगी रही। इस दौरान सामने आया कि जवाहर और उसकी पत्नी रजिया के नाम से ज्वाइंट बैंक एकाउंट से चार बार रुपए निकाले गए हैं। पुलिस ने जांच शुरू की तो नकाबपोश रुपए निकालते नजर आए। एक एटीएम में संदिग्ध युवक की तस्वीर साफ थी। पुलिस ने उससे पूछताछ की तो पता चला कि नीनाथापा टोला निवासी टेंपो ड्राइवर अरुण दीक्षित का जवान के घर आना जाना था। यह जानकारी सामने आने के बाद पुलिस उसकी तलाश में लग गई। करीब 10 माह बाद रेलवे रोडवेज बस स्टेशन के पास से टेंपो ड्राइवर को अरेस्ट कर लिया। टेंपो ड्राइवर ने हत्या की कहानी सुनाई तो पुलिस वालों का कलेजा भी कांप उठा।

वर्जन

यह ब्लाइंड मर्डर पुलिस के लिए काफी चुनौतीपूर्ण था। आरोपी की तलाश में लगातार पुलिस टीम लगी रही। पुलिस के प्रयास से चौरहा मर्डर कांड का खुलासा हुआ। इसमें सभी पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों का सहयोग रहा। टेंपो ड्राइवर ने ही बारी-बारी से परिवार के लोगों की हत्या की। पूरी पड़ताल के बाद पुलिस उसे तलाश रही थी।

अनंत देव, एसएसपी गोरखपुर

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पैर से मारने पर खौल उठा था खून

टेंपो ड्राइवर ने पुलिस को बताया कि रजिया से उसके अच्छे संबंध थे। अक्सर वह उसके घर में रुक जाता था। जरूरत पड़ने पर उसने रजिया से 10 हजार रुपए का कर्ज लिया था, जिसमें सात हजार रुपए का बकाया चल रहा था। 29 जुलाई 2015 की रात नौ बजे वह रजिया के घर पहुंचा। ड्राइवर की पत्नी गांव गई थी। इसलिए वह रजिया के वहां रुक गया। रजिया, उसकी बड़ी बेटी बड़ी बेटी पूनम छत पर मच्छरदानी लगाकर सो गई। अंदर स्टडी रूम में छोटी बेटी रूबी और बेटे अनूप सो रहे थे। रात में करीब दो बजे रजिया उठकर टेंपो ड्राइवर के पास तख्त पर पहुंची। बातचीत में सात हजार को लेकर कहासुनी हो गई। गुस्साए ड्राइवर ने रजिया को एक थप्पड़ मार दिया। इसकी प्रतिक्रिया में रजिया ने ड्राइवर को लात मारकर गिरा दिया। नीचे गिरने पर तख्त के पास पड़ा हथौड़ा उठाकर ड्राइवर ने महिला के सिर में मार दिया। मां के चिल्लाने पर बेटा जागकर पहुंचा तो ड्राइवर ने उसे दौड़ा लिया। स्टडी रूम में उसके बेड पर हत्या कर दी। भाई की आवाज सुनकर छोटी बहन जगी तो उसे भी मार डाला।

जान बचाने को भागी, सीढि़यों पर घसीटा

ड्राइवर ने खुद बताया कि महिला की बड़ी बेटी पर ड्राइवर की नीयत पहले से खराब थी। तीन लोगों की हत्या करके वह सीढ़ी के पास बैठ गया। सुबह करीब पांच बजे छत पर सो रही पूनम छत से उतरी। तभी ड्राइवर ने उसके सिर पर हमला किया। कम चोट लगने से वह जान बचाकर छत की ओर भागी। ड्राइवर ने उसका पैर पकड़कर खींचने की कोशिश की। इस दौरान उसके कपड़े खुल गए। क्रूरता की हदें पार करते हुए ड्राइवर ने उसके साथ ज्यादती की। इस दौरान सिर में लगे चोट से उसकी जान चली गई। इत्मीनान से उठाकर ड्राइवर ने हाथ-पैर धोए। कपड़ों पर लगे खून के धब्बे धोए, एटीएम कार्ड, ज्वेलरी और मोबाइल समेट लिया। छह बजे आसपास घर में ताला बंद करके पीपीगंज चला गया। वहां सुजीत, सुदीप और छोटू से मिला। आठ हजार में महिला के गहने के बेच दिए। 29 जुलाई से एक अगस्त तक वह पीपीगंज में रूका रहा। जवान एटीएम कार्ड अपने परिचित शाहपुर के अतुल ओझा को देकर रुपए निकालने को कहा। अतुल के भाई रिशू ने एटीएम से विड्रॉल किया। पहचान उजागर होने के डर से मास्क पहनकर अलग-अलग प्रयास में 45 हजार रुपए निकाले। इसमें पांच-पांच हजार रुपए टेंपो ड्राइवर ने अपने साथियों को दिया। फिर आने गांव चला गया।

दो माह बाद चला गया अयोध्या

गांव से लौटा तो कमरे पर गया। कमरे का ताला टूटा देखकर उसको शक हुआ। इस दौरान उसको भनक लग गई कि पुलिस तलाश का रही है। कैंपियरगंज एरिया के राघवेंद्र दास के साथ अयोध्या चला गया। वहां अयोध्या के मठाधीस के कहने पर हरदोई के संडीला में महंत की हत्या की सुपारी ली। लेकिन उसके न मिलने पर प्लान कामयाब नहीं हो सका। इसके बाद वह पंजाब, दिल्ली, हैदराबाद सहित कई शहरों में भटकता रहा। इस दौरान पुलिस टीम उसकी तलाश में लगी रही। लेकिन सटीक सुराग न मिलने से आरोपी नहीं पकड़ा जा सका।

और कातिल बोला, साहब जेल से भागूंगा, पकड़ना तो मार देना

चार लोगों की हत्या के आरोपी को पुलिस ने जरूर पकड़ लिया। लेकिन उसके चेहरे पर जरा भी शिकन नहीं नजर आई। पुलिस अधिकारियों को चुनौती देते हुए कहाकि एक बार फिर वह जेल भागेगा। लेकिन जब पकड़ना तो जरूर मार देना। एसएसपी अनंत देव ने बताया कि आरोपी साइको है। उसके खिलाफ पहले से कुशीनगर जिले में लूट, आ‌र्म्स एक्ट और पुलिस अभिरक्षा से भागने का मुकदमा दर्ज है। वर्ष 2002 में वह कुशीनगर जिले से पुलिस कस्टडी से फरार हो गया था। तब गुलरिहा पुलिस ने उसे नशीले पदार्थ और अवैध असलहे के साथ अरेस्ट किया। जमानत पर छूटकर वह टेंपो चलाने लगा। लेकिन जेल जाने से उसके संबंध कई अपराधियों से हो गए।

डीजीपी ने दिया 50 हजार का इनाम

चौहरे हत्याकांड के खुलासे को लेकर पुलिस कार्रवाई पर कई बार सवाल खड़े हुए। इस मामले में पीडि़त पक्ष ने हाईकोर्ट की शरण ली। सात जून को कोर्ट ने पत्रावली के साथ पुलिस अधिकारियों को तलब किया गया था। इसके पहले पुलिस ने आरोपी को अरेस्ट कर लिया। एसएसपी ने कहा कि एसपी सिटी हेमराज मीणा के नेतृत्व, क्राइम ब्रांच के सीओ क्राइम अभय मिश्रा की अगुवाई में एसआई संतोष सिंह, राधेश्याम राय, सीआईयू प्रभारी अनिल उपाध्याय, कांस्टेबल विपेंद्र मल्ल, शशिकांत राय, रसीद अख्तर, सनातन सिंह, सत्य प्रकाश वर्मा, करुणापति, दुर्गेश मिश्रा, राकेश यादव और सुभाष सिंह की कड़ी मेहनत पर घटना का खुलासा हो सका। पुलिस टीम को डीजीपी ने 50 हजार के इनाम की घोषणा की। एसएसपी ने कहा कि टेंपो ड्राइवर का साथ देने वाले लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करके कार्रवाई की जाएगी।

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चार लोगों की हत्याकर लगाया था ताला

झंगहा एरिया के राजी जगदीशपुर गांव का जवाहर लाल कन्नौजिया सीआरपीएफ में हवलदार है। झारखंड में तैनात जवान की पत्नी राजी उर्फ रजिया, बड़ी बेटी पूनम, छोटी बेटी रूबी और बेटा अनूप की पढ़ाई-लिखाई के लिए शाहपुर, झरना टोला के ठाड़ो लाइन में मकान बनवाया। इसके पहले उसका परिवार झरना टोला के नीना थापा के पास महेश मौर्या के मकान में रहता था। उसी मकान में टेंपो ड्राइवर कुशीनगर जिले के कोतवाली, सिरसिया दीक्षित गांव अरुण कुमार दीक्षित उर्फ बबलू दीक्षित उर्फ शास्त्री भी रहता था। इसलिए दोनों परिवारों में घनिष्ठता हो गई। मकान बनने के आठ माह बाद जवाहर की फैमिली नए मकान में शिफ्ट में हो गई। 30 जुलाई 2015 को सुबह 10 बजे जवाहर लाल ने अपनी पत्नी के मोबाइल पर कॉल किया। मोबाइल स्विच ऑफ होने से उसने अपने साले रामू को घर भेजा। गेट पर ताला बंद देखकर रामू को शक हुआ। बिना बताए परिवार के सभी सदस्य कहां जा सकते हैं। खिड़की से झांककर देखने पर पता लगा कि चारों की हत्या कर दी गई थी। राजी उर्फ रजिया की डेड बॉडी बाहर के कमरे में तख्त पर पड़ी थी। छोटी बेटी रुबी और बेटे अनूप की डेड बॉडी स्टडी रूम में जबकि बड़ी बेटी पूनम की डेड बॉडी सीढि़यों के पास मिली। रजिया का मोबाइल और एटीएम कार्ड गायब होने से पुलिस कई बिंदुओं पर काम करने लगी।

Posted By: Inextlive