- गोरखपुर के बदमाशों के पास नाइन एमएम की तलाश में पुलिस

- हार्ड कोर और पेशेवर ज्यादा यूज कर रहे वेपन

- कहां से आती सप्लाई, जांच में जुटी पुलिस

GORAKHPUR: झंगहा एरिया में चचेरे भाइयों की नाइन एमएम की पिस्टल से गोली मारकर मर्डर करने के मामले ने पुलिस के माथे पर बल ला दिया है। घटनास्थल से जान बचाकर भागे चश्मदीद के बयानों के आधार पर पुलिस छानबीन में जुटी है। लेकिन इस दौरान यह बात सामने आई है कि जिन लोगों ने चचेरे भाइयों को गोली मारी थी, वह दोनों काफी शातिर हैं। उनके पास नाइन एमएम के पिस्टल होने से इस बात का अंदाजा लगाया जा रहा है कि इस वारदात के पीछे शूटर के अतिरिक्त कई लोग शामिल हैं। आम तौर पर जनपद के बदमाश 312 और 315 बोर के तमंचों का इस्तेमाल करते हैं। जबकि कुछ गिनेचुने शातिर ही नाइन एमएम की पिस्टल यूज करते हैं। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि शूटरों की गिरफ्तारी के बाद असलहा कहां से कैसे मिला था, इसकी पड़ताल की जाएगी। असलहा तस्करी के नेटवर्क को पुलिस ध्वस्त करेगी।

कब, किसके पास बरामद हुई नाइन एमएम पिस्टल

रविवार को झंगहा एरिया में रामनगर कड़जहां निवासी दिवाकर और कृष्णा की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। दोनों को नाइन एमएम पिस्टल से ताबड़तोड़ छह-छह गोलियां मारी गई थीं। पहली जांच में पुलिस को शक हुआ था कि वारदात को पेशेवर बदमाशों ने अंजाम दिया है। वारदात में नाइन एमएम की पिस्टल का इस्तेमाल सामने आया। आमतौर से इस तरह की पिस्टल पेशेवर बदमाश ही रखते हैं। दूसरी वजह सामने आई कि बदमाशों का निशाना काफी सटीक था, दिवाकर के सिर और कृष्णा के बाई तरफ सीने में कंधे के नीचे गोली लगी थी। इस घटना के बाद पुलिस यह जानकारी जुटाने में लगी है कि जिले में कब, कितनी और किसके पास से नाइन एमएम की पिस्टल बरामद हुई है। इसके अलावा किस-किस गैंग के पास नाइन एमएम की पिस्टल हो सकती है। झंगहा की घटना में हमलावरों की पहचान हो गई है। लेकिन उनकी गिरफ्तारी के बाद पिस्टल के संबंध में जानकारी मिल सकेगी। इसके आधार पर पुलिस अपनी जांच का दायरा भी बढ़ा देगी।

माफियाओं की पहली पसंद, प्रतिबंधित बोर के कारतूस

पुलिस से जुड़े लोगों का कहना है कि गोरखपुर सहित पूर्वाचल के कई जिलों में एक समय के बाद अपराधी नाइन एमएम पिस्टल का इस्तेमाल करने लगते हैं। मुंगेर में बनी पिस्टल पर माफियाओं को ज्यादा भरोसा रहता है। कम दाम में अच्छा असलहा मिलने की वजह से माफिया और उनके गुर्गे इसका ज्यादा इस्तेमाल करते हैं। हालांकि यह एक प्रतिबंधित बोर हैं इसलिए इसके कारतूस महंगे मिलते हैं। आम बदमाशों के लिए इसे रख पाना थोड़ा मुश्किल होता है। पूर्व में पकड़े गए असलहा तस्कर यह जानकारी दे चुके हैं कि 20 हजार से लेकर 50 हजार तक में नाइन एमएम की पिस्टल मिल जाती है। पूर्वाचल में 90 के दशक से लेकर अभी तक नाइन एमएम की पिस्टल गरज रही है। पुलिस से जुड़े लोगों का कहना है कि जब मुन्ना बजरंगी, बृजेश सिंह, मुख्तार अंसारी सहित अन्य माफिया गिरोहों का दबदबा था, तब भी इनके बीच सुपारी किलिंग के लिए नाइन एमएम के असलहों का यूज किया गया। बीच के दिनों में इसकी डिमांड कम हुई थी। लेकिन पिछले चार-पांच साल से इन असलहों की चाहत बढ़ी है।

इसलिए यूज करते नाइन एमएम

यह एक प्रतिबंधित बोर है। सेना और पुलिस कर्मचारियों के लिए अलाउड है।

हल्का और छोटा हथियार होने से इसे कैरी करना और छुपाने में आसानी होती है।

इस वेपन से अचानक निकलने वाले और हरकत करने वाले टारगेट पर निशाना लगाने में आसानी होती है।

फायर तेज होने से इससे मुठभेड़ के दौरान गोली चलाने में सहूलियत मिलती है।

मैगजीन में गोलियों की तादाद ज्यादा होने से देर तक फायर किया जा सकता है।

इस असलहे को एक हाथ से होल्ड करके फायर किया जा सकता है।

वर्जन

झंगहा की घटना में पुलिस की जांच जारी है। कुछ लोगों से पूछताछ की गई है। जल्द ही शूटरों को अरेस्ट कर लिया जाएगा। घटना में नाइन एमएम की पिस्टल यूज की गई थी। शूटरों के अरेस्ट होने के बाद आगे भी तफ्तीश जारी रहेगी।

डॉ। सुनील गुप्ता, एसएसपी

Posted By: Inextlive