- ब्लू व्हेल जैसे गेम्स के बारे में पैरेंट्स को पुलिस करेगी अवेयरनेस- बच्चों में एब्नॉर्मल सिम्प्टम्स सामने आने पर काउंसलर से लें सलाह

i Alert

GORAKHPUR:

मद्रास हाईकोर्ट ने सोमवार को ब्लू व्हेल गेम पर स्वत: संज्ञान लेते हुए इसे बैन करने का तरीका ढूंढने का निर्देश राज्य व केन्द्र सरकार को दिया है। अभी शनिवार को ही मध्य प्रदेश के दमोह में एक बालक की मौत हो गई। ब्लू व्हेल गेम से खतरे को देखते हुए यूपी पुलिस ने पैरेंट्स को सचेत किया है कि वह अपने बच्चों पर निगरानी रखें। वहीं गेम के जरिए बच्चों को सुसाइड के लिए उकसाने वाली प्रवृत्ति को रोकने के लिए पुलिस पैरेंट्स को सजग करेगी। अवेयरनेस कैंपेन चलाकर उन्हें इस बारे में जानकारी दी जाएगी कि बच्चों की निगरानी रखें और उनमें असहज व्यवहार सामने आने पर तत्काल मनोचिकित्सकों से सलाह लेकर काउंसलिंग कराएं।

 

जान देकर पूरा करते थे टास्क

रूस से शुरू हुए ब्लू व्हेल चैलेंज गेम की दहशत में आकर कई बच्चों ने सुसाइड कर लिया है। यह गेम किशोरों को चैलेंज पूरा करने के लिए उकसाता है। गेम खेलने वाले को जीतने के लिए हर टॉस्क को पूरा करना होता है। अंत में जान देने वाला ही इस गेम को जीत पाता है। सुसाइड गेम में शामिल ए सी ऑफ व्हेल्स, अ साइलेंट हाउस, वेक अप मी एट 4.20 एम शामिल हैं। इसमें खेलने वाले को 50 दिन में अपना टॉस्क पूरा करना होता है। ये टॉस्क काफी खतरनाक होते हैं। हमीरपुर जिले में छात्र के सुसाइड करने के बाद यूपी पुलिस ने अलर्ट जारी कर दिया है।

 

बदल जाता है बच्चों का व्यवहार

इंटरनेट गेमिंग के एडिक्ट बच्चे इसकी चपेट में आसानी से आ जाते हैं। कंप्यूटर और स्मार्टफोन्स पर घंटों गेम्स खेलने वाले इंटरनेट गेमिंग एडिक्शन के शिकार बच्चों को जब गेम खेलने को नहीं मिलता है तो उनका व्यवहार बदल जाता है। ऐसे में बच्चों को इस लत से बचाने के लिए साइकोलॉजिस्ट बच्चों को सामान्य दशा में लाने की कोशिश करते हैं। बच्चे के साथ मजबूत, इमोशनल रिश्ता बनाकर प्रभावित करते हैं। गेम खेलने की आदतों को धीरे-धीरे कम करते हुए बच्चों के बचाव का उपाय किया जाता है।

 

ये लक्षण आते हैं सामने

- गेम खेलने से मना करने पर बच्चों का व्यवहार अचानक बदल जाता है।

- बच्चे अपने पैरेंट्स, दोस्तों और अन्य के साथ आक्रामक व्यवहार करने लगते हैं।

- बच्चों के व्यवहार में चिड़चिड़ापन, आक्रामकता और उदासीनता भी पाई जाती है।

- कम नींद, सोचने और समझने में प्रॉब्लम आने लगती है।

- अपनी मां के प्रति आक्रामक व्यवहार, परिवार और दोस्तों से अलग अकेले रहने लगते हैं।

- बच्चों की डाइट भी प्रभावित होती है। स्कूल की पढ़ाई में बच्चे पिछड़ने लगते हैं।

 

बच्चे यह कतई न करें

- अपने हाथ पर रेजर से कुछ बनाना।

- घर की सबसे ऊंची छत पर जाकर कुछ देर के लिए खड़ा होना।

- दिनभर हॉरर, डार्क, डिप्रेसिंग कंटेट और सेल्फीज को सोशल मीडिया पर डालना।

- भागने के लिए तैयार रहना, रोजाना कोई न कोई टॉस्क पूरा करने का प्रयास करना।

 

वर्जन

ब्लू व्हेल जैसे गेम खतरनाक हैं। इंटरनेट गेमिंग एडिक्शन के शिकार बच्चे इसकी जद में आ सकते हैं। इसलिए पैरेंट्स को अपने बच्चों पर नजर रखनी चाहिए। पुलिस की ओर से सोशल मीडिया सहित अन्य माध्यमों के जरिए पैरेंट्स को जागरूक किया जाएगा।

मोहित अग्रवाल, आईजी

Posted By: Inextlive