अदा की नमाज, अल्लाह की राह में पेश की कुर्बानी
- गोरखपुर में मनाया गया ईद-उल-अजहा
- शहर की तमाम ईदगाहों व विभिन्न मस्जिदों में हुई कोरोना वायरस की निजात की दुआ GORAKHPUR: लॉकडाउन व कोरोना प्रकोप के बीच शनिवार को ईद-उल-अजहा की नमाज शहर की तमाम ईदगाहों व विभिन्न मस्जिदों में मुल्को मिल्लत में सलामती व कोरोना वायरस की निजात की दुआ के साथ संपन्न हुई। पांच-पांच लोगों ने ईदगाहों व मस्जिदों में और बाकी लोगों ने घरों में चाश्त की नमाज अदा की। इसके बाद मुस्लिम घरों में कुर्बानी की परंपरागत रस्म अदा की गई। बंदों ने रो-रो कर कुर्बानी के कुबूलियत व अपने गुनाहों के माफी की दुआ मांगी। सभी ने सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया। मास्क पहना, गाइड लाइन का मुस्तैदी से पालन किया, जरूरतमंदों की मदद की। 'सबकुछ कुर्बान कर देना दीन-ए-इस्लाम'नार्मल स्थित दरगाह हजरत मुबारक खां शहीद मस्जिद में कारी अफजल बरकाती ने तकरीर में कहा कि एक अजीम पैगंबर हजरत इब्राहीम अलैहिस्सलाम व उनके बेटे पैगंबर हजरत इस्माईल अलैहिस्सलाम ने कुर्बानी देकर दुनिया को दिखा दिया कि अल्लाह की रजा के लिए सब कुछ कुर्बान कर देने का नाम दीन-ए-इस्लाम है। जामा मस्जिद सुब्हानिया तकिया कवलदह में मौलाना जहांगीर अहमद अजीजी ने कहा कि कुर्बानी के जानवर को जिब्ह करने में हमारी नियत होनी चाहिए कि अल्लाह हमसे राजी हो जाए। यह भी नियत हो कि मैंने अपने अंदर की सारी बदअख्लाकी और बुराई सबको इसी कुर्बानी के साथ जिब्ह कर दिया। इसी वजह से दीन-ए-इस्लाम में ज्यादा से ज्यादा कुर्बानी करने का हुक्म दिया गया है। मस्जिद जामेनूर बहादुर शाह जफर कॉलोनी बहरामपुर में मौलाना मो। कलीमुल्लाह कादरी ने कहा कि कुर्बानी का अर्थ होता है कि जान व माल को अल्लाह की राह में खर्च करना। इससे अमीर, गरीब इन अय्याम में खास बराबर हो जाते हैं और बिरादराने इस्लाम से भी मोहब्बत का पैगाम मिलता है। गौसिया जामा मस्जिद छोटे काजीपुर में मौलाना मोहम्मद अहमद निजामी ने कहा कि कुर्बानी से भाईचारगी बढ़ती है। नूरी मस्जिद तुर्कमानपुर में मौलाना मो। असलम रजवी ने कुर्बानी के गोश्त को पड़ोसियों, गरीबों, फकीरों में बांटने की अपील की।
जुबां पर रही तकबीर-ए-तशरीक की सदावहीं, लॉकडाउन से अवाम ने घरों में चाश्त की नफ्ल नमाज अदा की। नमाज के बाद मुस्लिम घरों में हजरत इब्राहीम अलैहिस्सलाम व हजरत इस्माईल अलैहिस्सलाम की कुर्बानी को याद करते हुए बकरा, भैंस व पड़वा की कुर्बानी परंपरा के अनुसार दी गई। अल्लाह की बरगाह में कुर्बानी के कुबूल होने की दुआ हुई। जानवर जिब्ह किया गया। इसके बाद गोश्त को तीन हिस्सों में बांटा गया। गरीबों, यतीमों, पड़ोसियों, रिश्तेदारों में गोश्त बांटा गया। जमुनहिया बाग में तीस हजार रुपए का दुंबा आकर्षण का केंद्र रहा।
बंद रहीं दुकानें मुस्लिम बाहुल्य इलाकों रहमतनगर, खोखर टोला, गाजी रौजा, जाफरा बाजार, शाहमारूफ, रेती चौक, रसूलपुर, गोरखनाथ, पुराना गोरखपुर, चक्सा हुसैन, जाहिदाबाद, जमुनहिया बाग, फतेहपुर, नसीराबाद, बड़े काजीपुर, खूनीपुर, इस्माईलपुर, अस्करगंज, नखास, छोटे काजीपुर, उर्दू बाजार, शेखपुर, बसंतपुर, बेनीगंज सहित अन्य जगहों पर चहल पहल रही। लॉकडाउन की वजह से बच्चे मायूस नजर आए। दुकानें बंद होने की वजह से अपना मनपसंद सामान नहीं खरीद पाए। कई जगह रोटियां भी बिकती दिखीं।