-गोरखपुर में 16 परसेंट मेल, जबकि 10 परसेंट ही फीमेल हाइपरटेंशन का शिकार

-इसमें ज्यादातर महिलाओं का इनिशियली एक्सेस स्टेज में है ब्लड प्रेशर

-घर और बच्चों की टेंशन बना रही हैं शिकार

GORAKHPUR: बगैर पंखों के आसमान में उड़ने की ख्वाहिश लोगों को बीमार बना रही है। इसकी जद में सभी है, लेकिन सबसे ज्यादा असर अगर किसी पर पड़ रहा है, तो वह है यंग जनरेशन के मेल्स पर, जो पास मौजूद फैसिलिटीज को नजर अंदाज करते हुए चादर से बाहर पांव पसारकर अपनी ख्वाहिशों को ही पूरा करने की कोशिश में लगे हैं। वहीं काम के बोझ तले दबे यंगस्टर्स भी इस जद में आने लगे हैं। गोरखपुर के मेल्स की बात करें तो फीमेल के मुकाबले यह ज्यादा हाईपरटेंसिव पाए गए हैं। नेशनल हेल्थ सर्वे -ब् में यह बात सामने आई है। कम सैलेरी और फैसिलिटीज के अभाव में उनकी ख्वाहिशें पूरी नहीं हो पा रही हैं, जिससे वह कुढ़-कुढ़कर जिंदगी जी रहे हैं और हाईपरटेंशन का शिकार हो रहे हैं।

क्म् परसेंट मेल, क्0 परसेंट फीमेल शिकार

हाइपरटेंशन एक ऐसी बीमारी है, जो इस भागती दौड़ती जिंदगी में लगातार अपना पांव पसार रही है। क्वालिफिकेशन से ज्यादा डिजायर, इररेग्युलर डाइट के साथ ही फिजिकल वर्क में कमी भी लोगों को हाइपरटेंशन का शिकार बना रही है। नेशनल हेल्थ सर्वे के डाटा पर नजर डालें तो क्भ्-ब्9 साल के लोगों पर हुए सर्वे में यह बात सामने आई कि फीमेल्स से ज्यादा मेल इस बीमारी का शिकार पाए गए हैं। इसमें जहां रूरल आबादी की 9.7 फीसद महिलाएं हाइपरटेंसिव पाई गई, तो वहीं अर्बन एरियाज में इनकी तादाद इससे कई ज्यादा मिली है। वहीं मेल्स की बात करें तो शहर क्म् परसेंट मेल इसकी चपेट में हैं।

मानसिक तनाव नहीं है हाइपरटेंशन

अब तक लोगों में यह मान्यता है कि मानसिक तनाव ही हाइपरटेंशन है। मगर मेडिकल टर्म की बात की जाए तो जब आदमी का ब्लड प्रेशर क्ख्0/80 से ऊपर पहुंचता है तो यह फेज टेंशन या कंडिशनल टेंशन कहलाता है, वहीं जब बीपी क्ब्0/90 से ज्यादा पर पहुंचता है, तो यह कंडीशन हाईपरटेंशन की कैटेगरी में रखी जाती है। इसके दो बजे कॉज मेंटल हेल्थ और मेडिकल कॉजेज हैं।

मेंटल क्लॉज - सोशल कंडीशन, सराउंडिंग एंड एनवायर्नमेंटल कंडीशन, फिजिकल कंडीशन, मेराइटल कंडीशन, डोमेस्टिक कंडीशन, इकोनॉमिकल कंडीशन, कल्चरल और जातिगत कंडीशन

वजह - एक्सेसिव डिजायर विदाउट क्वालिफिकेशन

मेडिकल क्लॉज

कार्डियो वेसिकुलर डिजीज, डिजीज ऑफ वीनस सिस्टम, डिजीज ऑफ इंडोक्रायनल सिस्टम, मेटाबोलिक डिस्ऑर्डर

वजह - इररेग्युलर डाइटरी हैबिट एंड लीस्ट फिजिकल एक्सरसाइज, स्पेशली फैट एंड प्रोटीन, इंड्यूज मैटेरियल फॉर क्रॉप एंड मैटेरियल, नमक

किस एज ग्रुप में और क्यों?

चाइल्ड ग्रुप - 0 से क्भ् - रेयर या ब्रेन प्रॉब्लम

एडल्ट - क्भ् से ब्भ् - फिजिकल कंडीशन एंड इररेग्युलर डायरटी हैबिट

जेरियॉटिक - ब्भ् से 70 - मेडिकल हैबिट

ओल्डर - 70 से ऊपर - बॉडी फंक्शन

क्या है सिंप्टम -

सिरदर्द, थकान, कमजोरी, घबराहट, नजर कमजोर, धुंधलापन, चक्कर, उलझन, कान में घंटी बजना, सांस फूलना, अनियंत्रित धड़कन की प्रॉब्लम, अनकॉन्शस

क्या पड़ेगा इफेक्ट -

- अर्टरीज सिकुड़ना

- ब्रेन में ब्लड क्लॉट (ब्रेन हैमरेज)

- हार्ट अटैक

- एन्युरिज्म

- किडनी फेल्योर

- हार्ट फेल्योर

- आई डैमेज

क्या है प्रिकॉशन -

- बैलेंस डाइट लें

- भूख लगने पर ही खाना खाएं

- रेग्युलर एक्सरसाइज

- अपने डिजायर को कम करें

- रेग्युलर चेकअप कराते रहें।

स्टैटिस्टिक -

फीमेल्स -

नॉर्मल से अबव - 7.8 परसेंट

मॉडरेटली हाई - क्.0 परसेंट

वेरी हाई - क्.क् परसेंट

मेल्स -

नॉर्मल से अबव - क्क्.8 परसेंट

मॉडरेटली हाई - ख्.ख् परसेंट

वेरी हाई - ख्.क् परसेंट

नॉर्मल रेंज -

नॉर्मल से अबव - क्ब्0-क्भ्9/90-99

मॉडरेटली हाई - क्म्0-क्79/क्00-क्09

वेरी हाई - क्80/क्क्0 या इससे ज्यादा

एक्सेसिव डिजायर विदाउट क्वालिफिकेशन लोगों को हाइपरटेंशन का मरीज बना रही है। लोग अपनी लिमिट से ज्यादा सोचने लगते हैं, लेकिन लिमिटेशन होने की वजह से उनकी ख्वाहिशें पूरी नहीं हो पाती, जिसकी वजह से उनको धीरे-धीरे टेंशन होने लगती है, तो वक्त बीतने के साथ बढ़ जाती है।

- डॉ। संदीप श्रीवास्तव, फिजीशियन

Posted By: Inextlive