गोरखपुर के लोग अब अदब लिहाज के लिए भी जाने जाएंगे. गौर करने वाली बात यह है कि यहां पर एक कॉल पर शहरवासी एक जगह ठहर जाते हैं. जी हां ग्रीन कारिडोर बनाकर इमरेजेंसी में मरीजों की जान बचाई जा रही है. पब्लिक के सपोर्ट से ही यह पॉसिबल हो पा रहा है. अब तक ग्रीन कारिडोर के जरिए 13 जिंदगियां बचाई जा चुकी हैं. ये सुविधा केवल गंभीर मरीजों को मिलती है जिनकी जरा भी लेट होने पर जान जा सकती है. इसके अलावा नार्मल मरीजों के लिए ये सुविधा नहीं है.


गोरखपुर (ब्यूरो).इमरजेंसी में एंबुलेंस सेवा 108, 102 के वाहन अक्सर जाम की वजह से मरीज को लेकर सड़क पर फंस जाते थे। समय से इलाज ना मिलने के कारण मरीज की मौत हो जाती थी। इसके लिए ग्रीन कारिडोर का प्लान तैयार किया गया। जिससे जिला अस्पताल और मेडिकल कालेज तक इमरजेंसी में एंबुलेंस कम समय में पहुंच पाए। मरीजों को गंभीर हालत में उन्हें गोल्डेन आवर में मेडिकल कॉलेज और जिला अस्पताल पहुंचाने के लिए विशेष रुप से ग्रीन कॉरिडोर की व्यवस्था की गई।इस तरह काम करता है ग्रीन कारिडोर


ट्रैफिक पुलिस के पास गंभीर मरीज की सूचना आते ही। एंबुलेंस वाहनों का रास्त क्लियर करने के लिए ट्रैफिक पुलिस और जिला पुलिस के सहयोग लिया जाता है। एंबुलेंस में लगे पीए सिस्टम और नगर निगम स्थित आईटीएमएस के हेल्पलाइन नंबर 8081 208538 तत्काल केस के बारे जानकारी दी जाती है। इसके बाद आईटीएमएस से सभी चौक पर इसकी सूचना बार-बार प्रसारित की जाती है। जब तक वाहन सभी चौराहों को पार न कर ले। चौक पर ट्रैफिक पुलिस के जवान और रास्ते में पडऩे वाले थाने पर पुलिस एंबुलेंस का रास्ता क्लियर कराती है।बाई लेन रखनी होती है खाली

सड़क पर चलते समय बाईं लेन खाली रखनी ही होती है। ऐसा न करने पर जुर्माना लगाने का भी प्रावधान है। वहीं इमरजेंसी में एंबुलेंस को बाईं लेन पकड़कर चलना होता है। साथ ही जुलूस एवं त्योहार के समय इमरजेंसी केस को लेकर विपरीत दिशा में भी एंबुलेंस सदर अस्पताल और मेडिकल कॉलेज जा सकती है।बाईं लेन खाली कराना चुनौतीट्रैफिक पुलिस की मानें तो ग्रीन कारिडोर बनाते समय एक समस्या बार-बार आती है। यहां के लोग बाईं लेन में बार-बार मना करने के बाद भी गाड़ी खड़ी कर देते हैं। जिन्हें हटाना पड़ता है। जबकि चौराहे पर बाईं लेन खाली रखने के लिए बार-बार हिदायत दी जाती है।केस 1दस अगस्त की शाम एंबुलेंस को-ऑर्डिनेटर प्रवीण पांडे ने ट्रैफिक पुलिस से अनुरोध किया कि एक एंबुलेंस जिसका नंबर क्क 32 क्चत्र 9500 है, जिला अस्पताल को जा रही है। जिसमें गोला की अमृता नाम की बच्ची है। जोकि हार्ट की समस्या से जुझ रही है। उसकी सांस धीरे-धीरे थमने लगी हैं। उसे प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र गोला से 108 एंबुलेंस के से से जिला अस्पताल के लिए रेफर कर दिया गया है.? जिसके बाद सभी चौराहों पर शहरवासी ठहर गए और उस बच्ची की ग्रीन कारिडोर बनाकर जान बचाई गई। इस दौरान महज 6 मिनट में एंबुलेंस जिला अस्पताल पहुंची।केस 2

आठ मिनट में मेडिकल कॉलेज पहुंची एंबुलेंस 12 जुलाई को ग्रीन कारीडोर के चलते नौसढ़ से मेडिकल कालेज की 13 किमी की दूरी एंबुलेंस ने मात्र आठ मिनट में तय कर ली। इससे दुर्घटना में घायल दो बच्चों की जान बचाई जा सकी। ऊरुवा किशुनपुर गांव के तीन युवक सिकरीगंज की तरफ से लौट रहे थे। पिपरा पांडेय गांव के पास उनकी स्कूटी किसी अन्य वाहन से टकरा गई। पहले तो वह निजी साधन से घायल बच्चों को ऊरुवा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ले गए। वहां 108 नंबर एंबुलेंस को बुलाया.एक बच्चे की हालत काफी गंभीर थी।कम समय में सभी चौराहों को खाली कराना बहुत ही चुनौतीपुर्ण होता है। इसम खास तौर से बाईं लेन खाली कराने में अधिक समय लगता है। पब्लिक अगर नियम से चले तो और कम समय में चौराहे खाली कर किसी को नया जीवन दिया जा सकता है।डॉ। एमपी सिंह, एसपी ट्रैफिक

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