वाराणसी से संचालित तेल कंपनी जेवीएल एग्रो इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने स्वयं को दिवालिया घोषित करते हुए तकरीबन 1000 करोड़ रुपए गुड एंड सर्विस टैक्स जीसएटी के दबा लिए. ऐेसे में अब गोरखपुर मंडल के तेल व्यापारियों को सीबीआई नोटिस आने लगा है. इससे तेल व्यापारियों में दहशत का माहौल है.


गोरखपुर (संतोष गिरी )।यह समूह यूपी, बिहार, पश्चिम बंगाल के साथ-साथ इंडोनेशिया, चेकोस्लोवाकिया, मलेशिया और श्रीलंका में अपने झूला ब्रांड की सेल करता था। सूत्रों के अनुसार सिर्फ यूपी-बिहार में 20 हजार करोड़ से अधिक का कारोबार किया। 2018-19 में अपने को दिवालिया घोषित कर कंपनी को बंद कर दिया। जब सरकार ने केस दर्ज कर जांच आदेश दिया तो जेवीएल एग्रो ने सारा दोष व्यापारियों के सिर मढ़ दिया। अब सिटी के तेल कारोबारी सीबीआई के चक्कर लगा रहे हैं।1980 में समूह की स्थापना, 2018 में दिवालिया


जेवीएल एग्रो इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने जौनपुर के नाऊपुर में झूला कंपनी 1980 में स्थापित की थी। इसके उत्पाद झूला वनस्पति, रिफाइंड और सरसों के तेल ने देश में अलग पहचान बना ली। 25 टन प्रतिदिन के उत्पादन से शुरुआत करने वाली यह कंपनी बाद में करीब एक हजार टन प्रतिदिन उत्पादन का दावा करने लगी। भारत के कई प्रदेशों में अपनी इकाई स्थापित करने वाली जेवीएल इंडोनेशिया, चेकोस्लोवाकिया, मलेशिया और श्रीलंका से आयात निर्यात में पैठ बनाने में सफल रही। मंदी के दौर में भी कंपनी लाभांश देने में सफल रही। जेवीएल इंडस्ट्रीज की बैक बोन नाऊपुर की ही इकाई रही। घाटे में गई जेवीएल एग्रो के खिलाफ नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल ने कारपोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया 25 जुलाई 2018 को जारी की।वाराणसी की कंपनी, गोरखपुर में तेल डिपोतेल व्यापारियों की मानें तो जेवीएल एग्रो इंडस्ट्रीज लिमिटेड का गोरखपुर में एक तेल डिपो था। डिपो से सिटी के थोक व्यापारी तेल खरीदते थे और बिल के साथ टैक्स भी पे करते थे, लेकिन कंपनी डूब जाने के बाद गोरखपुर के व्यापारियों को जेवीएल एग्रो इंडस्ट्रीज लिमिटेड की ओर से बकाया बताया जा रहा है। वहीं, व्यापारियों का कहना है कि अगर बकाया रहता तो बिल देते, ट्रांसपोर्ट की बिल्टी होती या ई-वे बिल होता, लेकिन कुछ भी तो तेल कंपनी ने नहीं दिया।तीन तेल व्यापारियों के पास आया सीबीआई नोटिसगोरखपुर के साहबगंज मंडी के तेल थोक व्यापारी जो गोरखपुर डिपो से झूला रिफाइंड खरीदते थे, जिसमें अशोक ट्रेडर्स, विजय ट्रेडर्स और श्याम ट्रेडर्स है, जिन्हें सीबीआई की नोटिस आई है। नोटिस में सीबीआई ने लेजर, बैंक स्टेटमेंट और बैलेंसशीट मांगी है। गोरखपुर के व्यापारियों को बीते माह सीबीआई की नोटिस मिला है।कंपनी ने जीएसटी 3-बी भरा और आर-1 नहीं

सीए के अनुसार किसी कंपनी को जीएसटी 3-बी और आर-1 दोनों भरना पड़ता है, जिसमें एक हाथ से व्यापारियों से टैक्स लीजिए और सरकार को टैक्स दीजिए। उस हिसाब से कंपनी ने 20 हजार करोड़ का कारोबार किया, जिसका 5 परसेंट जीएसटी 1000 करोड़ होता है। जेवीएल एग्रो इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने 1000 करोड़ का टैक्स गबन किया है। डिपो से संपर्क रखने वाले अशोक जालान ने बताया कि गोरखपुर में जेवीएल एग्रो इंडस्ट्रीज लिमिटेड का डिपो था, जिसको सरकार ने अपने कब्जे में ले लिया है। नोटिस देकर व्यापारियों को परेशान किया जा रहा है। हम लोग पैसा, टैक्स दिया और सामान लिया। व्यापारियों का कोई दोष नहीं। तीन व्यापारियों को सीबीआई का नोटिस मिला है। लखनऊ ऑफिस में जाना होता है। इसके साथ बिहार और कोलकाता के व्यापारियों के पास नोटिस आया है। - संजय सिंघानिया, अध्यक्ष, चैंबर ऑफ कॉमर्स

Posted By: Inextlive