कोरोना महामारी के दो साल बाद गोरखपुर से हज पर गए आजमीन का मक्का और मदीना शरीफ के 40 दिनों के मुकद्दस सफर से वतन वापसी का सिलसिला शुरू हो गया है. मंगलवार देर रात लखनऊ एयरपोर्ट पर हाजियों के इस्तकबाल के लिए पहुंचे लोगों की पलकें भीग गईं. हाजियों के इस्तकबाल के लिए पहुंचे लोगों और उनके परिवार वालों के मिलन के ये पल भावुक कर देने वाले थे. सभी भीगी पलकों और रूंधे गले से एक-दूसरे को निहारते और गले मिलते नजर आए. इसके साथ ही बुधवार को हाजी अपने परिवार वालों के साथ अपने घरों को पहुंच गए.


गोरखपुर (ब्यूरो).गोरखपुर के मियां बाजार में रहने वाले हाजी नबी मोहम्मद, हाजी खुर्शीद आलम, हज्जिन शहनाज खातून, गोला बाजार के हाजी इलियास अहमद राइन, हज्जिन अकीला खातून आदि सहित तमाम हाजियों का इस्तकबाल करने मोहम्मद कैफी, रमजान अली, मनोव्वर अहमद, रफी मोहम्मद, वसी अहमद, मो। अब्दुल्लाह, अबरार, अनीस मौर्या, सोनी मौर्या, अजीज अहमद, मो। मखदूम, मो। जुबैर, मोहम्मद आजाद, मो। शाहिद, मो। राशिद, सबी मोहम्मद, मो.जफरुल आदि पहुंचे। मुकद्दस सफर से लौटे हाजियों के इस्तकबाल में रात से ही उनके परिवार और परिचित एयरपोर्ट पर उनके इंतजार में पलकें बिछाए रहे। हाजियों के एयरपोर्ट से बाहर आने वाला नजारा भावुक करने वाला रहा। हाजी और उन्हें लेने आए लोग गले मिलते, हाथ मिलाते और जज्बातों में आंखें भिगोते देखे गए। गोरखपुर से गए थे 144 आजमीन
हाजी नबी मोहम्मद, हाजी खुर्शीद आलम, हज्जिन शहनाज खातून ने कहा कि अल्लाह व रसूल का करम है जो मुकद्दस हज करने की तौफिक मिली। मक्का-मदीना शरीफ के तमाम मकामात पर इबादत व जियारत की। नबी-ए-पाक हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की बारगाह में सलाम पेश करने का मौका मिला। हज के तमाम अरकान आसानी के साथ अदा किए। बस दुआ है कि सारी जिंदगी शरीअत पर चलते हुए गुजर जाए। हिन्दुस्तान की तरक्की, अमनो अमान के लिए खास दुआ की। गौरतलब है कि दो साल बाद गोरखपुर से हज यात्रा पर करीब 144 लोग गये थे। जून के दूसरे सप्ताह से रवानगी का सिलसिला शुरू हुआ। जुलाई के दूसरे सप्ताह में हज के तमाम अरकान मुकम्मल हुए। हाजियों की वापसी का सिलसिला अगस्त तक जारी रहेगा।

Posted By: Inextlive