- ऑनलाइन मनाया गया अमीरुल मोमिनीन हजरत अली का उर्स-ए-पाक

- तंजीम कारवाने अलहे सुन्नत के नूरी नेटवर्क की ओर से ऑर्गनाइज हुआ प्रोग्राम

GORAKHPUR: तंजीम कारवाने अहले सुन्नत के नूरी नेटवर्क की ओर से मंगलवार को मुसलमानों के चौथे खलीफा अमीरुल मोमिनीन हजरत सैयदना अली रदियल्लाहु अन्हु का उर्स-ए-पाक ऑनलाइन मनाया गया। कुरआन-ए-पाक की तिलावत हुई। नातो मनकबत पेश की गई। हाफिज अजीम अहमद ने कहा कि जिसे कुरआन की तफसीर देखनी हो वह हजरत अली की जिन्दगी का अध्ययन करे। हजरत अली इल्म का समंदर हैं। बहादुरी में बेमिसाल हैं। आपकी इबादत, रियाजत, परहेजगारी और पैगंबर-ए-आजम हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम से मोहब्बत की मिसाल पेश करना मुश्किल है।

21 रमजान को हुई शहादत

पैगंबर-ए-आजम के दामाद व मुसलमानों के चौथे खलीफा हजरत अली की शहादत 21 रमजान को हुई। हजरत अली की शान में खूब कहा गया है 'शाहे मरदा शेरे यजदा कुव्वते परवरदिगार, ला फतह इल्ला अली ला सैफा इल्ला जुल्फिकार'। पैगंबर-ए-आजम ने फरमाया कि मैं इल्म का शहर हूं और अली उसका दरवाजा हैं। अब जो इल्म से फायदा उठाना चाहता हैं वह बाबे इल्म (हजरत अली) से दाखिल हो। इल्म का गौहर आपके खानदान से निकला। विलायत की शुरुआत आपके खानदान से हुई। हजरत अली फरमाते हैं कि अल्लाह की कसम मैं कुरआन की आयतों के बारे में सबसे ज्यादा जानने वाला हूं।

रसूल के दामाद हैं

गुलाम गौस कादरी ने कहा कि हजरत अली की शान बयान करने के लिए किसी दलील की जरूरत नहीं हैं। बस इतना ही काफी हैं कि आप खाना-ए-काबा में पैदा हुए। आप दामादे रसूल हैं। दो जन्नती जवानों के सरदार हजरत इमाम हसन व हजरत इमाम हुसैन के वालिद हैं। खातूने जन्नत हजरत फातिमा के शौहर हैं। बच्चों में सबसे पहले ईमान लाने वाले हैं। कारी अजमल रजा ने रहा कि हजरत अली का जिक्र करना भी इबादत में शुमार है। पैगंबर-ए-आजम का फरमान है कि जिसका मैं मौला, अली भी उसके मौला। जिसका मैं आका, अली भी उसके आका। जिसका मैं रहबर, अली भी उसके रहबर। जिसका मैं मददगार, अली भी उसके मददगार। हजरत अली का बहुत बड़ा मर्तबा हैं। हमें भी हजरत अली के नक्शेकदम पर चलने की पूरी कोशिश करनी चाहिए तभी दुनिया व आखिरत में फायदा होगा। अंत में सलातो-सलाम पढ़कर मुल्क की कोरोना वबा से हिफाजत की दुआ मांगी गई।

- कारी मो। अनस रजवी ने कहा कि सामान्यत: अन्य महीनों में और खास तौर पर रमजान माह में फकीर, गरीब, यतीम व अन्य मोहताज मांगने वालों को न झिड़कें।

- खास तौर से मदरसा के प्रतिनिधियों और चंदा वसूली करने वालों के साथ मेहरबानी और अच्छा सुलूक करें।

- उन हजरात का काम है कि रमजान में भूखे प्यासे रह कर मालदारों के माल का जकात लेकर माल पाक करना।

- अगर मौका मिले तो उनको इफ्तार और खाने में शरीक करें और सवाब हासिल करें।

- मौलाना मोहम्मद अहमद निजामी ने कहा कि पाक कुरआन कहता है कि तुम वह बेहतरीन उम्मत हो, जिसे लोगों के लिए बनाया गया है।

- तुम्हारा काम है कि तुम लोगों को नेकी का हुक्म दो, बुराई से रोको, अल्लाह पर यकीन रखो।

- रोजे में अल्लाह का खौफ, उसकी वफादारी, इताअत, मोहब्बत तथा सब्र का जज्बा हमें इंसानियत और इंसानी दर्द को पहचानने की सीख देता है।

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रोजेदारों ने कुरआन-ए-पाक की तिलावत कर मांगी दुआ

मंगलवार को 21वां रोजा नमाज, कुरआन-ए-पाक की तिलावत, तस्बीह, दुआ में बीता। मुकद्दस रमजान का तीसरा अशरा जहन्नम से आजादी का शुरु हो चुका है। धूप व गर्मी से रोजेदारों को कोई राहत मिलती नहीं दिख रही है। मस्जिदों में एतिकाफ करने वाले मो। अरशद, मो। मुबारक अली, मो। समीर, मो। अमान, मो। फैज मुस्तफाई, मो। आसिफ अहमद, सलमान आदि इबादत में मशगूल हैं। घरों में इबादत व तिलावत का सिलसिला जारी है। कोरोना वबा से निजात की रो-रो कर दुआ मांगी जा रही है।

Posted By: Inextlive