- कैंपियरगंज के भौराबारी में बना रहे थे नेपालियों के आधार कार्ड

- महराजगंज, फरेंदा पुलिस की कार्रवाई में सामने आया मामला

GORAKHPUR: नेपाली नागरिकों का फर्जी तरीके से आधार कार्ड बनाकर उनको लाभ दिलाने के मामले में गंभीरता से कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं। तीन दिन पूर्व पुलिस ने फरेंदा के पास जांच की तो कैंपियरगंज के भौराबारी स्थित मोबाइल शॉप पर आधार कार्ड बनाने की बात सामने आई। कागजात लेकर लौट रहे नेपाली नागरिकों से पूछताछ के बाद पुलिस ने कैंपियरगंज के भौराबारी निवासी विमलेश विश्वकर्मा, सोनौली के रहने वलो दिलशाद और अमरनाथ को अरेस्ट किया। उनके पास से भारी मात्रा में फर्जी आधार कार्ड, कार्ड बनाने के दस्तावेज बरामद हुए। बॉर्डर पर टेंपो लगाकर नेपाली नागरिकों को गोरखपुर के कैंपियरगंज में लाया जाता था। गैंग के तार पूर्व में सामने आए पासपोर्ट कांड से जुड़ने की आशंका जताई जा रही है। सीओ कैंट ने बताया कि इस मामले की पड़ताल के लिए टीम फरेंदा भेजी जाएगी। पकड़े गए लोगों से भी जानकारी ली जाएगी।

तब क्या हुआ था फर्जीवाड़ा, कैसे सामने आया मामला?

- शाहपुर और कैंट एरिया में रहने वाले 31 नेपाली नागरिकों के फर्जी पासपोर्ट बन गए थे।

- वर्ष 2005 से लेकर 2009 के बीच राजेश और परशुराम ने नेपाली नागरिकों का पासपोर्ट बनवाया।

- 2009 में मामले की शिकायत तत्कालीन भारत नेपाल मैत्री समाज के अध्यक्ष मोहन लाल गुप्त ने की।

- पांच साल तक चली जांच के बाद वर्ष 2015 में कैंट और शाहपुर में केस दर्ज हुआ।

- जांच में सामने आया कि कुल 26 नेपाली नागरिकों के पासपोर्ट बने थे।

- शाहपुर में पांच और अन्य सभी कैंट के थे। शाहपुर पुलिस ने फाइनल रिपोर्ट लगा दी।

- काफी प्रयास के बाद विवेचना वापस हुई। कैंट पुलिस ने आरोपित राजेश कुमार को अरेस्ट किया।

- आगे की छानबीन में पता लगा कि 2005 से 2009 के बची कुल 91 लोगों के पासपोर्ट बने थे।

- पुलिस की जांच, एलआईयू के वेरीफिकेशन के बाद कुल 60 लोगों को पासपोर्ट जारी हुए।

- वर्ष 2015 में दर्ज मुकदमे में 25 महिलाएं भी शामिल हैं जिनके बारे में कुछ पता नहीं चला सका है।

- महिलाओं सहित अन्य के आवेदन कुल छह जगहों के पते पर हुए थे। वह जगह खोजे नहीं मिल रही।

फरेंदा के गैंग से तो नहीं जुड़ रहे तार

नेपाल नागरिकों का पासपोर्ट बनवाने के लिए शातिरों का रैकेट नेपाल बॉर्डर पर सक्रिय था। वहां से 15 सौ रुपए में टेंपों में बैठाकर उनको भौराबारी में पहुंचाया जाता था। भौराबारी में विमलेश अपनी दुकान पर सभी का आधार कार्ड और अन्य कागज बना देता था। पुलिस ने जब गैंग को अरेस्ट किया तो उनके पास से आधार कार्ड बनाने के लिए नगद 60 हजार रुपए, 13 ग्राम पंचायतों की मोहरें, दो इंकपैड, चार प्रिंटर, एक फोटो बिवजन, एक स्कैनर, दो की-बोर्ड, दो फिंगर स्कैनर, एक आई रेटिना स्कैनर, तीन एडाप्टर, पांच मोबाइल, एक जीपीएस लोकेटर, एक हार्ड डिस्क, एक कैमरा, तीन सादे पेपर पर नेपाली नागरिकों का सिग्नेचर, छह फोटो, दो लैपटॉप, दो फर्जी आधार कार्ड, एक टेंपो, तीन सीमा कार्ड सहित अन्य

दस्तावेज बरामद हुए हैं। गोरखपुर में पूर्व में फर्जी पासपोर्ट का मामला सामने आने पर जांच का दायरा बढ़ गया है। यह भी माना जा रहा है कि यहां पर भी गैंग के सदस्य एक्टिव हो सकते हैं।

पूर्व में जो मामला सामने आया था। उसमें दो आरोपित अरेस्ट करके जेल भेजे जा चुके हैं। महराजगंज के फरेंदा में जो गैंग पकड़ा गया है। उनके बारे में जानकारी ली जाएगी। यह भी संभव है कि गोरखपुर शहर में इस गैंग के लोग एक्टिव हो। पूर्व के मामलों से कोई कनेक्शन मिलने पर कार्रवाई की जाएगी।

सुमित शुक्ला, सीओ कैंट

Posted By: Inextlive